आईआईटी मुंबई का IMPART नामक नवीन वेब एप्लिकेशन जल सतह के तापमान पर दृष्टि रखने में शोधकर्ताओं की सहायता करता है एवं जलवायु परिवर्तन पर दृष्टि रखने में सहायक है।

आईआईटी मुंबई ने जल-प्रदूषकों के संसूचन हेतु विकसित किया पोर्टेबल ‘एरोट्रैक’ उपकरण

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Mumbai
27 नवंबर 2024
दृश्यांश: आईआईटी मुंबई में विकसित एरोट्रैक उपकरण (श्रेय: शुभंकर साहू एवं शंकर रामचंद्रन)  पृष्ठभूमि सहयोग: एडोब फायरफ्लाई, साइंटिफिकली

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मुंबई (आईआईटी मुंबई) के शोधकर्ताओं ने पर्यावरण के शाश्वत प्रबंधन की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि प्राप्त की है। पानी में फिनोल या बेंजीन जैसे हानिकारक प्रदूषकों के सटीक संसूचन हेतु उन्होंने एक मितव्ययी एवं सुवहनीय उपकरण की खोज की है। ‘एरोट्रैक’ नामक यह उपकरण औद्योगिकीकरण, शहरीकरण एवं अनियमित अपशिष्ट निर्वहन से सम्बद्ध जल-प्रदूषण को कम करने की दिशा में क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकता है।

आज जब सुरक्षित पेयजल की उपलब्धता संकट में है, शेष मीठे जल निकायों का प्रदूषण चिंता का विषय है। विश्व भर के शहरों में अनुपचारित औद्योगिक अपशिष्ट बहुधा नदियों में बहा दिये जाते है, जिससे फिनोल, बेंजीन एवं ज़ायलेनॉल जैसे संकटकारी प्रदूषक निकलते हैं। 'एरोमेटिक ज़ेनोबायोटिक' यौगिक कहलाने वाले ये रसायन, बेंजीन संरचना के समान कार्बनिक यौगिक होते हैं, जिसमें कार्बन अणुओं का एक वलय (रिंग) होता है। इन एरोमेटिक ज़ेनोबायोटिक्स की अधिक मात्रा, जीवधारियों के लिए अत्यंत विषैली सिद्ध हो सकती है, साथ ही इनका संसूचन (डिटेक्शन) भी कठिन होता है।

इन प्रदूषकों के कारण पूर्व के कुछ वर्षों में जल प्रदूषण की गंभीर घटनाएँ हुई है जिनसे उत्पन्न स्वास्थ्य संकट से विश्व भर में लाखों लोग प्रभावित हुए हैं। उदाहरण स्वरुप चीन के लान्झाऊ में बड़े स्तर पर तेल रिसाव से लगभग 24 लाख लोग बेंजीन के संपर्क में आये। दक्षिण भारत के मदुरै शहर में भी बेंजीन-दूषित भूजल से मानव स्वास्थ्य पर संकट गहराया हुआ है। किन्तु एरोमेटिक ज़ेनोबायोटिक्स के संसूचन हेतु वर्तमान में उपलब्ध विधियाँ अपव्ययी है एवं सुवहनीय (पोर्टेबल) नहीं हैं। इनके उपयोग के लिए कुशल तंत्रज्ञ (टेक्नीशियन) की आवश्यकता भी होती है। अत: इनका व्यापक रूप से उपयोग नहीं हो पाता है।

इन चुनौतियों के समाधान हेतु भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मुंबई (आईआईटी मुंबई) के रसायन विज्ञान विभाग की प्राध्यापिका रुचि आनंद, रसायन अभियांत्रिकी विभाग के प्रा. राजदीप बंद्योपाध्याय एवं उनके शोध-दल ने एक ऐसा सरल एवं मितव्ययी जैव-संवेदन उपकरण (बायोसेंसिंग डिवाइस) प्रस्तुत किया है जो इन हानिकारक यौगिकों को खोज निकालने में सक्षम है।

