शोधकर्ताओं ने द्वि-आयामी पदार्थों पर आधारित ट्रांजिस्टर निर्मित किये हैं एवं ऑटोनॉमस रोबोट हेतु अत्यंत अल्प-ऊर्जा के कृत्रिम तंत्रिका कोशिका परिपथ निर्मित करने में इनका उपयोग किया है।

प्रतिकर्षी रंग से लेपित सतहों पर द्रव की प्रतिक्रिया

Read time: 1 min
मुंबई
7 मई 2021
प्रतिकर्षी रंग से लेपित सतहों पर द्रव की प्रतिक्रिया

चित्र: युवराज सिंह, अन्स्प्लैश

तरल द्रव्य,गैस और द्रवों जैसे प्रवाहित होने वाले पदार्थ हैं। भौतिकविदों ने लंबे समय तक गणित के उपकरणों का उपयोग करके इनकी गति का अध्ययन किया है। कभी कभी तरल पदार्थों की गति पूर्वानुमान योग्य होती है जबकि कभी-कभी ये पूर्ण रूप से अव्यवस्थित होने के कारण किसी भी गणितीय रूप में परिभाषित नहीं हो पाते हैं। विक्षोभ (टर्बुलेंस) या तरल पदार्थ की अराजकतापूर्ण गति असमान प्रतीत होती हुई वस्तुएं जैसे हवाई यात्रा और मौसम संबधी जानकारी को प्रभावित करती है, लेकिन आज भी ये सबसे कम समझे जाने वाली भौतिकी में से एक है।

दो सतहों के बीच का घर्षण या प्रतिरोध, यह निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है कि तरल पदार्थ ठोस सतहों पर कैसे प्रतिक्रिया करते हैं। हाल ही के एक अध्ययन में, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मुंबई के शोधकर्ताओं ने अध्ययन किया है कि द्रव-विकर्षक पदार्थों से बने ठोस सतहों को संशोधित करने से द्रव का प्रवाह किस प्रकार परिवर्तित होता है। ये शोध कार्य जर्नल ऑफ फ्लूड मैकेनिक्स नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

शोधकर्ताओं ने लंबरूप पारदर्शी सिलेंडर निहित एक चौकोर आकार के चेम्बर (टनल) में जल की गति का अध्ययन किया। उन्होंने सिलेंडर को जल-विकर्षक (वॉटर-रिपेलेंट) पेंट से लेपित किया, जिससे पानी सतह पर से फिसल जाए। इस अध्ययन के लेखकों में से एक, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मुंबई के प्राध्यापक अतुल शर्मा कहते हैं कि यह सतह पर आने वाले द्रव को फिसलने देता है।

शोधकर्ताओं द्वारा प्रयुक्त परीक्षण सेटअप को दर्शाता चित्र। [चित्र श्रेय: डॉ पी. सूरज, अध्ययन के एक लेखक (DOI: https://doi.org/10.1017/jfm.2020.371), मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मुंबई]

शोधकर्ताओं ने नलिका में बह रहे पानी में संकलित कांच के छोटे कणों की गति का पता लगाया। उन्होंने प्रयोगात्मक सेटअप पर एक लेजर चमक द्वारा, कैमरे से कांच के कणों की छवि को कैद कर, प्रवाह के विभिन्न गुणधर्मों को मापने के लिए इन कणों की स्थिति और समय के आंकड़ों (डेटा) का उपयोग किया। उन्होंने इन आंकड़ों का विश्लेषण कर यह अध्ययन किया कि प्रवाह गति के साथ कैसे बदलता है - क्या प्रवाह स्थिर था या प्रति कुछ सेकेंड्स में एक प्रतिमान का अनुसरण कर रहा था या अव्यवस्थित और अप्रत्याशित था। उन्होंने देखा कि जब उन्होंने नलिका (टनल) में पानी की गति 18 मीटर / घंटा से बढ़ाकर 1.8 किलोमीटर / घंटा कर दी, तो प्रवाह स्थिर रूप से अस्थिर रूप और अंततः अराजक स्थिति में चला गया।

