वैज्ञानिकों ने आरोपित विकृति के अंतर्गत 2-डी पदार्थों के परमाण्विक गुणों का सैद्धांतिक परीक्षण किया है।

शिराओं से रक्त लेना हुआ आसान!

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मुंबई
6 नवंबर 2018
Image Credit: Design Innovation Center, IIT Bombay

भारतीय प्रौद्योगिक संस्थान, मुंबई के छात्र ने एक ऐसे उपकरण का आविष्कार किया है जिसकी सहायता से रक्त लेने के लिए शिराओं को ढूँढ़ने में आसानी होगी।

हम में से कई लोग अपनी नसों  में दवा डालने या रक्त निकालने के लिए सुई चुभवाने के ख़याल मात्र से ही भयभीत हो जाते हैं। प्रायः एक बार में नस ना मिलने पर मरीज़ को तब तक सुई चुभवानी  पड़ती है, जब तक कि रक्त लेने या दवा डालने के लिए सही नस ना मिल जाए। यह किसी भी व्यक्ति के लिए एक कष्टदायक स्थिति हो सकती है। किंतु जल्द ही भारतीय प्रौद्योगिक संस्थान, मुंबई के छात्र श्री त्रिविक्रम अन्नामली द्वारा निर्मित 'नस ट्रेसर' की सहायता से हमें इस समस्या  से निदान मिल सकेगा।

नस ट्रेसर एकसरल , हस्त-नियंत्रित, हल्का उपकरण है जो चिकित्सकों को शिराओं से रक्त निकालने या उनमें इंजेक्शन देने के समय नसों की पहचान करने में मदद कर सकता है। यह उपकरण नियर -इंफ्रारेड स्पेक्ट्रोस्कोपी का प्रयोग करके किसी पदार्थ (जैसे रक्त) एवं इंफ्रारेड विकिरण के बीच परस्पर क्रियाओं को समझने के सिद्धांत पर कार्य करता है।

चिकित्सकों को बच्चों या ऐसे मरीजों में नसों का पता लगाने में ख़ासकर मुश्किल होती है जो या अत्यधिक मोटे या साँवले होते हैं, जिसके कारण ऐसे लोगों को कई बार सुई चुभानी पड़ती है। इस नवविकसित उपकरण की सहायता से पहले ही प्रयास में ही सही नस का पता लग जाता है। ऑक्सीजनरहित रक्त पर पड़ते ही प्रकाशपुंज अपने रास्ते से हट जाता है एवं नसों की एक स्पष्ट छाया दिखने लगती है, जिससे चिकित्सक नस का पता करके चुभोने का काम आसानी से कर सकते हैं।

इस उपकरण को सभी आयु समूहों, रंगरूप, और वजन के रोगियों पर समान दक्षता से प्रयोग किया जा सकता है। मात्र २००० रुपये में उपलब्ध इस यंत्र का छोटे अस्पताल एवं चिकित्सालय भी आसानी से ख़रीद कर उपयोग कर सकते हैं। इस उपकरण का प्रयोग करने के किए किसी भी प्रकार के जटिल प्रशिक्षण की आवश्यकता नहीं है अतः अस्पताल के कर्मचारियों के लिए इस यंत्र का उपयोग करना आसान है। यह उपकरण वहनीय है, जिससे इसे रक्त शिविर, स्वास्थ्य जाँच शिविर इत्यादि में भी आसानी से ले जाया जा सकता है। इस यंत्र का एक कार्यशील प्रारूप उपलब्ध है, जिसका परीक्षण किया जा रहा है।

भारतीय प्रौद्योगिक संस्थान के डिज़ाइन इनोवेशन सेंटर में प्रोफेसर पूरबा जोशी और प्रोफेसर बी के चक्रवर्ती के निर्देशन में विकसित इस नवप्रवर्तन को हाल ही में गांधीवादी युवा टेक्नोलॉजिकल नवप्रवर्तन पुरस्कार- २०१८ (जीवाईटीआई) से सम्मानित किया गया है। १९ मार्च २०१८ को राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में श्री त्रिविक्रम अन्नामली को यह पुरस्कार माननीय राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद द्वारा दिया गया था।