“एरोट्रैक का निर्माण इस धारणा के आधार पर हुआ है कि प्रयोगशाला में प्राप्त विश्लेषणात्मक क्षमताओं को वास्तविक कार्य-क्षेत्र के लिए तैयार उपकरणों में परिणित करना है। इन एरोमेटिक ज़ेनोबायोटिक प्रदूषकों को मापने एवं पहचानने की कठिन पारंपरिक पद्धतियों की तुलना में एरोट्रैक उपकरण को इस प्रकार युक्तिबद्ध किया गया है कि प्रशिक्षित अथवा अप्रशिक्षित उपयोगकर्ता इसे शीघ्रतापूर्वक सीख सकता है एवं सटीक डेटा उत्पन्न कर सकता है,” प्रा. बंद्योपाध्याय एरोट्रैक के विकास के पीछे छिपी हुई प्रेरणा व्यक्त करते हुए कहते हैं।

पानी में विभिन्न एरोमेटिक प्रदूषकों की प्रभावी पहचान हेतु आईआईटी मुंबई का यह उपकरण अत्यधिक प्रदूषित वातावरण में रहने वाले जीवाणुओं में स्थित प्रोटीन का उपयोग करता है। यदि पानी के नमूने में कोई एरोमेटिक यौगिक उपस्थित होता है तो इसमें मिश्रित होने के बाद प्रोटीन एक विशिष्ट एटीपी जल-अपघटन (एटीपी हाइड्रोलिसिस) नामक रासायनिक अभिक्रिया से गुजरता है। यह अभिक्रिया प्रोटीन के विलयन का रंग परिवर्तन करती है जिसे एरोट्रैक पहचान सकता है। एक लघु प्रोजेक्टर से भी लघु आकार का यह उपकरण अत्यधिक दृढ एवं सुसंहत (कॉम्पैक्ट) है।

“एरोट्रैक विभिन्न एरोमेटिक ज़ेनोबायोटिक प्रदूषकों को पहचान सकता है, साथ ही इस उपकरण को दूर के स्थानों पर भी ले जाया जा सकता है। यह लघु आकार का है तथा ग्रामीण एवं दुर्गम क्षेत्रों में भी कार्य करने में सक्षम है,” प्रा.आनंद का कहना है।

इस उपकरण का मुख्य घटक, MopR नामक एक जैव-संवेदक है जो फिनोल संसूचन के लिए अत्यधिक संवेदनशील है। इसे 2017 में एसिनेटोबैक्टर कैल्कोएसेटिकस जीवाणु के माध्यम से प्रा. आनंद के शोध दल द्वारा अभियन्त्रित किया गया था। MopR पद्धति चयनात्मक एवं स्थिर है, अर्थात यह उच्च सटीकता के साथ जटिल वातावरण में भी प्रदूषकों का संसूचन कर सकती है। आईआईटी मुंबई के शोधकर्ताओं द्वारा MopR जैव-संवेदक में विविधता लाने के लिए आगे भी कार्य किया गया। जीवाणुओं के प्रोटीन में उत्परिवर्तन अभियंत्रित किये गए जिनके माध्यम से बेंजीन एवं ज़ाइलेनॉल समूहों के अंतर्गत आने वाले अन्य प्रदूषकों की भी जानकारी प्राप्त हो सके।

“प्रोटीन जैव-संवेदन बहुत विशिष्ट है क्योंकि यह विशिष्ट आयन या अणु, जैसे फिनोल या बेंजीन के लिए तदनुकूल है। हमने प्रोटीन सीक्वेंस के डीएनए में उत्परिवर्तन (म्यूटेशन) अभियंत्रित किए हैं जो प्रोटीन के उत्परिवर्ती संस्करण (म्यूटेंट वर्जन) दे सकते हैं तथा विभिन्न अणुओं का संवेदन करते हुए संवेदकों के समूह के रूप में कार्य करते हैं। प्रत्येक संवेदक विशिष्ट आयन या अणु के लिए युक्तिबद्ध किया गया है,” प्रा. आनंद बताती हैं।

आईआईटी मुंबई में स्थित मल्टी-चैनल मॉनिटरिंग उपकरण के साथ जोड़े जाने पर MopR-आधारित संवेदक इस नव-विकसित एरोमेटिक्स ट्रैकिंग डिवाइस ‘एरोट्रैक’ का मूल आधार बन जाता है।

जैव-संवेदक घटकों के उपयोग से एरोट्रैक के द्वारा प्रदूषकों के संसूचन संबंधी कार्य-प्रणाली के विषय में प्रा. बंद्योपाध्याय बताते हैं, “एरोट्रैक में लाइट एमिटिंग डायोड (एलईडी) एवं फोटोट्रांजिस्टर होते हैं। यह पानी के नमूने के माध्यम से उपयुक्त तरंग दैर्ध्य (वेव-लेंथ) का प्रकाश प्रदीपित करता है एवं अवशोषित प्रकाश का संसूचन करता है। रंग का अधिक तीव्र होना उच्च अवशोषण उत्पन्न करता है।”

