पार्किंसन रोग का उसके प्रारंभिक चरण में पता लगाने हेतु, चलने की शैली के गणितीय विश्लेषण का उपयोग करता एक नवीन अध्ययन।

विषम कोशिकाओं को ढूंढकर बाहर निकालना

Read time: 1 min
दिल्ली
19 मई 2019
विषम कोशिकाओं को ढूंढकर बाहर निकालना

आईआईटी और आईआईआईटी दिल्ली के शोधकर्ताओं ने दुर्लभ कोशिकाओं को खोजने के लिए एक एल्गोरिदम डिज़ाइन किया है।

हमारा शरीर अरबों-खरबों कोशिकाओं से मिलकर बना होता है, जिसमें सभी तरह की आकृति, आकार और प्रकार शामिल हैं। इस जीवन्त विविधता में कुछ गैर ज़रूरी कोशिकाएँ भी रहती हैं, जैसे ट्यूमर कोशिकाएँ, कैंसर स्टेम कोशिकाएँ और कुछ हमारे प्रतिरक्षा तंत्र से सम्बंधित दुर्लभ कोशिकाएँ। इन सबके बीच में इन दुर्लभ कोशिकाओं की पहचान करना बहुत ही मुश्किल काम होता है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली और इंद्रप्रस्थ सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली के शोधकर्ताओं ने हाल ही में एक अध्ययन किया है। इस अध्ययन में उन्होंने जीन आधार पर इस तरह की दुर्लभ कोशिकाओं का पता लगाने के लिए एक एल्गोरिदम विकसित किये जाने के बारे में बताया है।

हालाँकि इनमें से कुछ कोशिकाएँ संख्या में कम और दुर्लभ हैं इसका मतलब यह नहीं कि वे महत्त्वपूर्ण नहीं हैं। वास्तव में इनमें से कई हमारे प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, क्षतिग्रस्त कोशिकाओं की जगह ले लेती हैं और कुछ कैंसर से सम्बंधित होती हैं। इसलिए ऐसी स्थितियों का पता लगाने और इलाज करने के लिए यह ज़रूरी हो जाता है कि उनकी पहचान की जा सके। ‘नेचर कम्युनिकेशन्स’ पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने फाइन्डर ऑफ रेयर एंटिटिज़ (FiRE) नामक एक एल्गोरिदम का प्रस्ताव दिया है, जो इस तरह की दुर्लभ कोशिकाओं की पहचान उनके जीन के आधार पर करता हैं। इस अध्ययन को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान द्वारा आंशिक रूप से पोषित किया गया था।

याद कीजिए ऐसी पहेलियाँ जिसमें, आप को दो एक समान दिखने वाले चित्रों के बीच अंतर बताना पड़ा था  या दो समान दिखने वाले चित्रों में से एक को चुनना पड़ा था. वैसे ही FiRE भी हज़ारों एक समान दिखने वाली चीज़ों के साथ ऐसा ही कुछ करते हैं। यह कोशिकाओं की जीन अभिव्यक्ति प्रोफाइल या सभी जीनों की व्यक्त की गई सूची को देखकर और उनकी प्रोफाइल में अंतर के आधार पर दुर्लभ कोशिका की पहचान करता है। हर प्रकार की कोशिकाएँ अलग-अलग जीन की अभिव्यक्ति करती हैं और इसी से अनूठा जीन अभिव्यक्ति प्रोफाइल बनता है। और प्रत्येक जीन अभिव्यक्ति प्रोफाइल के लिए एल्गोरिदम एक दुर्लभता स्कोर दिखाता है। कोशिका का प्रकार जितना ज़्यादा दुर्लभ होगा उसका उतना ही ज़्यादा स्कोर होगा। यह इसी स्कोर के आधार पर दुर्लभ कोशिका की पहचान कर उसकी छंटनी करता है।

शोधकर्ताओं ने विभिन्न डैटासेट का उपयोग करके एल्गोरिदम के प्रदर्शन का मूल्यांकन किया। एल्गोरिदम के ज़रिए 68000 कोशिकाओं के अभिव्यक्ति प्रोफाइल के डैटासेट परीक्षण से सफलतापूर्वक दुर्लभ कोशिकाओं की पहचान की जा सकी। एक और दिलचस्प बात!  इस एल्गोरिदम  का उपयोग करके  चूहों की मस्तिष्क की कोशिकाओं के वृहद्  डैटासेट के प्रयोग के दौरान शोधकर्ताओं ने एक दुर्लभ कोशिका के उपप्रकार की पहचान की जिसका  पहले पता नहीं था। ये दुर्लभ कोशिकाएँ स्तनधारियों के मस्तिष्क में स्थित पीयूष ग्रंथि के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

नए एल्गोरिदम में दुर्लभ कोशिकाओं और बीमारियों का पता लगाने की बहुत क्षमता है। हालाँकि  ऐसे कुछ एल्गोरिदम पहले से ही मौजूद हैं लेकिन वे बहुत धीमे हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि, “एक एकल कोशिका के एमआरएनए की श्रृंखला के लगभग 68000 अभिव्यक्ति प्रोफाइल वाले डैटासेट के विश्लेषण में FiRE (ऍफ़ आई आर इ) को लगभग 31 सेकंड का समय लगता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि इस तरह की तेज़ गति और दुर्लभ अभिव्यक्ति प्रोफाइल को बताने वाला यह बेजोड़ एल्गोरिदम है।

प्रत्येक कोशिका के जीन की अभिव्यक्ति प्रोफाइल जैसे जैविक डेटा को बड़ी संख्या में उत्पन्न करने के लिए प्रौद्योगिकी की वृद्धि के साथ-साथ, इस तरह के डैटासेट से एकत्रित जानकारी का विश्लेषण करने के लिए एक बेहद ज़रूरी टूल की ज़रुरत है। FiRE (ऍफ़ आई आर इ) जैसे तेज़ और कुशल एल्गोरिदम इस तरह के अनुसंधानों  के लिए इस काम में मददगार होंगे।