एक समय था जब रात के आकाश में तारे अनंत के लिए एक उपमा थे - रात के काले कंबल में इतने सारे छितराये हुए देखे जा सकते हैं कि उन्हें गिनने में पूरा जीवन व्यतीत हो जाये। तेजी से आगे बढ़ कर अगर आज को देखें तो अब रात का आकाश चँद्रमा और सितारों के स्थान पर शहरी रोशनी से जगमगाता है। कृत्रिम प्रकाश के अंधाधुंध उपयोग ने - इमारतों में प्रकाश के लिये बल्ब के प्रयोग से ले कर सड़कों पर सोडियम लैंप या नीओन से चकाचौंध होर्डिंग तक - रात में तारे देखने के आनंद को खत्म कर दिया है। अनुमानित है कि दुनिया की करीब 83 प्रतिशत आबादी प्रकाश प्रदूषण से दूषित इलाकों में रहती है। जिसका अर
प्रस्तावित पद्धति वाहनों में रेडिएटर के इष्टतम आकार का निर्धारण कर फ्यूल-सेल आधारित विद्युत वाहन के भार, मूल्य एवं क्षमता को अनुकूलित करती है।
Mumbai/ जुलाई 24, 2024