एरोट्रैक की कार्य पद्धति जटिल होने पर भी, शोध-दल उपकरण की संवेदनशीलता को यथावत रखते हुए इसके मूल्य को केवल $50 (5000 रुपये से कम) पर लाने में सक्षम रहा।

​"अपनी प्रयोगशाला में उपलब्ध 3-डी प्रिंटिंग का उपयोग करके हम एक पूर्णत: कार्यकारी यंत्र को मितव्ययता के साथ युक्तिबद्ध (डिज़ाइन) करने एवं निर्माण तथा पुनरावृति करने में सक्षम थे। डाटा-प्रसंस्करण एवं विश्लेषण हेतु मुक्त-स्रोत (ओपन-सोर्स) आधारित मूलभूत इलेक्ट्रॉनिक्स एवं बड़े स्तर पर उत्पादित माइक्रोकंट्रोलर का उपयोग कर मूल्य और भी कम किया जा सकता है," प्रा. बंद्योपाध्याय ने बताया।

एरोट्रैक उपकरण फिनोल, बेंजीन एवं 2,3-डाइमिथाइल फिनोल सहित विभिन्न एरोमेटिक प्रदूषकों की खोज कर सकता है। यह प्रदूषकों की अल्प सांद्रता - सामान्यत: 10-200 भाग प्रति बिलियन (पीपीबी) की सीमा में होने पर भी इन्हें खोज सकता है। अनुरूपित (सिमुलेटेड) अपशिष्ट जल एवं वास्तविक पर्यावरणीय नमूनों में किए गए परीक्षणों से ज्ञात होता है कि एरोट्रैक अत्यधिक विश्वसनीय है, जो संसूचन हेतु प्रयोग किये जाने वाले आधुनिक स्पेक्ट्रोफोटोमीटर के समतुल्य सटीकता एवं दक्षता प्रदान करता है। उपकरण ने पानी के 50 डिग्री सेल्सियस के तापमान तक भलीभांति कार्य किया एवं 30 मिनट से कम समय में परीक्षण पूर्ण किया।

एरोट्रैक उपकरण का मूल्य कम है एवं यह बैटरी-चालित तथा सुवहनीय है। इस कारण उपकरण ग्रामीण तथा अल्प-आय वाले ऐसे क्षेत्रों के लिए आदर्श हो सकता है जहाँ संसाधनों की कमी हैं एवं परीक्षण प्रयोगशालाओं तक पहुँच कठिन है।

एरोट्रैक की क्षमताओं के विस्तार के आगामी चरणों के संबंध में प्रा. आनंद कहती हैं, “प्रदूषकों के प्रकारों में आगे बढ़ते हुए हम अभी बाइफिनाइल एरोमेटिक एवं जटिल एरोमेटिक प्रदूषकों के समावेश का प्रयास कर रहे हैं।”

उपकरण की बाजारों में उपलब्धता के सम्बन्ध में प्रा. बंद्योपाध्याय कहते हैं, “एरोट्रैक उत्पाद अपने प्रारंभिक कार्यकारी स्वरूप में प्रस्तुत है, जो बताये गए समस्त कार्यों को प्रदर्शित कर सकता है। इसे पूर्ण रूप से बाजार में प्रस्तुत करने हेतु प्रत्यक्ष स्थितियों में अधिक परीक्षणों की एवं गुणवत्ता विश्लेषण की आवश्यकता है ताकि विभिन्न जल स्रोतों एवं जल संघटकों की विविधता के साथ एरोट्रैक की दृढ़ता का आकलन किया जा सके।"

मितव्ययी एवं मुक्त-स्रोत इलेक्ट्रॉनिक घटकों के उपयोग से प्रत्यक्ष कार्यक्षेत्र में ही पर्यावरण-अनुवीक्षण (मॉनिटरिंग) करने की महत्वपूर्ण क्षमता एरोट्रैक उपकरण अधोरेखित करता है। पारंपरिक विश्लेषणात्मक तकनीकों के लिए विकल्प के रूप में, इस उपकरण में पानी की गुणवत्ता परीक्षण प्रक्रिया में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने की क्षमता है। एक सुरक्षित, स्वस्थ संसार की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है।