शोधकर्ताओं ने द्वि-आयामी पदार्थों पर आधारित ट्रांजिस्टर निर्मित किये हैं एवं ऑटोनॉमस रोबोट हेतु अत्यंत अल्प-ऊर्जा के कृत्रिम तंत्रिका कोशिका परिपथ निर्मित करने में इनका उपयोग किया है।

बहुलक विलयन में विक्षोभ को समझने की दिशा में एक कदम आगे

Read time: 1 min25 फ़रवरी 2019
बहुलक विलयन में विक्षोभ को समझने की दिशा में एक कदम आगे

हम सभी एक विमान में हैं और अचानक विमान चालक आपको 'विक्षोभ या टर्बुलेन्स ' के कारण अपनी सीट बेल्ट को बाँधने के लिए कहता है। यद्यपि आप इस ‘विक्षोभ’ के कारण कुछ झटकों का अनुभव कर सकते हैं, लेकिन आप इसके बारे में शायद ज़्यादा न सोचे । ‘विक्षोभ’ वायु के अस्थिर एवं अस्त-व्यस्त प्रवाह के लिए एक तकनीकी शब्द है । विक्षोभ या टर्बुलेन्ट प्रवाह  हर जगह पाए जाते हैं - सितारों, सुपरनोवा, ऑटोमोबाइल इंजन में हवा और ईंधन का मिश्रण करने से लेकर घरेलू पाइपलाइनों मे पानी के प्रवाह तक।

विक्षोभ, औद्योगिक रिएक्टरों या वायुमंडल और महासागरों में बड़े पैमाने पर मिश्रण की गति को बढ़ाता है परन्तु इससे ऊर्जा की खपत में तेजी से वृद्धि होती है। विक्षोभ के मूलभूत कारण को समझना, भौतिकी में कई बड़ी चुनौतियों में से एक रहा है। इसकी सही समझ, उदाहरण के लिए, हवाई जहाज के पंखों के बेहतर डिजाइन मे सहायक होगी। यह न केवल आपको झटकों से बचाएगा बल्कि ईंधन की खपत में भारी बचत भी कर पायेगा।

हाल ही के एक अध्ययन में शोधकर्ताओं की एक टीम ने ,अपने अध्ययन के आधार पर, "फिज़िकल रिव्यु लेटर्स" नामक पत्रिका में एक लेख प्रकाशित किया है। शोधकर्ताओं की इस टीम का नेतृत्व संयुक्त रूप से भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर के प्राध्यापक वी. शंकर और जवाहर लाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च (जेएनसीएएसआर), बेंगलुरु से प्राध्यापक गणेश सुब्रमण्यम ने किया है। यह अध्ययन सैद्धांतिक रूप से उन प्रयोगात्मक परिणामों की व्याख्या करने में सक्षम है, जो बहुलक (पॉलीमर) विलयनों में आकस्मिक विक्षोभ  दिखाते हैं। उन्होंने उस प्रक्रिया को खोज निकाला  है , जिसके द्वारा इस तरह के विलयनो में विक्षोभ उत्पन्न होता है- यह एक ऐसी पहल है जो भविष्य में विक्षोभ पर  अध्ययन को बढ़ावा देकर इस क्षेत्र में दूरगामी प्रभाव ला सकती  है।

पानी या हवा की तरह तरल पदार्थ का प्रवाह उसकी चिपचिपाहट या श्यानता से वर्णित किया जा सकता है। इस चिपचिपेपन की व्याख्या आइजैक न्यूटन से सम्बंधित है, जिन्होंने पहली बार लैमिनार प्रवाह में निकटवर्ती तरल परतों की फिसलनके प्रतिरोध के संदर्भ में इसका वर्णन किया। जल और वायु  'न्यूटोनियन तरल पदार्थ' के उदाहरण हैं। ऐसे तरल पदार्थों में बहुलक की मिलावट पहले से मौजूद चिपचिपेपन के साथ एक निश्चित 'लचक' प्रदान करती है। चिपचिपा और लचीला दोनों प्रभाव प्रदर्शित करने वाले ऐसे तरल पदार्थ 'गैर-न्यूटोनियन तरल पदार्थ' के प्रमुख उदाहरणों में से एक हैं, इन्हें और उचित रूप से विस्कोइलास्टिक  तरल पदार्थ' के रूप में जाना जाता है।

इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बहुलक विलयनो में विक्षोभ के प्रारंभ की जाँच की है। बहुलक विलयन, विस्कोइलास्टिक तरल पदार्थों का  एक महत्वपूर्ण वर्ग है।  इससे यह पता चला है कि ऐसे तरल पदार्थ सिर्फ बुनियादी अध्ययन के लिए ही नहीं बल्कि औद्योगिक अनुप्रयोगों में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

आईआईटी कानपुर के प्राध्यापक वी. शंकर बताते हैं कि "विक्षोभ की दशा में पंपिंग की लागत को कम करने के लिए कच्चे तेल में पॉलिमर मिलाया जाताहै। ट्रांस-अलास्का तेल की पाइपलाइन में इस विधी का प्रयोग किया जा रहा है।"

न्यूटोनियन तरल पदार्थों में  केवल अत्यधिक प्रवाह गति पर ही विक्षोभ उत्पन्न होता है जबकि पिछले प्रयोगों से पता चला है कि विस्कोइलास्टिक तरल पदार्थों में यह बहुत कम प्रवाह गति पर ही उत्पन्न हो जाता है। हालाँकि इतनी कम गति परविक्षोभ के प्रारंभ के कारणों को अब तक समझा नहीं गया था।

पिछली शताब्दी में किए गए कई अध्ययनों से पता चला है कि न्यूटोनियन पाइप प्रवाह थोडासा विचलित करने पर भी धारारेखी रहता है। छोटेसे विचलन के लिए ऐसे प्रवाह को  'रैखिक रूप से स्थिर' कहा जा सकता हैं। द्रव गतिविज्ञान की वर्तमान धारणा के अनुसार विस्कोइलास्टिक पदार्थों के पाइप  प्रवाह कोइस न्यूटोनियन परिदृश्य के आधार पर समझा जा सकता है । यह विश्वास इतना गहरा था कि विस्कोइलास्टिक पाइप प्रवाह की स्थिरता का विश्लेषण करने का प्रयास भी नहीं किया गया । प्राध्यापक शंकर और प्राध्यापक सुब्रमण्यम कहते हैं कि जब हमने इस कमी को महसूस किया तब हमें लगा कि यह आगे खोज करने लायक है और इसीसे हमें इस अध्ययन की प्रेरणा मिली।

इस अध्ययन के शोधकर्ता सैद्धांतिक रूप से विस्कोइलास्टिक तरल पदार्थ की गति की गणना करने में कामयाब हुए हैं और इस बात की पुष्टि कर पाए हैं कि है कि बहुलक के मिलाने से धारारेखी प्रवाह अस्थिर हो जाता है और ज़रा सा विचलन  भी इसको प्रभावित करता है। प्राध्यापक शंकर ने कहा कि " आश्चर्यजनक  रूप से, हमें सर्कुलर पाइप और चैनल, दोनों ही में विस्कोइलास्टिक प्रवाह के लिए एक ही प्रकार की  रैखिक अस्थिरता मिली है , और यहाँ तक कि विस्कोइलास्टिक प्रवाह में परिवर्तन के प्रयोगात्मक अवलोकन के साथ गुणात्मक परिणाम का समन्वय पाया गया है। इस अध्ययन से  हम बहुलक विलयन में विक्षोभ की प्रक्रिया के आरंभ की उचित भविष्यवाणी कर सकेंगे ।"

अध्ययन के ये परिणाम गैर-न्यूटोनियन तरल पदार्थो  के व्यवहार और उनके व्यापक अनुप्रयोगों की हमारी समझ के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं। ये परिणाम भविष्य में सैद्धांतिक गणनाओं के लिए कम आदर्शीकृत स्थितियों के तहत 'नमूने' के रूप में भी काम करेंगे। साथ ही बहुलक (पॉलिमरिक) तरल पदार्थ के विक्षोभ प्रवाह के किसी भी भविष्य के मॉडल में महत्त्वपूर्ण घटक के रूप में इनका प्रयोग किया जा सकता है।