भारतीय प्रौद्योगिक संस्थान, मुंबई के छात्र ने खिड़की पर लगाए जाने वाले सौर ऊर्जा द्वारा संचालित कुकर का आविष्कार कर ‘गांधीवादी युवा प्रौद्योगिकी अभिनव पुरस्कार’ जीता है।
जलवायु परिवर्तन एवं ऊर्जा की बढ़ती क़ीमतों के चलते सौर ऊर्जा से चलने वाले घरेलू उपकरण प्रचलन में आते हुए देखे जा रहे हैं। आज बाज़ार में आमतौर पर प्रयोग किए जाने वाले सभी घरेलू उपकरणों के सौर ऊर्जा से चलने वाले विकल्प उपलब्ध हैं। हालांकि, अधिकतम सौर ऊर्जा संचालित यंत्रों का को स्थापित करने के लिए एक बड़े खुले स्थान की आवश्यकता होती है। अक्सर भारतीय महानगरों में लोग ऊँची इमारतों में रहते हैं जहाँ ऐसे खुले क्षेत्र उपलब्ध नहीं होते हैं जिनमें सौर-पैनल स्थापित किए जा सके। भारतीय प्रौद्योगिक संस्थान, मुंबई, द्वारा निर्मित सौर कुकर इस समस्या का समाधान कर सकता है।
यूँ तो बाज़ार में कई प्रकार के सौर-कुकर पहले से ही उपलब्ध हैं किंतु इस नवप्रवर्तन में नया यह है कि किसी आम सौर-कुकर की अपेक्षा इस कुकर का प्रयोग करने के लिए किसी भी बड़ी खुली छत या बगीचे की आवश्यकता नहीं है! इस उपकरण का प्रयोग करने के लिए मात्र एक छोटी खिड़की से आने वाली सौर ऊर्जा ही पर्याप्त है। इसके अतिरिक्त, आम सौर कुकर की तुलना में इस कुकर में आपको समय एवं सूर्यकिरणों की दिशा के अनुसार बार बार कुकर की दिशा बदलने की आवश्यकता नहीं है, जिस कारण यह कुकर आम सौर-कुकर से अधिक सुविधाजनक है। यही नहीं, इस नयी संरचना के चलते सौर-ऊर्जा से खाना पकने के समय में भी भारी गिरावट देखी गयी है।
प्रोफेसर बी के चक्रवर्ती के निर्देशन में भारतीय प्रौद्योगिक संस्थान के औद्योगिक रचना केंद्र के छात्र श्री अविनाश प्रभुने द्वारा बनाया गया यह सौर-कुकर आमतौर पर घरों में प्रयोग किए जाने वाले माइक्रोवेव ओवन के समान सुविधाजनक है। शीघ्रता से खाना पकाने के लिए इस यंत्र को किसी भी दक्षिण-मुखी खिड़की पर रखा जा सकता। यह सौर-कुकर मात्र २० मिनट में १२० डिग्री सेल्सीयस के तापमान तक पहुँचने में सक्षम है।
इस आविष्कार को, माननीय राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद ने १९ मार्च २०१८ को राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में गांधीवादी युवा प्रौद्योगिकी अभिनव (जी वाई टी आई) पुरस्कार २०१८ से सम्मानित किया था।