एक समय था जब रात के आकाश में तारे अनंत के लिए एक उपमा थे - रात के काले कंबल में इतने सारे छितराये हुए देखे जा सकते हैं कि उन्हें गिनने में पूरा जीवन व्यतीत हो जाये। तेजी से आगे बढ़ कर अगर आज को देखें तो अब रात का आकाश चँद्रमा और सितारों के स्थान पर शहरी रोशनी से जगमगाता है। कृत्रिम प्रकाश के अंधाधुंध उपयोग ने - इमारतों में प्रकाश के लिये बल्ब के प्रयोग से ले कर सड़कों पर सोडियम लैंप या नीओन से चकाचौंध होर्डिंग तक - रात में तारे देखने के आनंद को खत्म कर दिया है। अनुमानित है कि दुनिया की करीब 83 प्रतिशत आबादी प्रकाश प्रदूषण से दूषित इलाकों में रहती है। जिसका अर
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वैज्ञानिक पश्चिमी घाट की पर्वत माला जैसे किसी भी पर्यावरणीय तंत्र के संरक्षण हेतु इन्हें 'जैव-विविधता से परिपूर्ण स्थान’ (बायोडायवर्सिटी हॉटस्पॉट) का दर्जा कैसे दे पाते हैं? यह कार्य इकोलॉजिकल सैंपलिंग नाम की शोध-तकनीक के द्वारा किया जाता है, जो उस तंत्र में स्थित जीवों और वनस्पतियों की विविधता और बहुतायत को जाँचने में मदद करती है| इस तकनीक के अंतर्गत एक निश्चित इलाके के भीतर अलग-अलग जगहों से जीवों और वनस्पतियों के नमूने इकट्ठा किये जाते हैं, ताकि इन नमूनों के आधार पर ,पूरे इलाके की संभावित जैव-विविधता का आकलन हो पाये|
हमारे जीन हमारी शारीरिक संरचना से लेकर, हमें मिलने वाले रोगों तक हमारे जीवन के प्रत्येक पहलू को प्रभावित करते हैं। हमारे जीवन में केवल जीन का ही प्रभाव नहीं होता बल्कि जिस पर्यावरण हम रहते हैं, वो भी हमें प्रभावित करता है। खान-पान, व्यायाम और हमारे निवास स्थान के प्रदूषण का स्तर, सभी हमारे शरीर को प्रभावित करते हैं। अगर बहुत सारे जीन में खराबी आती है तो कैंसर और कोरोनरी धमनी (कोरोनरी आर्टरी) की बीमारी जैसे प्रमुख रोग उत्पन्न होते हैं। लेकिन जीवनशैली और पर्यावरणीय कारक भी इन विकारों और उनकी उग्रता को प्रभावित करने में एक मुख्य भूमिका निभाते हैं। वैज्ञानिक इस तरह
अम्लीय वर्षा आजकल एक मुख्य चर्चा का विषय है। मानव गतिविधियों के कारण प्रदूषण में वृद्धि का प्रतिकूल प्रभाव इसका कारण है ऐसा पर्यावरण वैज्ञानिकों ने बताया है। लेकिन इंसानों के धरती पर विकसित होने से पहले भी अम्लीय वर्षा के साक्ष्य पाये गए हैं। लगभग २५ करोड वर्ष पहले साइबेरियाई क्षेत्र में ज्वालामुखी के विस्फोट के कारण जो अम्लीय वर्षा हुई उसके कारण लगभग 90% समुद्री और 70% स्थलीय प्रजातियां खत्म हुई थी। अम्लीय वर्षा के कारण बड़े पैमाने पर प्रजातियों के लुप्त होने का यह पृथ्वी के इतिहास में सबसे विनाशकारी मामला था।
अगर कोई आपको ये कहे की किसी दूसरे व्यक्ति का मल आपके लिए दवा सिद्ध हो सकता है, तो शायद आप उसे पागल समझेंगे। आप उसका भरोसा करना तो दूर की बात बल्कि उसकी इस बेतुकी बात को हँसी में ज़रूर उड़ाने का सोचेंगे । यह बात अविश्वसनीय लगती है, लेकिन यह शत प्रतिशत सत्य है।
क्या आपने बारिश के बाद हवा की गंध पर गौर किया है? ये वही ताजी मिट्टी की गंध है जो हमें हमारे बचपन में वापस ले जाती है और जिससे प्रेरित होकर कई कवियों और लेखकों में रचनात्मकता पनपी है।
भारत विश्व का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है। पिछले वर्ष भारत में १४० मिलियन टन दूध का उत्पादन हुआ था। हम जानते हैं की मुख्यतः दूध गायों और भैंसों से आता है। लेकिन कभी सोचा है कि स्तनधारियों में दूध किस प्रकार उत्पन्न होता है?