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क्वान्टम कंप्यूटेशन हेतु नैनो अनुमाप पर इन्फ्रारेड प्रकाश नियंत्रण

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मुम्बई
5 जुलाई 2022
क्वान्टम कंप्यूटेशन हेतु नैनो अनुमाप पर इन्फ्रारेड प्रकाश नियंत्रण

द्रुत गति दत्तांश संसाधन (हाई स्पीड डाटा प्रोसेससिंग) के क्षेत्र में वर्तमान इलेक्ट्रॉनिक्स की अपेक्षा वैलीट्रॉनिक्स एक उदीयमान क्वान्टम प्रौद्योगिकी है। वैलीट्रॉनिक्स आधारित क्वांटम संगणन में द्रोणियाँ (वैली) इलेक्ट्रॉनों की ऊर्जाबैंड संरचना में ऊर्जा के न्यूनतम स्थानिक मान (लोकल मिनिमा) को व्यक्त करती हैं। सूचना को कूटबद्ध (एनकोड) करने, संसाधित एवं संग्रह करने में ये द्रोणियाँ उपयोगी होती हैं। अवरक्त प्रकाश (इन्फ्रारेड) भी इन द्रोणि अवस्थाओं को स्विच करने के माध्यमों में से एक है। वैलीट्रॉनिक्स आधारित क्वांटम संगणन के लिए प्रकाश संचरण की दिशा में चयनात्मक नियंत्रण के साथ अल्प लागत वाले अवरक्त स्रोतों की आवश्यकता होगी।

आईआईटी मुंबई के शोधकर्ताओं ने एक नवीन तकनीकी मंच का प्रस्ताव दिया है जिसके अंतर्गत प्रकाश संचरण की दिशा एवं इसके उत्सर्जन की तीव्रता को विद्युतीय विभव नियंत्रित करेगा। इसका उपयोग क्वांटम संगणन के लिए द्रोणि अवस्थाओं को नियंत्रित करने के साथ-साथ रासायनिक अणुओं की पहचान करने, जैविक छवि प्राप्त करने (इमेजिंग) या उज्जवल प्रकाश स्रोत निर्मित करने में भी किया जा सकता है। शोधकर्ताओं ने आधारभूत तकनीक निर्मित करने हेतु द्विआयामी पदार्थों ग्रफीन की हेटेरो संरचना एवं अल्फा मोलिब्डनम ट्राई ऑक्साइड का उपयोग किया। ग्रफीन की हेटेरो संरचना में प्रकाशकीय चालकता (ऑप्टिकल कंडक्टेंस) को विद्युतीय विभव के द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है एवं मोलिब्डनम ट्राई ऑक्साइड के प्रकाशकीय गुणधर्म भिन्न-भिन्न दिशाओं में भिन्न-भिन्न होते हैं। यह अध्ययन डी ग्रायटर नैनो फोटोनिक्स नामक शोध पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। यह अध्ययन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार द्वारा वित्तपोषित किया गया है। वर्तमान शोध में अल्फा मोलिब्डनम ट्राई ऑक्साइड एवं ग्रफ़ीन के हेटेरो विन्यास में वोल्टेज के माध्यम से प्रकाश का नियंत्रण प्रथमेव है।

अद्वितीय एवं असामान्य गुणधर्मों से युक्त होने के कारण द्विआयामी पदार्थों का महत्व शीघ्रता से बढ़ रहा है जो क्वांटम संगणन तथा नैनो तकनीक के क्षेत्र में इन पदार्थों की उपयोगिता को सिद्ध कर रहा है। ये पदार्थ एकल परमाणु मोटाई की परत के रूप में होते हैं। यह अस्तरण पदार्थ (शीट मेटीरियल ) अपनी मूल विस्तृत प्रकृति (बल्क फॉर्म) से पृथक, आकर्षक गुणधर्मों से युक्त होते हैं। 

