19वीं शताब्दी तक, चिकित्सा के रूप में लोकप्रिय रूप से स्वीकार्य जड़ी-बूटियों और जादुई औषधियों के मिश्रण से लेकर आज घाव भरने की मरहम पट्टी काफी विकसित हुई है। घाव की देखभाल अब केवल डेटॉल में डूबे हुए गाछ के टुकड़े का उपयोग करना ही नहीं है। जैव सक्रिय (बायोएक्टिव) कारकों, नैनोकणों, प्रति उपचायक (एंटीऑक्सीडेंट) कारकों, वृद्धि कारकों, पॉलिमर और अन्य के साथ, घाव भरने का विज्ञान लगातार आगे बढ़ रहा है।
एक निवर्तमान अध्ययन में, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बॉम्बे की प्रो. प्रकृति तायलिया और उनके शोध दल ने जीवाणुरोधी, प्रति उपचायक (एंटीऑक्सिडेंट) और सूजनरोधी गुणों के साथ एक किफायती द्विस्तरीय पट्टी विकसित की है। जिसके शीर्ष परत में पॉलीकैप्रोलैक्टोन जैवनिम्नीकरणीय (बायोडिग्रेडेबल पॉलिएस्टर) और चिटोसन (शैल फिश के बाहरी ढांचे में पाई जाने वाली चीनी) निहित हैं। नीचे की परत पॉलीविनाइल अल्कोहल ( पानी में घुलनशील एक सिंथेटिक बहुलक) से बनी है जिसमें करक्यूमिन (हल्दी परिवार के पौधों में पाया जाने वाला एक सूजनरोधी यौगिक) नैनोकणों और अंडे के घुलनशील छिलके का प्रोटीन होता है। उनका शोध “ नैनोमेडिसिन: नैनोटेक्नोलॉजी, बायोलॉजी, और मेडिसिन” नामक शोध पत्रिका में प्रकाशित हुआ था, जिसमें अग्रणी लेखक डॉ ममता एम. पिल्लई थी , जो प्रयोगशाला (लैब) में पोस्टडॉक्टरल फेलो हैं।
वर्तमान में, बाजार में घाव भरने वाली ३००० से अधिक विभिन्न मरहम पट्टियां उपलब्ध हैं, जिनमें से प्रत्येक विशिष्ट प्रकार के घावों के लिए उपयुक्त हैं, जो कि ऐसे घावों के लिए हैं जो सामान्य पेपर कट से अधिक गंभीर होते हैं। लेकिन, इतने विकल्पों के होते हुए भी , शिरापरक व्रण (अल्सर), दबाव व्रण (अल्सर), जलने से हुए घाव और मधुमेह जनित घावों का उपचार करना चुनौतीपूर्ण है।
दीर्घकालिक और तीव्र घाव जो जटिल हैं और इसलिए त्वचा की मरम्मत के नियमित अनुक्रम के माध्यम से प्रगति नहीं करते हैं उन स्थितियों में मरहम पट्टियों के अधम प्रति उपचायक (एंटीऑक्सीडेंट) और सूजनरोधी गुण अवरोध हैं जो विक्षत क्षेत्र को त्वरित गति से सुखाते हैं और बार-बार मरहम पट्टियां बदलने की आवश्यकता बढ़ाते हैं।
मरहम पट्टी का जीवाणुनाशक या रोगाणुरोधक होना तो समझ में आता है। परन्तु घाव की मरहम पट्टी के लिए प्रति उपचायक (एंटीऑक्सीडेंट) और सूजनरोधी गुण इतने महत्वपूर्ण क्यों हैं? संभवतः शरीर पर जब कोई घाव होता है, तो वह स्वयं को ठीक करने के लिए आणविक प्रक्रियाओं के उन्माद में चला जाता है। लड़ाकू रक्त कोशिकाओं, स्कंदन (थक्के) के कारकों और अन्य मध्यस्थों का एक समूह प्रचुरता में घाव स्थल पर सहायता ' के लिए पहुँचता है। कुछ दीर्घकालिक घावो की स्थिति में, शरीर के स्वयं को ठीक करने के उन्मादी प्रयास लाभप्रद से अधिक हानिकारक होते हैं।
दीर्घकालिक घाव सरलता से घाव भरने के सूजन-संबंधी चरण को पार नहीं कर पाते हैं, इस अवधि में आणविक प्रक्रियाएं घाव स्थल से क्षतिग्रस्त कोशिकाओं और जीवाणुओं (बैक्टीरिया) को दूर करने पर केंद्रित होती हैं। यह दीर्घकालिक घावों को घाव स्थल पर सूजन-संबंधी अणुओं और मुक्त कणों को एकत्रित करने की ओर ले जाता है जो इसे अगले चरण में प्रवेश करने से रोकता है, जो कि पुनर्निर्माण चरण है।
ऐसे परिदृश्यों में, विशेष रूप से गंभीर घावों के साथ, घावों को प्रति उपचायक (एंटीऑक्सिडेंट) और सूजनरोधी गुणों से युक्त मरहम पट्टी (जो स्वयं को अ -वैषिक बनाये रखेगी )से लाभ होगा। मरहम पट्टी घाव के स्राव का अवशोषण करने में निपुण तो होनी ही चाहिए, साथ ही उसे कोशिकाओं को ठीक करने के लिए एक नम वातावरण भी बनाए रखना चाहिए।
