पिक्साबे छायाचित्र: व्लादिमिर बायनेविच
प्राथमिक जन सेवाओं जैसे मार्ग, परिवहन, विद्यालय एवं अन्य सामाजिक घटकों तक सभी की पंहुच को एक दक्ष प्रशासन ही सुनिश्चित करता है। सामाजिक समानता एक ऐसा शब्द है जो इन घटकों तक निष्पक्ष एवं न्यायोचित सुगमता को परिभाषित करने के लिए उपयोग किया जाता है। प्रगतिशील समाज के लिए विद्यालयों तक पंहुच एक प्राथमिक आवश्यकता है, एवं सामाजिक समानता को नियंत्रित करने वाला एक महत्वपूर्ण मापदंड है। अधिकांश बच्चों की विद्यालय में उपस्थिति को सुनिश्चित करने हेतु क्षेत्र में एक यथोचित परिवहन तंत्र की बड़ी भूमिका है। अतएव, एक सुदृढ़ परिवहन प्रणाली, शैक्षिक समानता कारक (एजुकेशनल इक्विटी फेक्टर) में वृद्धि करती है।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मुंबई (आईआईटी बॉम्बे) के सिविल अभियांत्रिकी विभाग के डॉ. गोपाल पाटिल एवं श्री गजानन्द शर्मा ने इसके आकलन के लिए एक जटिल विश्लेषण किया कि विद्यालय जाने वाले बच्चों के लिए निजी एवं विद्यमान सार्वजनिक परिवहन प्रणालियाँ कितनी सुगम हैं। उनका अध्ययन वृहन्मुंबई पर केन्द्रित था, एवं उनकी शोध “सिटीज" नामक एक एल्सिविर शोध पत्रिका, में प्रकाशित हुई।
शोधकर्ताओं ने आकलन किया कि क्या क्षेत्र में यथोचित लोक परिवहन व्यवस्था , एकसमान वितरण एवं विद्यालयों की वांछित संख्या उपलब्ध थी, तथा ये कारक बच्चों की विद्यालयीन सुविधाओं के समतापूर्ण वितरण की प्राप्ति में किस प्रकार से सहायता कर सकते हैं। उन्होंने अनेकों चर-कारकों (वेरियेबल पैरामीटर) जैसे कि विद्यालय जाने में लगने वाला समय, विद्यालयों में नामांकित छात्रों की संख्या, सार्वजनिक एवं निजी परिवहन प्राप्त करने की सुगमता तथा और भी बहुत कुछ सूचनाएँ एकत्र की।
उनके अध्ययन के परिणाम स्पष्ट करते हैं कि वृहन्मुंबई के समस्त क्षेत्रों में परिवहन सुविधाएं एक समान रूप से वितरित नहीं हैं। कुछ भागों में बस स्टॉप एवं रेलवे लाइन्स बहुतायत में स्थापित हैं जो विद्यालयों की पंहुच को सुगम बनाते हैं। अत्यधिक दूर स्थित एवं उत्तम रेल सुविधा वाले, अर्थात 40-60 मिनिट या अधिक के यात्रा समय एवं क्षेत्रों के विद्यालयों के लिए, सार्वजनिक एवं निजी परिवहन समान रूप से सुलभ है। अध्ययन निर्विवाद रूप से यह स्थापित करता है कि शहर भर में शैक्षिक असमानता को दूर किए जाने की आवश्यकता है। अध्ययन के लेखक इन्हें दूर करने के लिए कुछ उपाय सुझाते हैं, जो नगर में ढांचागत योजन नीति बनाने के काम आ सकते हैं।
शोधकर्ताओं ने नगर निगम द्वारा परिभाषित वृहन्मुंबई क्षेत्र के 577 क्षेत्रों में स्थित 4308 विद्यालयों का विश्लेषण किया, जिनका प्रसार लगभग 460 वर्ग किलोमीटर में है। शोधकर्ताओं ने विद्यालयों, बस स्टॉप एवं अन्य उपयुक्त भौगोलिक कारकों की स्थित जानने हेतु भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) सॉफ्टवेअर का उपयोग किया। इस प्रकार उन्होंने आकलन किया कि प्रत्येक विद्यालय परिवहन सुविधाओं से किस प्रकार जुड़ा हुआ है। अंतत: उन्होंने विद्यालयों की पहुँच को इसमें लगने वाले 10 से 40 मिनिट तक के यात्रा समय के आधार पर वर्गीकृत किया।
