पार्किंसन रोग का उसके प्रारंभिक चरण में पता लगाने हेतु, चलने की शैली के गणितीय विश्लेषण का उपयोग करता एक नवीन अध्ययन।

मानव मानचित्र - अब छात्र 'मानव' परियोजना में सहायता कर सकते हैं।

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पुणे
21 दिसम्बर 2020
मानव मानचित्र - अब छात्र 'मानव' परियोजना में सहायता कर सकते हैं।

छायाचित्र: फेसबुक पेज - मानव परियोजना 

सन 2019 में, बायो टेक्नॉलॉजी विभाग (डीबीटी), भारत सरकार ने भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान पुणे (आईआईएसईआर, पुणे), राष्ट्रीय कोशिका विज्ञान केंद्र, पुणे (एनसीसीएस, पुणे) एवं परसिस्टेंट सिस्टम्स लिमिटेड, पुणे के साथ संयुक्त रूप से एक महत्वाकांक्षी परियोजना का प्रारंभ किया। उन्होंने 'मानव' नामक एक मनुष्य मानचित्र की पहल की है, जो देश में इस तरह की पहली परियोजना है। इसका उद्देश्य वैज्ञानिक साहित्य और जन डाटाबेस में उपलब्ध जानकारी के उपयोग से मनुष्य के शरीर के संपूर्ण मानचित्र का ऊतकीय, कोशिकीय एवं आणविक स्तर पर निर्माण करना है। स्वस्थ एवं अस्वस्थ अवस्थाओं में अंगों और उतकों के व्यवहार के अध्ययन के द्वारा, यह मानचित्र मानव शरीर को समग्र रूप से समझने में सहायता करता है। यह मानव शरीर के संबंध में हमारे ज्ञान-वर्धन के साथ उत्तम अथवा लक्षित दवाओं एवं उपचार को खोजने में हमारी सहायता कर सकता है।

इस परियोजना का प्रथम चरण सन 2021 तक पूरा किया जाना है। योजना के इस चरण में शोध-दल, मानव त्वचा की जानकारी एक अंग के रूप में एकत्र करेगा, एवं इन आंकड़ों को व्यापक और बोधगम्य ज्ञानश्रोत के रूप में उपलब्ध कराएगा। वैज्ञानिक और चिकित्सा समुदाय को लाभान्वित करने की क्षमता रखनेवाले इसके डाटाबेस में सहयोग के लिए क्राउड सोर्सिंग के आधार पर, यह परियोजना देश भर के छात्रों एवं संकाय सदस्यों को आमंत्रित कर रही है। इस प्रयत्न में भाग लेने वाले छात्र वैज्ञानिक साहित्य को पढ़ने और संबंधित विषय को आत्मसात करने का कौशल विकसित कर सकेंगे।

नया शोध बहुधा पुराने कार्य पर निर्मित होता है, जिसकी जानकारी कई शोध लेखों, समीक्षाओं और विभिन्न शोध-पत्रिकाओं में प्रकाशित डाटाबेस में बिखरी होती है। दिए गए किसी लेख में से महत्वपूर्ण पाठ को चिह्नित करना अंतर्लेखन अर्थात एनोटेशन कहलाता है और यह एक पुस्तक या मुद्रित लेख को पढ़ते समय किसी कलम से चिन्हांकन करने के समान होता है। शोधकर्ता सामान्यत: उनके द्वारा पढे गए आलेखों से प्राप्त अंतर्लेखन या टिप्पणियों का उपयोग जानकारी को जोड़ने और संग्रह के लिए करते हैं। "यह शोधार्थियों को शोध-पत्रों में निहित वैज्ञानिक सामग्री को समझने तथा उनके मध्य सह-संबंध स्थापित करने की अनुमति प्रदान करता है साथ ही अध्ययन में प्रयुक्त प्रभावी पद्धति और उपकरणों की पहचान करने में भी सहायता करता है," नागराज बालासुब्रमनियन समीक्षा करते हैं। वह आईआईएसईआर में प्राध्यापक हैं और अपने संस्थान में 'मानव' उपक्रम का नेतृत्व कर रहे हैं।


पुणे विश्वविद्यालय में गत वर्ष आयोजित आउटरीच गतिविधि [छवि: टीम मानव]

इस परियोजना में भाग लेने वाले छात्रों और शोधकर्ताओं को एक समय पर एक वैज्ञानिक शोध-पत्र या लेख (प्रथम चरण में विशेषकर त्वचा जीव विज्ञान पर केंद्रित) सौंपे जाते हैं। वे विषय को पढ़ते हैं और टिप्पणियाँ जोड़ते हैं, जिसे प्लेटफ़ॉर्म सॉफ़्टवेयर अभिग्रहित कर एक डाटाबेस में संग्रह करता है। शोधकर्ता तब विज्ञान के विशाल संग्रह में से सूचना को एकत्र करने और जोड़ने में व्यतीत होने वाले समय की बचत करते हुये, सभी स्थानों से एकत्र इस जानकारी तक आसानी से पहुँच पाएंगे। लगभग 15000 छात्रों, 250 संकाय सदस्यों, 160 समीक्षकों एवं 140 विशेषज्ञों ने इस परियोजना के लिए नामाभिलेखन अर्थात साइन-इन किया है।

