शोधकर्ताओं ने द्वि-आयामी पदार्थों पर आधारित ट्रांजिस्टर निर्मित किये हैं एवं ऑटोनॉमस रोबोट हेतु अत्यंत अल्प-ऊर्जा के कृत्रिम तंत्रिका कोशिका परिपथ निर्मित करने में इनका उपयोग किया है।

२०१८ के इंफोसिस पारितोषिक से पुरस्कृत छह लोगों की सूची में भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) से दो प्राध्यापक

Read time: 1 min4 फ़रवरी 2019

१३ नवंबर २०१८ को इंफोसिस साइंस फाउंडेशन (आईएसएफ) ने इंफोसिस पुरस्कार विजेताओं की घोषणा की है। विजेताओं में भारतीय संस्थानों से, भारतीय विज्ञान संस्थान बेंगलुरू के दो प्राध्यापक, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, मुंबई से एक-एक प्राध्यापक हैं।

इन्फोसिस पुरस्कार सालाना - अभियांत्रिकी और कंप्यूटर विज्ञान, मानविकी, जीवन विज्ञान, गणितीय विज्ञान, भौतिक विज्ञान, और सामाजिक विज्ञान जैसी छह श्रेणियों में दिया जाता है। पुरस्कार में स्वर्ण पदक, उद्धरण और पुरस्कार राशि के रूप में १००,००० अमरीकी डालर दिए जाते है।

भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरू से नैनो-विज्ञान और अभियांत्रिकी  केंद्र के प्राध्यापक नवकांत भट्ट को अभियांत्रिकी और कंप्यूटर विज्ञान श्रेणी में सम्मानित किया गया है। उनके मुख्य शोध कार्यो में अंतरिक्ष और पर्यावरण निगरानी के लिए ट्रांजिस्टर, बायोसेंसरों और अति सटीक गैस सेंसर डिजाइन करना शामिल है। इसके अतिरिक्त उनके कुछ अन्य शोध कार्य भी हैं  जिन्हें रिसर्च मैटर्स द्वारा प्रकाशित किया गया है।

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय नई दिल्ली स्थित कला एवं सौन्दर्यशास्त्र संस्थान की प्राध्यापक कविता सिंह को मानविकी में पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। प्राध्यापक सिंह ने मुगल, राजपूत, और दक्कन कला, ऐतिहासिक समारोह, और संग्रहालयों की भूमिका के अध्ययन में अत्यधिक योगदान दिया है।

जीव विज्ञान श्रेणी में, जैविक विज्ञान विभाग, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, मुंबई के प्राध्यापक रूप मलिक को पुरस्कृत किया गया है। उन्हें यह पुरस्कार आणविक मोटर प्रोटीन,जो कोशिकाओं के चालन  के लिए महत्त्वपूर्ण है, पर अपने अग्रणी कार्यों के लिए के लिए दिया गया है। उनके शोध कार्यो में से एक शोध यह है कि कैसे इंसुलिन हमें वसा को पचाने में मदद कर सकता है, जिसे रिसर्च मैटर्स द्वारा प्रकाशित किया गया है।

इंस्टिट्यूट फॉर एडवांस्ड स्टडी, स्ट्रैसबर्ग विश्वविद्यालय, फ्रांस की प्राध्यापक नलिनी अनंतरामन, को क्वांटम भौतिकी पर उनके काम के लिए गणितीय विज्ञान श्रेणी में पुरस्कार के लिए चुना गया है।

इंफोसिस द्वारा एक प्रेस विज्ञप्ति में लिखा गया है कि, "क्वांटम की दुनिया ब्रह्मांड के गहरे रहस्यों में से एक है, और गणित वह भाषा है जो हमें इस दुनिया को समझने में मदद करती है। गणितज्ञ और भौतिकविद इस अवपरमाणुक दुनिया के रहस्यों को जानने के लिए दशकों तक प्रयास करते रहे हैं। प्राध्यापक अनंतरामन का काम क्लासिकल और क्वांटम प्रणाली और एन्ट्रापी के अप्रत्याशित उपयोग के बीच गहरे सम्बन्ध की खोज करता है ओर इससे कुछ कठिन समस्याओं के नतीजे निकल सकते है।”

भौतिकी विज्ञान श्रेणी में, प्राध्यापक एस के सतीश, वायुमंडलीय और महासागर विज्ञान केंद्र, आईआईएससी  को इस सम्मान से सुशोभित किया गया है। जलवायु परिवर्तन पर उनके शोध कार्य के लिए इस पुरस्कार के लिए प्राध्यापक सतीश का चयन किया गया है। प्राध्यापक  सतीश, जलवायु परिवर्तन पर शोध के लिए बनाये गए दिवेचा केंद्र, आईआईएससी के निदेशक भी हैं।

सामाजिक विज्ञान श्रेणी में सेंथिल मुल्लैनथन, प्राध्यापक ,अभिकलन एवं व्यवहार विज्ञान और जॉर्ज सी टियो, बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस, शिकागो विश्वविद्यालय को व्यवहारिक अर्थशास्त्र में उनके योगदान के लिए सम्मानित किया गया है। इंफोसिस की प्रेस विज्ञप्ति से पता चलता है कि प्राध्यापक मुल्लैनथन के शोध का, विकास ,सार्वजनिक वित्त, कॉर्पोरेट शासन और नीति योजना जैसे  विभिन्न क्षेत्रों पर काफी प्रभाव पड़ा है।

इन्फोसिस द्वारा प्रकाशित एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि "इंफोसिस पुरस्कार विजेताओं ने अपने शोध क्षेत्रों में प्रतिष्ठित मुकाम हासिल किया है। आईएसएफ का मानना है कि इस साल के विजेता अगले दशक में विज्ञान और शोध के लिए ओर अधिक ऊँचा स्तर बनायेंगे । इन उत्कृष्ट शोधकर्ताओं का सम्मान करके और उनकी उपलब्धियों का जश्न मनाते हुए, इंफोसिस पुरस्कार का उद्देश्य, युवा वर्ग को विज्ञान के रूप में व्यवसाय विकल्प और देश में अग्रिम नवाचार के रूप में प्रेरित करना है।”