अन्स्प्लेश छायाचित्र : हॉवर्ड बौशेवेरयो
अध्ययन से ज्ञात होता है कि टेनिस का खेल बहुत कुछ सूचना एवं सम्प्रेषण प्रौद्योगिकी पर निर्भर करता है।
जानकारी के अनुसार 2019 में, जब कि पाँच लाख से अधिक लोगों ने विंबलडन चैंपियनशिप, जो कि सबसे बड़ी खेल प्रतियोगिताओं में से एक थी, में भाग लिया, और खेल के वीडियो लगभग 38 करोड़ बार ऑनलाइन देखे गये। कार्य स्थल पर रोबोटिक कैमरे और आभासी साक्षात्कार कक्ष स्थापित किए गए। टेनिस का खेल अब केवल स्टेडियम में स्थित लोगों तक सीमित नहीं रहा है। प्रौद्योगिकी ने खिलाड़ियों, प्रशिक्षकों, रेफ़री, गेंद लाने वालों, आयोजकों एवं प्रशंसकों के निकट अपनी उपस्थिति की अनुभूति करा दी है। साथ ही, सामाजिक प्रसार माध्यमों के विकास के साथ-साथ, टेनिस कोर्ट की प्रत्येक गतिविधि को विश्व भर के लोगों द्वारा देखा, जाँचा और इसका विश्लेषण किया जाता है।
डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म, सामाजिक प्रसार माध्यम एवं अन्य प्रौद्योगिकी जो आभासी संवाद को सक्षम बनाती हैं - और जो सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) कहलाती है - टेनिस जैसे खेल का अभिन्न अंग बन चुकी हैं । डॉ. विद्या बालासुब्रमणियन, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मुंबई (आईआईटी बॉम्बे) के नेतृत्व में शोधकर्ताओं के एक दल, एवं इंस्टीट्यूट फ्रेंकलिन रिसर्च इनोवेशन सोसाइटी (आईएफ़आरआईएस), फ्रांस की डॉ. मॅरियाने नोल के द्वारा किए गए एक नवीन अध्ययन में यह देखा गया कि आईसीटी केवल खेल का ही एक निष्क्रिय भाग नहीं है। बल्कि यह इससे संबद्ध लोगों के जीवन को और इसके आसपास की अर्थव्यवस्था को भी आकार देता है। यह अध्ययन आईएफ़आरआईएस द्वारा समर्थित था।
"जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में प्रौद्योगिकी एक अदृश्य आवरण बन चुकी है " डॉ. सुब्रमणियन कहती हैं। " इसलिए इसे प्रत्यक्ष रूप में लाने एवं हमारे जीवन पर सामूहिक तथा व्यक्तिगत रूप से इसके प्रभाव को समझने के लिए इसका अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है।"
टेनिस खेल के दौरान सामाजिक प्रसार मंच जैसे कि फेसबुक और ट्विटर सामान्यत: स्पर्धाओं, क्रीड़ा-प्रतियोगिताओं, कार्यक्रमों एवं खिलाड़ियों के वार्तालापों से गुंजायमान रहते हैं। ठीक यही प्रचलन वर्तमान अध्ययन के शोधकर्ताओं ने, भारत में स्पर्धाओं की चर्चा के लिए व्हाट्सएप समूहों का उपयोग करने वाले खेल प्रशंसकों के मध्य भी पाया। व्यवसाय अपने ब्रांड को बेचने और उत्पादों के विज्ञापन हेतु इन मंचों पर बहुसंख्य उपयोगकर्ताओं के जुड़े होने का लाभ लेते हैं। यह परिणामत:, आधार-भूत सुविधाओं के वित्तपोषण को, समारोह आयोजन के संचालकों को और स्वयं खिलाड़ियों को प्रेरित करता है। टेनिस मात्र मनोरंजन नहीं है बल्कि प्रौद्योगिकी पर आधारित एक फलती फूलती अर्थव्यवस्था है।
फ़्रेंच ओपन 2017 में पेरिस स्थित टेनिस कोर्ट स्टेड रोलैंड गॅरोस की यात्रा के दौरान शोधकर्ताओं ने जाँच की कि कैसे बड़ी-बड़ी टेनिस-प्रतियोगिताओं के अनुभव को प्रौद्योगिकी के द्वारा आकार दिया गया। उन्होंने पाया कि प्रौद्योगिकी ने ऑनलाइन टिकट प्रणाली से लेकर, आगंतुकों की गतिविधियों पर निगाह रखने हेतु रेडियो-आवृत्ति पहचान (आरएफ़आईडी) चिपों से युक्त कलाई बंधन और खेलने के तरीकों तक, प्रत्येक पक्ष को सक्रिय रूप से गति प्रदान की।
विकसित बल्लों एवं जूतों तथा भौतिक चिकित्सा सहित प्रशिक्षण के माध्यम से टेनिस कोर्ट में अपने प्रदर्शन की उन्नति के लिए खिलाड़ी प्रौद्योगिकी पर बहुत निर्भर हैं । प्रतियोगिता के दौरान, कोर्ट में 'हॉक-आई' नामक एक कंदुक-अनुसरण प्रौद्योगिकी अर्थात बाल ट्रेकिंग टेक्नोलॉजी को अपनाने के साथ, अंपायरिंग की प्रौद्योगिकी संदिग्ध त्रुटियों से तार्किक रूप से मुक्त हो चुकी है। किंतु, प्रौद्योगिकी पूरी तरह से त्रुटिहीन नहीं है और इसने कई विवादों को जन्म दिया है।
