आईआईटी मुंबई का सूक्ष्म-द्रव उपकरण मानव कोशिकाओं की कठोरता को तीव्रता से मापता है, एवं रोग की स्थिति तथा कोशिकीय कठोरता के मध्य संबंध स्थापित करने में सहायक हो सकता है।

आपकी ज़मीन की मिट्टी में कितनी आर्द्रता है?

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Mumbai
21 सितंबर 2020
Soil check: How much water does your soil contain?

चित्र: यान कोपरिवा, अनस्प्लैश

शोधकर्ताओं ने मिट्टी की आर्द्रता जाँचने के लिए सूक्ष्म ग्रैफीन कणों की मदद से एक सेंसर विकसित किया हैं।

अगर आप बाग़बानी का शौक रखते हैं या आप एक अनुभवी किसान हैं तो आप ये भली भाँति जानते होंगें कि पौधों को बहुत अधिक या बहुत कम पानी देने से क्या हानि हो सकती है। पौधों का सही पोषण मिट्टी में पानी की मात्रा पर निर्भर करता हैं, इसलिए मिट्टी में मौजूदा नमी के स्तर को जानना जरूरी हो जाता हैं। जब बड़ी संख्या में पौधों के खेतों के लिए पानी की सारणी पर नज़र रखने की बात आती है, तो एक सस्ते, आसानी से उपयोग होने वाले आर्द्रता सेंसर की आवश्यकता होती है जो मिट्टी में पानी की मात्रा को सही ढंग से माप सके।

हाल ही में कार्बन पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन, ग्राफीन क्वांटम डॉट्स (ग्राफीन के नैनोमीटर के आकार के कण) से बने मिट्टी की आर्द्रता जाँचने वाले सेंसर की कार्य प्रणाली  को दर्शाता है। यह अध्ययन भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई, गुवाहाटी विश्वविद्यालय और धीरूभाई अम्बानी सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी संस्थान, गाँधीनगर के शोधकर्ताओं की एक टीम द्वारा किया गया है। इस शोध कार्य को विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और असम विज्ञान प्रौद्योगिकी और पर्यावरण परिषद द्वारा वित्त पोषित किया गया था।

ग्राफीन, एक छत्ते की तरह संरचना में व्यवस्थित कार्बन परमाणुओं की एक शीट से बना होता है। अनेक वर्षों से, अध्ययनों में ग्रेफीन क्वांटम डॉट्स के उपयोग की खोज की गई है जिनमें नैनोमीटर के माप की ग्रेफीन की कुछ परतों से बने डिस्क के आकार का पदार्थ , विभिन्न प्रकार के संवेदन अनुप्रयोगों के लिए प्रयोग होता है। हालाँकि ग्राफीन क्वांटम डॉट्स के संश्लेषण पर अभी भी व्यापक रूप से शोध चल रहा है, इसमें मुख्य चुनौती एक ऐसे तरीके को डिजाइन करना है जिसके परिणामस्वरूप समान आकार के कणों को प्राप्त किया जा सकें। और यही नहीं, यह प्रक्रिया व्यावसायीकरण के लिए मापनीय और आसानी से अनुकूलनीय होना चाहिए।

"इस अध्ययन के पीछे हमारी प्रेरणा ग्राफीन क्वांटम डॉट्स को संश्लेषित करने के लिए एक सरल, सस्ती और मापनीय तरीके को विकसित करना था जिससे मिट्टी की आर्द्रता मापने के लिए एक सस्ता सेंसर विकसित किया जा सके और जो कि बड़े पैमाने पर उपयोग के लिए उपयुक्त हो", इस अध्ययन के मुख्य लेखक प्राध्यापक हेमेन कलिता कहते हैं, जो गुवाहाटी विश्वविद्यालय में सहायक प्राध्यापक हैं और इससे पहले भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई में प्राध्यापक एम. असलम के पीएचडी छात्र थे।

