ಹಯಾಬುಸಾ ಎಂದರೆ ವೇಗವಾಗಿ ಚಲಿಸುವ ಜಪಾನೀ ಬೈಕ್ ನೆನಪಿಗೆ ತಕ್ಷಣ ಬರುವುದು ಅಲ್ಲವೇ? ಆದರೆ ಜಪಾನಿನ ಬಾಹ್ಯಾಕಾಶ ಸಂಸ್ಥೆ - (ಜಾಕ್ಸ, JAXA) ತನ್ನ ಒಂದು ನೌಕೆಯ ಹೆಸರು ಹಯಾಬುಸಾ 2 ಎಂದು ಇಟ್ಟಿದ್ದಾರೆ. ಈ ನೌಕೆಯನ್ನು ಜಪಾನಿನ ಬಾಹ್ಯಾಕಾಶ ಸಂಸ್ಥೆ ಸೌರವ್ಯೂಹದಾದ್ಯಂತ ಸಂಚರಿಸಿ ರುಯ್ಗು (Ryugu) ಕ್ಷುದ್ರಗ್ರಹವನ್ನು ಸಂಪರ್ಕ ಸಾಧಿಸುವ ಉದ್ದೇಶದಿಂದ  ಡಿಸೆಂಬರ್ 2014 ರಲ್ಲಿ ಉಡಾವಣೆ ಮಾಡಿತ್ತು. ಇದು ಸುಮಾರು ಮೂವತ್ತು ಕೋಟಿ (300 ಮಿಲಿಯನ್) ಕಿಲೋಮೀಟರ್ ದೂರ ಪ್ರಯಾಣಿಸಿ 2018 ರಲ್ಲಿ ರುಯ್ಗು ಕ್ಷುದ್ರಗ್ರಹವನ್ನು ಸ್ಪರ್ಶಿಸಿತ್ತು. ಅಲ್ಲಿಯೇ ಕೆಲ ತಿಂಗಳು ಇದ್ದು ಮಾಹಿತಿ ಮತ್ತು ವಸ್ತು ಸಂಗ್ರಹಣೆ ಮಾಡಿ, 2020 ಯಲ್ಲಿ ಯಶಸ್ವಿಯಾಗಿ ಹಿಂತಿರುಗಿತ್ತು.

आईआईटी दिल्ली के प्राध्यापक अमित कुमार को सैद्धांतिक कंप्यूटर विज्ञान पर उनके काम के लिए २०१८ के शांति स्वरुप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

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दिल्ली
1 Feb 2019
आईआईटी दिल्ली के प्राध्यापक अमित कुमार को सैद्धांतिक कंप्यूटर विज्ञान पर उनके काम के लिए २०१८ के शांति स्वरुप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली में कंप्यूटर विज्ञान एवं अभियांत्रिकी विभाग के प्राध्यापक अमित कुमार, जसविंदर और प्राध्यापक तरविंदर चड्ढा को विज्ञान और प्रौद्योगिकी के प्रतिष्ठित शांति स्वरुप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उन्हें गणितीय विज्ञान श्रेणी के अंतर्गत मिश्रित अनुकूलन (कॉम्बिनेटोरियल ऑप्टिमाइज़ेशन) और ग्राफ-सैद्धांतिक एल्‍गोरिथम के क्षेत्र में अपने उत्कृष्ट शोध कार्य के लिए यह पुरस्कार दिया गया है।

शांति स्वरुप भटनागर पुरस्कार, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) द्वारा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उत्कृष्ट और उल्लेखनीय शोध के लिए प्रदान किया जाता है। इसका नाम सीएसआईआर के संस्थापक निदेशक, शांति स्वरुप भटनागर के नाम पर रखा गया है। इसमें ५ लाख रूपये की पुरस्कार राशि और एक उद्धरण पट्टिका शामिल है। पुरस्कार जैविक विज्ञान, रसायन विज्ञान, पृथ्वी, वायुमंडल व महासागर ग्रह विज्ञान, अभियांत्रिकी  विज्ञान, गणितीय विज्ञान, चिकित्सा विज्ञान और भौतिकी विज्ञान आदि क्षेत्रो में शोध करने वाले शोधकर्ताओं को दिया जाता है। प्राध्यापक कुमार ने कहा कि यह पुरस्कार उन्हें अपने शोध क्षेत्र में ओर अधिक उत्साह के साथ काम करने के लिए प्रेरित करेगा।

भविष्य की शोध बारे मे वह कहते हैं- "हम स्नातक छात्रों को एक व्यवसाय के रूप में अनुसंधान करने के लिए प्रेरित करना चाहते हैं। किसी भी शोध क्षेत्र में शोधकर्ताओं की एक महत्वपूर्ण संख्या की आवश्यकता होती है। भारत में सैद्धांतिक कंप्यूटर विज्ञान के क्षेत्र में धीरे-धीरे यह परिवर्तन हो रहा है।"

प्राध्यापक कुमार का शोध कार्य सैद्धांतिक कंप्यूटर विज्ञान के क्षेत्र में है जो शेड्यूलिंग, संसाधन आवंटन, ग्राफ सिद्धांत और क्लस्टरिंग में उत्पन्न होने वाली समस्याओं पर बल देता है। वह बताते हैं, "इनमें से कई समस्या प्रकृति में मौलिक रूप मे उपस्थित हैं और कई सालों (या दशकों) से इनका अध्ययन किया गया है। अक्सर ऐसे एल्गोरिदम डिजाइन करने की आवश्यकता होती है जो नए अन्वेषणात्मक का उपयोग करता हो ओर अच्छे समाधान देता हो"एक ऐसा उदाहरण, बड़े डेटा केंद्रों में कार्यों का शेड्यूलिंग है जिसमें अरबों नौकरियाँ हैं ओर अत्यधिक कंप्यूटिंग संसाधन हैं। एक शेड्यूल कार्य कैसे करता है, जिससे कि संसाधनों का उपयोग बेहतर तरीके से किया जा सके? प्राध्यापक कुमार बताते हैं, "अनुकूलन का मतलब कार्यों की कुल देरी को कम करना, या  प्रोसेसर द्वारा खपत ऊर्जा, या दोनों के कुछ संयोजन को कम करना हो सकता है।”

कभी-कभी, ये कार्य अग्रिम रूप में ज्ञात नहीं हो सकते हैं ओर शेड्यूलिंग एल्गोरिदम को अन्य प्रतिकूल कारकों पर विचार करने के बाद निर्णय लेने की आवश्यकता होती है। इन एल्गोरिदम को ऑन-लाइन एल्गोरिदम कहा जाता है।

प्राध्यापक कुमार ने अपने काम के बारे में बात करते हुए कहा, "मेरा शोध कार्य ग्राफ सिद्धांत में संसाधन आवंटन समस्याओं पर केंद्रित है जहां हम उपयोगकर्ताओं के नेटवर्क या कंप्यूटर के सेट को बेहतर तरीके से जोड़ना चाहते हैं।"

प्राध्यापक कुमार को भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (आईएनएई) युवा अभियंता पुरस्कार, भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (आईएनएसए) युवा वैज्ञानिक पुरस्कार और आईबीएम फैकल्टी पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। प्राध्यापक कुमार के पास भारत और विदेशों में व्यापक, उद्योग और अकादमिक अनुभव है।