एरेटेड ऑटोक्लेव्ड कंक्रीट ब्लॉक जैसी पर्यावरण-कुशल भित्ति सामग्री, प्राकृतिक वायु संचालित घरों में तापमान को बहुत कम कर इसे आंतरिक रूप से सुविधाजनक बनाती हैं।

आईआईटी मुंबई ने सर्वसमावेशक 5 जी परीक्षण मंच (टेस्ट बैड ) विकसित करने की दिशा में 5 जी कोर का निर्माण किया

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मुंबई
25 जुलाई 2022
आईआईटी मुंबई  ने सर्वसमावेशक 5 जी परीक्षण मंच (टेस्ट बैड ) विकसित करने की दिशा में 5 जी कोर का निर्माण किया

20 मई 2022 को केंद्रीय संचार और इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव द्वारा 5G पर की गई पहली कॉल का देश ने स्वागत किया । इस उपलब्धि की अकादमिक और उद्योग जगत दोनों में व्यापक रूप से सराहना की गयी क्योंकि यह भारत में अनुसंधान और स्टार्ट-अप पारिस्थितिक तंत्र दोनों को महत्वपूर्ण रूप से प्रोत्साहन दे सकता है।

भारत ने पांच आईआईटी (मद्रास, हैदराबाद, बॉम्बे, कानपुर, दिल्ली), भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु और दो अनुसंधान प्रयोगशालाओं (SAMEER और CEWiT) के संयुक्त योगदान के साथ एक बहु-संस्थागत प्रयास, स्वदेशी भारत 5G परीक्षण परियोजना शुरू की। इस परियोजना को दूरसंचार विभाग, भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित किया गया था।

आईआईटी मुंबई (आईआईटी बॉम्बे) ने 5G परीक्षण मंच (टैस्ट बैड) के 5G कोर उप प्रणाली (सबसिस्टम) के विकास में योगदान दिया। प्रो.मैथिली वुतुकुरु ने आईआईटी मुंबई (आईआईटी बॉम्बे) में 5G कोर विकसित करने वाले दल  (डेवलपमेंट टीम) का नेतृत्व किया।

5G क्या है?

5G ब्रॉडबैंड सेलुलर नैट वर्क के लिए दूरसंचार में उपयोग की जाने वाली पांचवीं पीढ़ी के प्रौद्योगिकी मानक का संक्षिप्त रूप है। एक सेलुलर नैट वर्क में, मोबाइल फोन या टैबलेट जैसे उपयोगकर्ता उपकरणों का नैट वर्क आधार केंद्र (बेस स्टेशन) के मध्य संचार वायरलैस  है। आधार केंद्र (बेस स्टेशन) जिस भौगोलिक क्षेत्र में स्थित है उसे सैल कहा जाता है।

5G वर्तमान में प्रचलित 4G नैट वर्क का उत्तराधिकारी है जो अनेक मोबाइल दूरसंचार कंपनियां प्रदान करती हैं। 5G नैट वर्क तकनीक विलंबता कम करने को आश्वस्त करती है। वॉयस कॉल के समय विलम्ब के कारण किसी व्यक्ति को जिस कष्ट का अनुभव होता है वह लेटेंसी के कारण होता है। 5G नैट वर्क में अधिक डेटा ले जाने की क्षमता, उच्च डाउनलोड गति- 10 Gbps तक, प्रति सैल अधिक उपयोगकर्ता, और बड़े मोबाइल टावरों के बजाय छोटे, कॉम्पैक्ट आधार केंद्र (बेस स्टेशन) हैं।

5G नैट वर्क 24 GHz से 52 GHz की आवृत्ति सीमा  पर काम करेगा, जो 4G से भिन्न है। यध्यपि इन आवृत्तियों पर उच्च गति संचरण संभव है, किन्तु उनकी सीमा कम है। इसलिए आधार केन्द्रों (बेस स्टेशनों) को एक दूसरे के निकट होना चाहिए। इसके अतिरिक्त, 5G तकनीक 4G फ़्रीक्वेंसी रेंज को संचरण हेतु सहायता करेगी परन्तु कम गति से संचरण होगा । 5G नैट वर्क विभिन्न तकनीकों और घटकों को एकीकृत करने हेतु प्रतिबद्ध हैं। मानव उपयोगकर्ताओं के अतिरिक्त, इंटरनैट ऑफ़ थिंग्स का उपयोग करने वाले उपकरण इंटरनैट से सम्बन्ध स्थापित (कनेक्ट) करने के लिए 5G नैट वर्क का उपयोग कर सकते हैं।

एक राष्ट्र के लिए यह सुनिश्चित करने के लिए कि उसके नागरिक नई तकनीकों का लाभ उठाएं, उसे मानव संसाधनों में शीघ्र निवेश करना होगा, उपयुक्त आधारभूत ढांचे का अभ्युदय करना होगा और एक सक्षम वातावरण बनाना होगा। इन लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए 5 जी परीक्षण मंच परियोजना (टैस्ट बैड प्रोजेक्ट) का संकल्प किया गया है। परीक्षण मंच (टैस्ट बैड) परियोजना का लक्ष्य आधारभूत 5G प्रणाली के सभी घटकों को उत्पादन-श्रेणी मानकों के अनुरूप विकसित करना है और इन घटकों को अनुसंधान, विकास और उत्पादन में उनके उपयोग के लिए भारत में शोधकर्ताओं और स्टार्ट-अप के लिए उपलब्ध कराना है।