शोधकर्ताओं ने आसानी से उपलब्ध और कम लागत वाले ग्रेफीन ऑक्साइड से 3 से 5 नैनोमीटर की माप के छोटे ग्राफीन क्वांटम डॉट्स का उत्पादन करने के लिए एक विधि का प्रस्ताव दिया है। उन्होंने एक कार्बन इलेक्ट्रोड पर ग्राफीन ऑक्साइड की एक पतली फिल्म को लेपित किया और इसे एक इलेक्ट्रोलाइट विलयन के अन्दर रखा। शोधकर्ताओं ने देखा कि जब इस ढाँचे पर विद्युत प्रवाह को लागू किया जाता है, तो ग्राफीन ऑक्साइड में कार्बन बॉन्ड अलग-अलग हो जाते हैं, और इलेक्ट्रोलाइट के अणु ग्राफीन ऑक्साइड परत में उन रिक्तियों पर कब्जा कर लेते हैं। अंततः, वे ऑक्सीजन युक्त रासायनिक समूहों वाले ग्राफीन के क्वांटम डॉट्स बनाते हैं।

प्राध्यापक कलिता कहते हैं कि "प्रयोगशाला के स्तर पर, हम अपने नए तरीके से ग्राफीन क्वांटम डॉट्स का संश्लेषण करने में सफल रहे है, और हमने संश्लेषण विधि के लिए एक पेटेंट दायर किया है"।

शोधकर्ताओं ने ग्राफीन क्वांटम डॉट्स का उपयोग करते हुए, मिट्टी की आर्द्रता जाँचने के लिए एक सेंसर का निर्माण किया हैं। यह सेंसर आकार में एक दाल के दाने से भी छोटा है। सेंसर द्वारा मापी गयी प्रदर्शित आर्द्रता की मात्रा इसके दोनों सिरों के बीच मापे गए प्रतिरोध पर निर्भर करती है और आर्द्रता की मात्रा की प्रतिशत बढ़त के साथ, प्रतिरोध में गिरावट दिखाई देती हैं। जब सेंसर को नमी वाली मिट्टी में डाला जाता है, तो ग्राफीन क्वांटम डॉट्स में मौजूद ऑक्सीजन परमाणु, पानी के हाइड्रोजन परमाणुओं के साथ संपर्क करते हैं और सेंसर की सतह पर पानी के अणुओं की एक परत बना लेते हैं। जब एक बाहरी वोल्टेज के स्रोत को सेंसर पर लगाया जाता है, तो ऊपरी परतों में अबद्ध पानी के अणु आयनित हो जाते हैं और विद्युत आवेश का संचालन करते हैं और जिसके कारण सेंसर के प्रतिरोध में गिरावट दिखाई देती है।

शोधकर्ताओं ने काली और लाल मिट्टी के नमूनों में मिट्टी की आर्द्रता को मापने के लिए सेंसर का परीक्षण किया। उन्होंने पाया कि सेंसर द्वारा मापी गई आर्द्रता की मात्रा मिट्टी के नमूनों की ज्ञात आर्द्रता की मात्रा से लगभग समान रूप से मेल खाती हैं। यह सेंसर 3 मिनट के भीतर अंतिम रीडिंग दे देता है और इसे 20 सेकंड के समय अंतराल के बाद फिर से उपयोग में लाया जा सकता है।

इसके बाद शोधकर्ताओं ने मिट्टी के नमूनों में पानी की मात्रा को मापने के लिए लगातार पाँच महीनों तक उपयोग करके सेंसर की स्थिरता का परीक्षण किया। उन्होंने पाया कि सेंसर इस पूरी अवधि में एकरूप रीडिंग देता रहा। इसलिए ये मिट्टी की आर्द्रता की जाँच के लिए अच्छी तरह से काम करता है।
"कार्यक्षेत्र में व्यापक परीक्षण और बेहतर पैकेजिंग के साथ, ये सेंसर व्यावसायीकरण के लिए उपयुक्त होंगे। कुछ कंपनियों ने हमसे संपर्क किया है और इस परियोजना को उद्योग के मोर्चे पर ले जाने के लिए हमारी टीम के साथ चर्चा शुरू की है। हम मध्यम वर्ग के किसान समुदाय के लिए एक स्थिर और किफायती सेंसर विकसित करना चाहते हैं" यह कहकर उन्होंने अपनी बात खत्म की।