आईआईटी बॉम्बे के शोध दल द्वारा प्रस्तावित त्वचीय पैच इन सभी मानदंडों को पूरा करता है। इसमें शीर्ष परत पर पॉलीकैप्रोलैक्टोन और चिटोसन सम्मिलित हैं। पॉलीकैप्रोलैक्टोन का उपयोग प्रायः ऊतक अभियांत्रिकी (टिशू इंजीनियरिंग) में किया जाता है, क्योंकि इसके जल विकर्षक , जैव संगत (बायोकंपैटिबल) और जैवनिम्नीकरणीय (बायोडिग्रेडेबल) गुणों के कारण इसे फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन, यूनाइटेड स्टेट्स (FDA) द्वारा अनुमोदित किया गया है। पॉलिमर चिटोसन, जिसे एफडीए ने भी मंजूरी दी है, जीवाणुरोधी और जैवनिम्नीकरणीय (बायोडिग्रेडेबल) है। इन पॉलिमर का संयोजन घाव स्थल पर द्रव संतुलन बनाए रखने और उन्नत घाव भरने के लिए एक माइक्रोबियल बाधा प्रदान करने के लिए नमी-विकर्षक परत के रूप में कार्य करता है।
निचली परत के लिए, शोध दल ने पॉलीविनाइल अल्कोहल का उपयोग किया, जो घाव भरने वाले कारकों के साथ अंतर्निहित होकर एक जल सोख (एक्वा स्पंज) के रूप में कार्य करता है जो घाव के स्राव के लिए एक प्रचूषक का कार्य करने के साथ ही एक नम वातावरण देता है। जहां तक घाव भरने वाले कारकों का संबंध है, पुराने दिनों को याद करें जब त्वरित उपचार के लिए घावों पर हल्दी का लेप लगाया जाता था। ? यही कारण है कि , प्रो. प्रकृति तायलिया और उनके शोध दल ने त्वचीय पैच के लिए हल्दी - करक्यूमिन - से एक जैव सक्रिय (बायोएक्टिव) घटक का उपयोग किया है।
A picture of the nanofibrous dermal patch (Copyright - Cell and Tissue Engineering Lab, IIT Bombay)
करक्यूमिन को प्रबल जीवाणुरोधी और सूजनरोधी गुणों के लिए जाना जाता है। उन्होंने करक्यूमिन को नैनोकणों में परिवर्तित कर दिया ताकि घाव वाले स्थान पर करक्यूमिन अधिक आसानी से पहुँच सके। उन्होंने अंडे के छिलके की झिल्ली(मेम्ब्रेन) का भी उपयोग किया - अंडे की सफेद और खोल के बीच की पतली परत - जिसमें संरचनात्मक प्रोटीन की उच्च मात्रा होती है जो घाव भरने में तेजी ला सकती है।
"हमारी जानकारी में अभी तक घाव की कोई ऐसी मरहम पट्टी उपलब्ध नहीं है जो बहुलक-आधारित, दोहरी-स्तरित, बहु-कार्यात्मक गुणों के साथ अनुप्रयोग में सामयिक हो, अर्थात् जीवाणुरोधी, सूजनरोधी ,प्रति उपचायक (एंटीऑक्सीडेंट) हो , जिससे घाव भरने वाले गुणों में सुधार होता है। यह आविष्कार अभिनव है, और हमने इसका पेटेंट प्राप्त करने की प्रक्रिया प्रारम्भ की है, " प्रो. तायलिया कहती हैं।
शोधकर्ताओं ने प्रयोगशाला में अनेकों परीक्षणों के साथ त्वचीय पैच के घाव भरने वाले गुणों का अध्ययन और सत्यापन किया है। उन्होंने चूहों पर पैच का परीक्षण किया और व्यावसायिक रूप से उपलब्ध अन्य मरहम पट्टियों (ड्रेसिंग) की अपेक्षा घाव भरने में सुधार पाया । इसके पश्चात् , शोधकर्ता इसे मधुमेह जनित और अन्य दीर्घकालिक घावों पर परीक्षण करने की योजना बना रहे हैं।
चूंकि पैच को विकसित करने के लिए उपयोग की जाने वाली सामग्री आसानी से उपलब्ध है, जन सामान्य के लिए पैच के बहुसंख्य उत्पादन के लिए औद्योगिक प्रक्रिया को प्रभावी ढंग से बढ़ाया जा सकता है। पैच कुछ ही मिलीमीटर मोटे हैं और इन्हें किसी भी आकार में बनाया जा सकता है।
"यह पैच निस्संदेह दीर्घकालिक और तीव्र दोनों प्रकार के घावों से पीड़ित लोगों के लिए लाभप्रद होगा और हम इस उत्पाद का व्यावसायीकरण करना चाहते हैं," प्रो. तायलिया ने यह कहकर अपनी बात समाप्त की।