5G परीक्षण मंच (टैस्ट बैड ) परियोजना के भाग के रूप में विकसित स्वदेशी 5G नैट वर्क में रेडियो एक्सेस नैट वर्क (वायरलेस बेस स्टेशन और उपयोगकर्ता उपकरण) और 5G कोर नैट वर्क समविष्ट हैं। 5G कोर वायरलेस रेडियो एक्सेस नैट वर्क को इंटरनैट  जैसे बाहरी नैट वर्क से जोड़ता है। यह वॉइस, मोबाइल ब्रॉडबैंड और अन्य नए अनुप्रयोगों जैसी सेवाओं को सुनिश्चित करता है। कोर नैट वर्क दूरसंचार नैट वर्क का मस्तिष्क है और उपयोगकर्ता पंजीकरण, प्रमाणीकरण, डेटा अग्रेषण, बिलिंग, चार्जिंग, मोबाइल प्रबंधन और नीति प्रवर्तन जैसी कार्यात्मकताओं को क्रियान्वित करता है। कोर नैट वर्क मोबाइल उपयोगकर्ताओं को अच्छी गुणवत्ता वाली सेवा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आईआईटी बॉम्बे का शोध दल 5G कोर उप प्रणाली (सबसिस्टम) के मुख्य घटकों को डिजाइन करने और क्रियान्वित करने के लिए उत्तरदायी था जिम्मेदार थी जो इन सभी कार्यों को संचालित करती है।

आईआईटी मुंबई (आईआईटी बॉम्बे) के शोध दल ने नैट वर्क फंक्शन आभासीकरण (वर्चुअलाइजेशन) (NFV) जैसे अत्याधुनिक डिजाइन सिद्धांतों का उपयोग करके परीक्षण के भाग के रूप में विकसित 5G कोर घटकों को डिजाइन और कार्यान्वित किया। तीव्रता से विकास और उन्नत मापनीयता के लिए, उन्होंने सभी 5G कोर घटकों को मापनीय (स्केलेबल) सॉफ़्टवेयर के रूप में बनाया जो कमोडिटी हार्डवेयर (या तो क्लाउड या बेयर मैटल पर) पर कार्य करता है। सेवा आधारित वास्तुकला (एसबीए) डिजाइन प्रतिमान के अनुसार, घटक आरईएसटी-आधारित एचटीटीपी एपीआई पर संचार करते हैं। डेटा प्लेन घटकों को उच्च नैट वर्क गति पर कार्य-कुशल डेटा हैंडलिंग के लिए उच्च-प्रदर्शन डेटा प्लेन डेवलपमेंट किट (DPDK) ढांचे पर विकसित किया गया था।

इसकेअतिरिक्त , परीक्षण मंच (टैस्ट बैड) में 5G कोर मल्टी-एक्सेस एज कंप्यूटिंग (MEC) अनुप्रयोगों को परिनियोजित करने का समर्थन करता है। एक नैट वर्क में अनेक एक्सचेंज और आधार केन्द्र (बेस स्टेशन) एक दूसरे से आबद्ध होते हैं। अंतिम उपयोगकर्ता, जैसे मोबाइल या ब्रॉडबैंड उपभोक्ता , को एज ऑफ़ द नैट वर्क पर कहा जाता है। उपभोक्ताओं को न्यूनतम लेटेंसी के साथ डेटा संसाधित करने देने के लिए, प्रदाता डेटा केंद्रों को उपभोक्ताओं के निकट, अर्थात एज ऑफ़ द नैट वर्क पर रखते हैं। ऐसी प्रणाली को मल्टी-एक्सेस एज कंप्यूटिंग (एमईसी) कहा जाता है।

आईआईटी मुंबई (आईआईटी बॉम्बे ) के शोधकर्ताओं ने एक मल्टी-एक्सेस एज कंप्यूटिंग (MEC) तकनीक भी विकसित की है, जिसे 5G संचार के लिए अंतर्राष्ट्रीय मोबाइल दूरसंचार (IMT)-2020 मानकों द्वारा निर्धारित मानकों को अर्जित करने हेतु प्रौद्योगिकियों के लिए महत्वपूर्ण प्रवर्तकों में से एक माना जाता है। शोधकर्ताओं ने सम्पूर्ण MEC वास्तुकला का प्रदर्शन किया है और इसे यूरोपीय दूरसंचार मानक संस्थान (ETSI) 5G विनिर्देशन के साथ एक अनुप्रयोग परिनियोजन उपयोग-मामले के साथ 5G कोर के साथ एकीकृत किया है।

नवीन तकनीक के अनेक लक्ष्य हैं और यह अनेक नूतन संभावनाएं भी प्रदान करती हैं। क्या कोई तकनीक स्वीकार्य सुविधाओं को वितरित करती है, यह अनेक कारकों पर निर्भर करता है, जैसे कि कार्यान्वयन और व्यापक नियोजन। वर्तमान 5G परीक्षण विभिन्न हितधारकों को अपनी तकनीकों का प्रयोग और परीक्षण करने और एक सफल, कुशल और स्वदेशी 5G पारिस्थितिकी तंत्र की ओर बढ़ने की प्रेरणा देता है। यह देश को 6G और उससे भी आगे के मानकीकरण प्रयासों में सबसे आगे रहने का अवसर भी प्रदान करता है। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि इस तरह के स्वदेशी विकास भारत को आत्मनिर्भर और स्वतंत्र बनाने में पर्याप्त सहायता कर सकते हैं।