छात्रों द्वारा किए गए अंतर्लेखन की समीक्षा दो चरणों में की जाएगी। "छात्रों के योगदान के साथ-साथ, हमें समीक्षकों और निपुण समीक्षकों के निकाय की भी आवश्यकता होगी," यह कहना है मानव की परियोजना प्रबंधक अर्चना बेरी का। "समीक्षक के रूप में योगदान करने के लिए हम वरिष्ठ पीएचडी छात्रों, पोस्ट-डॉक्टरेट्स विद्वानों, वैज्ञानिकों, डॉक्टरों और शिक्षकों की ओर देख रहे हैं," वह आगे कहती हैं।

यह प्लेटफ़ॉर्म योगदानकर्ताओं के द्वारा अंतर्लेखित पाठ को कई परिभाषित श्रेणियों में भरने एवं वर्गीकृत करने की स्वीकृति देगा। इस पाठ्य सामग्री का संबंध किसी अंग की संरचना से, इसे प्रभावित करने वाले किसी रोग से, इसके उपचार में प्रयुक्त दवाओं से अथवा कोशिकीय प्रक्रम से जुड़े हुये जीन्स एवं पाथवे से हो सकता है। "ऐसे अंतर्लेखित पाठ्य सामग्री के डाटाबेस में एक विशिष्ट अंग या ऊतक से संबंधित विभिन्न क्षेत्रों की जानकारी होगी। उदाहरण के लिए, जब कोई 'स्किन फाइब्रोब्लास्ट्स' का अवलोकन करता है तो उसे 'स्किन फाइब्रोब्लास्ट्स' से संबंधित संपूर्ण जानकारी को इंगित कर पाने में सक्षम होना चाहिए। इन प्रत्युत्तर आकड़ों में फाइब्रोब्लास्ट्स के अस्तित्व एवं प्रवास भी शामिल हैं," नागराज स्पष्ट करते हैं।

मानव अंतर्लेखन प्लेटफॉर्म को मुक्त-श्रोत अर्थात ओपन-सोर्स और स्व-विकसित उपकरणों के उपयोग से बनाया गया है एवं यह एक अनुकूलन योग्य और पुनर्नियोज्य सॉफ्टवेयर समाधान है। इसमें निरीक्षक के द्वारा मैनुअल एनोटेशन के लिए एक अंतर्निहित समीक्षा प्रणाली भी है। कार्य-दल ने एक कार्यशाला के दौरान 100 छात्रों का समावेश करते हुये अवधारणा का एक प्रमाण दिया है, जो कि एनोटेशन दिशा निर्देशों, डाटा कैप्चर और डाटा सत्यापन की पुष्टि करता है। अगले चरण में, इस परियोजना में शोध-पत्रों के वर्गीकरण और छात्रों के मध्य उनके आवंटन को स्वचालित बनाने की योजना है।

विस्तृत और उपयोगी अंतर्लेखन करना एक बड़ा काम है और अभिव्यक्ति की विविधता के द्वारा उत्पन्न हुई व्यक्तिपरकता के कारण चुनौती-पूर्ण हो सकता है। डाटा के अंतर्लेखन, निरीक्षण एवं इसकी अभिव्यक्ति के लिए मानव टीम मशीन लर्निंग एवं कृत्रिम प्रज्ञा अर्थात आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित मार्ग भी खोज रही है," एनसीसीएस के कृष्णाशास्त्री कहते हैं। "प्लेटफॉर्म प्लग-इन मशीन लर्निंग पर आधारित स्वचालित अंतर्लेखन का विकल्प भी देता है," परसिस्टेंट सिस्टम्स की परियोजना अन्वेषक अनामिका कृष्णपाल आगे कहती हैं। 


एक आउटरीच वेबिनार [छवि: टीम मानव]

छात्रों को वैज्ञानिक अध्ययन से अवगत कराने एवं उन्हें डाटा विज्ञान एवं इसके अनुप्रयोगों, विशेषकर जीव विज्ञान से परिचित करवाने के लिए 'मानव' परियोजना विभिन्न अग्रगामी गतिविधियों का संचालन करती है। "मूल योजना महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय परिसरों में गोष्ठियों को आयोजित करने की थी। यद्यपि, कोविड -19 के कारण, अब हम जाल-गोष्ठियों अर्थात वेबिनार्स का आयोजित कर रहे हैं," नागराज सूचित करते हैं। टीम "वैज्ञानिक साहित्य को कैसे पढ़ा जाए" विषय पर लगभग 70 जाल-गोष्ठियों का संचालन कर चुकी है, जिसमें अब तक 7000 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया है। इस परियोजना के माध्यम से सारे विश्व के वैज्ञानिकों द्वारा संचालित एक डाटा साइंस वेबिनार सीरीज़ भी प्रारम्भ की गई है, जो मानव के यूट्यूब चैनल पर संग्रहित है और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है। अब तक संचालित इस प्रकार की 12 जाल-गोष्ठियों में देश भर के 4000 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया है।

"हमारा वर्तमान कार्य छात्रों और शिक्षकों तक पहुँचना है ताकि वे मानव परियोजना के लक्ष्य को भली-भांति समझ सकें। इस राष्ट्रीय उपक्रम का एक भाग बनने के लिए इसके प्रति उनके आकर्षित एवं उद्यमित होने की हम आशा करते हैं," नागराज कहते हैं। बाद में, उनकी योजना इस मंडल में शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं, चिकित्सकों और फार्मासिस्टों को लाने की है ताकि आगे डाटाबेस बनाया जा सके। परियोजना दल डाटा के विभिन्न संयोजनों को भी खोज सकने वाले एक आकर्षक उपयोगकर्ता इंटरफेस के साथ, एकत्रित ज्ञान को संक्षिप्त रूप से दर्शाने का मार्ग भी खोज रहा है।