कई पर्दों पर खेल को दिखाना, अंक पटल और आगामी कार्यक्रम की उल्टी गिनती के चलते, शोधकर्ताओं ने पाया कि दर्शकों के टेनिस दौरे का संपूर्ण प्रेक्षण अनुभव प्रौद्योगिकी में रचा बसा था। उन्होंने हर तरह की जगहें विज्ञापनों के लिए उपयोग होते हुये देखीं ; यहाँ तक कि एम्पायर के आसन को भी नहीं छोड़ा गया था। टेनिस के प्रति दर्शकों की रूचि जाग्रत करने हेतु स्थानीय टेनिस सितारों को दर्शाने वाले विज्ञापनों का उपयोग किया गया ।
आयोजकों ने कथित रूप से आसान बनाने के लिए विशेष उद्देश्यों से युक्त एप की सुविधा दी जिसने यात्रा को सुगम बना दिया, एवं आगंतुक अपने फोन को चार्ज करने के लिए प्रायोजित सौर ऊर्जा संचालित केंद्रों का भी लाभ उठा सके। कार्यक्रम स्थल, विभिन्न ब्राण्डों के द्वारा प्रायोजित, आभासी वास्तविक जगत को भी दिखा रहा था, जहाँ आगंतुक प्रश्न-मंच के उत्तर दे सकते थे, अपनी स्व-छवि अप-लोड कर सकते थे अथवा अपने आभासी अवतारों के माध्यम से टेनिस खेलने के लिए होलोटेनिस का उपयोग कर सकते थे।
विभिन्न सामाजिक प्रसार प्रणालियों के माध्यम से दल ने पाया, कि शीर्ष श्रेणी के टेनिस खिलाड़ियों में से अधिकांश, आयोजकों एवं प्रशंसकों के संपर्क में रहने के लिए लोकप्रिय सामाजिक प्रसार प्रणालियों जैसे कि ट्विटर, फेसबुक एवं इन्स्टाग्राम का उपयोग करते हैं। 2016 के ऑस्ट्रेलियन ओपन के दौरान अपनी अधिकांश ट्वीट्स में, इन सितारों ने अपनी लोकप्रियता का उपयोग उन ब्राण्डों की प्रगति के लिए किया जिसका वे प्रतिनिधित्व करते थे।
"खिलाड़ी अपना मत देते हैं, पर्दे के पीछे की सूचनाएँ देते हैं तथा छवियाँ साझा करते हैं, अन्यथा यह सब प्रेस में नहीं आ पाता," टेनिस सितारे कैसे ट्विटर पर व्यस्त होते हैं, इस संबंध में डॉ. सुब्रमणियन बतलाती हैं। "कई खिलाड़ियों की सामाजिक प्रसार माध्यमों में प्रेषित सामग्री स्वयं ही एक समाचार बन जाती हैं।"
अब जबकि कुछ ही क्लिक सितारों और प्रशंसकों को पृथक करते हैं, तो खिलाड़ियों के सार्वजनिक और निजी जीवन के बीच की सीमाएँ भी अस्पष्ट हो जाती हैं। सामाजिक प्रसार माध्यमों पर खिलाड़ियों के ऊपर किए गए गहन नकारात्मक एवं व्यक्तिगत आक्षेप कभी-कभी खेल के परिणामों पर आधारित होते हैं, जो खिलाड़ियों के लिए मानसिक आघात और यहाँ तक कि अवसाद का कारण भी बनते हैं और आगे चलकर वे खेल भी छोड़ देते हैं।
अध्ययन ने निष्कर्ष निकाला कि प्रौद्योगिकी खेल को संचालित करती है, यहाँ तक कि खिलाड़ी भी अर्थव्यवस्था रूपी चक्र की एक कड़ी मात्र होते हैं। "यह खिलाड़ियों एवं प्रेक्षकों दोनों के लिए हितकर होगा यदि खेल, अथवा किसी भी खेल में होने वाले तकनीकी हस्तक्षेप केवल यथा-तथा अर्थात बाय-डिफ़ाल्ट 'हुये' न होकर अभिप्राय पूर्ण एवं पर्याप्त रूप से पूर्व-विचारित हों," डॉ. सुब्रमणियन कहती हैं।
आगे, शोधकर्ताओं का विश्वास है कि इस बात पर पर्याप्त अध्ययन नहीं हो पाया है कि खेल के नियमों का निर्धारण करने वाले आयोजन निकायों सहित, प्रौद्योगिकी ने खेल के व्यवस्थापन संबंधी पक्षों को किस प्रकार से आकार दिया है।
"भारत के अंदर, समस्त खेलों, विशेष रूप से क्रिकेट के प्रबंधन और आंतरिक कार्यों में अध्ययन की बहुत गुंजाइश है," डॉ. सुब्रमणियन ने आगे कहा । जैसे-जैसे खेलों में अधिक से अधिक आकड़ों और तकनीक की पैठ बढ़ती जाएगी, खेल नीति एवं खेल प्रबंधन को और सचेत होकर देखना होगा कि कैसे प्रौद्योगिकी खेल में अंतर्निहित होती है,” कहकर उन्होंने अपनी बात समाप्त की।