शोधकर्ताओं ने तब एक क्षेत्र के अंदर तथा अन्य 576 क्षेत्रों के मध्य विद्यालयों से सम्बद्ध परिवहन सुविधाओं की उपलब्धता का मापन किया। उन्होंने लिंग-विशिष्ट कारकों (विद्यालयों में नामांकन संख्या के आधार पर), निजी एवं सार्वजनिक परिवहन यात्रा समय, मार्ग एवं रेल परिवहन सुविधा, विद्यालयों में नामांकन का स्तर एवं अन्य संबन्धित कारकों का भी ध्यान रखा। तत्पश्चात उन्होंने स्थानिक आंकड़ा विश्लेषण अलगोरिद्म एवं सॉफ्टवेयर तकनीक के द्वारा आंकड़ों के विशालकाय समूह का विश्लेषण किया।
लॉरेंज वक्र असमानताओं के विश्लेषण के लिए प्रयुक्त की जाने वाली एक आलेखीय (ग्राफिकल) पद्धति है - जो वर्तमान संदर्भ में, विभिन्न परिस्थितियों के लिए, विद्यालयों की सुलभता के विरुद्ध छात्र संख्या के रूप में निरूपित है। लाइन ऑफ इक्विटी एवं लॉरेंज वक्र के मध्य के क्षेत्र तथा लाइन ऑफ इक्विटी एवं क्षैतिज अक्ष के मध्य के क्षेत्र का अनुपात - जो जिनी सूचकांक कहलाता है - विद्यमान असमानता का आकलन देता है।
आदर्श रूप में, लॉरेंज वक्र एक सीधी रेखा होगी यदि जनसंख्या भर में एक सुविधा समान रूप से उपलब्ध है। सीधी रेखा से विचलन एक सुविधा की सुलभता में असमानता को दर्शाता है। एक शून्य मान का जिनी सूचकांक आदर्श परिस्थितियों के अनुरूप होता है; जैसे-जैसे इसके अंक में वृद्धि होती है, यह सुविधाओं की सुलभता के असमान स्तर को व्यक्त करने लगता है। 01 मान का जिनी सूचकांक अत्यधिक अनुचित वितरण समझा जाता है।
"हमने पाया कि वृहन्मुंबई ने अनेकों कारकों के लिए विभिन्न क्षेत्रों में 0.5 से 0.7 का जिनी सूचकांक निर्दिष्ट किया," डॉ. पाटिल कहते हैं।
परिवहन सुविधा घटक के लिए, उनका विश्लेषण दर्शाता है कि अधिकांश क्षेत्रों में 10 से 40 मिनिट के विद्यालयीन यात्रा समय के लिए सार्वजनिक परिवहन की सुलभता, अपेक्षाकृत रूप से क्षीण है। इन यात्रा समयों हेतु सार्वजनिक परिवहन की तुलना में निजी परिवहन सुगमता से उपलब्ध था। यद्यपि, 40-60 मिनिटों या 90 मिनिटों तक के लिए, सार्वजनिक अर्थात रेल अनुमार्ग एवं निजी परिवहन के मध्य किंचित सा अंतर ही प्रकट होता है। "हमने पाया कि अधिकांश यथोचित सुविधाएं रेल मार्गों के निकट थीं। इसके परित: स्थित क्षेत्र में परिवहन की एकसमान सुगमता उपलब्ध थी जिसने यात्रा समय को सामान्य बनाया, डॉ. पाटिल कहते हैं।
शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि प्राथमिक विद्यालयों की तुलना में माध्यमिक विद्यालयों की संख्या कम थी एवं दूर स्थित थे। इसके अतिरिक्त, माध्यमिक विद्यालयों की प्राप्यता भी प्राथमिक विद्यालयों की तुलना में कम थी, जो असमानता में वृद्धिकारक थी। माध्यमिक विद्यालयीन शिक्षा व्यक्ति के समग्र विकास में सहायक होती है तथा इसकी क्षीण सुलभता उनकी आजीविका योग्यता को भी प्रभावित करती है।
शोधकर्ताओं ने पाया कि परिधीय क्षेत्र जैसे भांडुप एवं गोराई विद्यालयों की पर्याप्तता से वंचित हैं, वहीं मानखुर्द, माहुल एवं ट्रोम्बे जैसे क्षेत्रों में सार्वजनिक परिवहन में सुधार की आवश्यकता है।
Image courtesy: Authors of the study
"हमारी शोध ने नगरीय नियोजन एवं परिवहन के परिपेक्ष्य में स्थानिक एवं सामाजिक समानता का मूल्यांकन किया है, एवं विद्यमान असमानताओं के निदान के लिए आवश्यक नीतिगत उपायों हेतु एक तंत्र सुझाया है।
उनका अध्ययन बताता है कि वृहन्मुंबई के विभिन्न क्षेत्रों में विद्यालयों की संख्या, वाहनों एवं स्थानीय रेलमार्गों में वृद्धि करने की आवश्यकता है।
डॉ. पाटिल कहते हैं "एक बार मेट्रो लाइन का वर्तमान चरण क्रियाशील होने पर हम अपने विश्लेषण में संशोधन करेंगे और परिणामों को अद्यतन करेंगे।"