प्रस्तावित हेटेरो संरचना में सिलिकॉन अध:स्तर (सब्सट्रेट) के ऊपर अल्फा मोलिब्डनम ट्राई ऑक्साइड  की एक पतली फिल्म (थिन फिल्म) होती है। इसके ऊपर ग्रफीन की एकल परत स्थित होती है जो गेट नामक एक टर्मिनल से जुड़ी होती है। गेट का उपयोग विद्युतीय विभव आरोपित करने के लिए किया जाता है। अवरक्त प्रकाश (इन्फ्रा रेड) एवं ग्रफीन परत में स्थित इलेक्ट्रॉनों के मध्य अंत: क्रिया होने से होने वाले अवरक्त प्रकाश के उत्सर्जन की तीव्रता को वोल्टेज के द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है। यदि प्रकाश की दिशा एवं ध्रुवीकरण को भी नियंत्रित किया जा सके तो इसके अधिक उपयोगी एवं रोचक अनुप्रयोग संभव हैं। अल्फा मोलिब्डनम ट्राई ऑक्साइड एक रोचक पदार्थ है, जिसमें एक ही तल की विभिन्न दिशाओं में प्रकाश का परावैद्युतांक (परमिटिविटी) पृथक-पृथक होता है। एक विशिष्ठ ध्रुवीकरण वाला प्रकाश किसी एक दिशा में अवरुद्ध होता है तो दूसरी दिशा में यह सुगमतापूर्वक गमन करता है। इस प्रकार दो पदार्थों के संयुक्त गुणधर्म, हेटेरो संरचना समतल में चित्ताकर्षक प्रकाश उत्सर्जन विन्यास (पैटर्न) को जन्म देते हैं। 

छायाचित्र: शोधकर्ताओं द्वारा निर्मित हेटेरो संरचना में गेट-विभव परिवर्तित करने पर एक रोचक विन्यास निर्मित करता हुआ स्वत: स्फूर्त उत्सर्जन।

"इस हेटेरो संरचना के माध्यम से बृहद परिचालन बैंडविड्थ एवं उच्च प्रसार दूरी का लाभ प्राप्त होता है जो किसी एकल पदार्थ से प्राप्त नहीं हो सकता। साथ ही प्रसार की दिशा को विद्युतीय विभव के उपयोग से  अथवा आपतित प्रकाश की ध्रुवीकरण अवस्था के द्वारा या दोनों के ही उपयोग से नियंत्रित किया जा सकता है।" इस कार्य के एक शोधकर्ता डॉ सौरभ दीक्षित कहते हैं।

शोधकर्ताओं ने पर्सेल प्रभाव नामक एक क्वांटम घटना का उपयोग किया जिसके अनुसार एक अणु में प्रकाश का उत्सर्जन, परित: स्थित माध्यम के परावैद्युत स्थिरांक (डाईइलेक्ट्रिक परमिटिविटी; किसी पदार्थ की विद्युत् चुम्बकीय ऊर्जा का संग्रह करने की क्षमता) में परिवर्तन कर उसमें से होने वाले प्रकाश के स्वत: उत्सर्जन में अभिवृद्धि कर बढाया जा सकता है। “ग्रफीन आधारित इस प्रस्तावित युक्ति के परावैद्युतांक को विभव के उपयोग द्वारा लयबद्ध कर हम यहाँ पर्सेल प्रभाव नामक घटना का लाभ लेते हैं। इस प्रकार प्रस्तावित युक्ति के समीप स्थित उत्सर्जक (इमिटर) से प्राप्त होने वाले उत्सर्जन विन्यास को नियंत्रित कर हम वैली क्यूबिट को  सरलता से लक्ष्य कर सकते हैं,” वर्त्तमान अध्ययन के एक शोधकर्ता श्री अनीश बापट कहते हैं।

शोधकर्ताओं ने गणितीय विश्लेषण एवं संगणक अनुरूपण (सिमुलेशन) का उपयोग करते हुए प्रस्तावित हेटेरो -संरचना  के गुणधर्मों का विष्लेषण किया। उन्होंने दर्शाया कि प्रस्तावित युक्ति वैलीट्रॉनिक्स उपकरणों के निर्माण की राह को सुगम कर सकती है। “यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है क्योंकि नैनो मापक्रम पर सटीक विभव आरोपित करने की तकनीक पूर्व में ही परिपक्व हो चुकी है। अतएव हमारा प्रस्ताव वैलीट्रॉनिक्स आधारित क्वांटम परिपथ के चिप आधारित सम्पादन को सरल बनाता है,” इस शोधकार्य के प्रमुख प्राध्यापक कुमार कहते हैं। 

इस युक्ति का उपयोग जैविक अणुओं के संसूचन (सेंसिंग) एवं नैनो आकार के इलेक्ट्रॉनिक परिपथों को शीतल करने जैसे अन्य कार्यों में भी किया जा सकता है। यह युक्ति क्वान्टम इंटरफरेंस, गेट ट्यूनेबल प्लानर रिफ्रेक्शन उपकरणों, उत्सर्जन विन्यास (एमीशन पैटर्न) अभियांत्रिकी एवं क्वांटम फील्ड एन्टेंगलमेंट  में अनुप्रयोग के नवीन मार्ग भी प्रशस्त करती है।