शोधकर्ताओं ने सिलेंडर के पृष्ठ भाग पर अपना ध्यान केंद्रित किया, जिसमें से पानी प्रवाहित हो रहा था। उन्होंने पाया कि कम प्रवाह गति पर, पानी सिलेंडर के सामने और पीछे की सतहों के चारों ओर लिपटा रहा। जैसे-जैसे प्रवाह गति बढ़ाई गई वैसे वैसे सिलेंडर के सामने की सतह के चारों ओर पानी बहता रहा।

"हालांकि, सतह पर बने रहने की बजाय, पीछे की सतहों पर प्रवाह इसे छोड़ देता है," प्राध्यापक शर्मा बताते हैं। इस परिधि में उन्होंने देखा कि पानी की गति इसकी आवक गति से कम है । अध्ययन के एक अन्य लेखक, प्राध्यापक अमित अग्रवाल ने कहा कि, "यह घटना ठीक वैसी ही है जैसी हम एक नौका के पीछे देखते हैं।"

जैसे ही पानी ठोस सिलेंडर से आगे बढ़ता है, वह सिलेंडर को अपने साथ खींच ले जाने कि कोशिश करता है, यह ठीक उसी तरह है जैसे कोई व्यक्ति नदी के बीच खड़ा होने पर प्रवाह के साथ बहने लगता है। शोधकर्ताओं ने पाया कि सिलेंडर पर पानी के इस खिंचाव को कम करने के लिए जल-प्रतिकर्षी पेंट पर्याप्त था, मानो सम्पूर्ण ठोस पदार्थ तरल का विकर्षण कर रहा था। यह पाया गया कि कम गति पर जब प्रवाह स्थिर होता है, तब विकर्षण प्रभाव अधिक स्पष्ट रूप में होता है। साथ ही यह देखा गया है कि रंगहीन सतह की अपेक्षाकृत जल-प्रतिकर्षी रंग से लेपित सतह में 15% कम खिंचाव होता है।

प्राध्यापक शर्मा ने पिछले अध्ययनों की सीमाओं के बारे में बताते हुए कहा, "सतह की बनावट और इसके निहितार्थ पर विचार करने में हम अग्रणी हैं।" उनके अनुसार, अध्ययन ने सिलेंडर जैसे सतहों के आंतरिक भाग से तरल प्रवाह का विश्लेषण किया जबकि अन्य लोग जिन्होंने सिलेंडर की बाहरी सतहों पर प्रवाह का अध्ययन किया, वे प्रत्यक्ष प्रयोगों के बजाय कंप्यूटर पर संख्यात्मक अनुकरण ( सिमुलेशन) पर निर्भर थे।

पेंट से ऐसा प्रतीत होता है मानो पानी ठोस पदार्थ से टकराकर उछाल मारता है। शोधकर्ताओं ने देखा कि जब कणों का विकर्षण होता है, तो वे सतह के साथ घूमते हैं, जिसके दिलचस्प परिणाम हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, अगर कारों की विंडशील्ड को इस तरह के पेंट के साथ लेपित किया जाये, तो स्क्रीन पर गिरने वाली बारिश, स्क्रीन पर से उछलते हुए अपने साथ गंदगी दूर ले जाएगी, जिससे वाइपर की आवश्यकता समाप्त हो सकती है। इसके अलावा, हवादार क्षेत्रों में यात्रा करने वाले वाहन सतह और हवा के बीच खिंचाव को दूर करने के लिए अधिक ईंधन की खपत करते हैं।

प्राध्यापक अग्रवाल जल-प्रतिकर्षी पेंट से लेपित वाहनों के प्रवाह में आए बदलाव के बारे में बात करते हुए कहते हैं कि, "हम जो प्रभाव देखते हैं, वह जल और हवा में चलने वाले विभिन्न वाहनों की ईंधन खपत में उचित कमी ला सकते है।"