शोधकर्ताओं ने द्वि-आयामी पदार्थों पर आधारित ट्रांजिस्टर निर्मित किये हैं एवं ऑटोनॉमस रोबोट हेतु अत्यंत अल्प-ऊर्जा के कृत्रिम तंत्रिका कोशिका परिपथ निर्मित करने में इनका उपयोग किया है।

बैटरी पैक की सुरक्षा एवं दक्षता की दृष्टि से अभियन्ताओं ने विकसित की अनूठी युक्ति

Read time: 1 min
Mumbai
22 दिसम्बर 2023
Batteries - Representative Image.

मोबाइल फोन एवं इलेक्ट्रिक वाहनों से लेकर असंख्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की जीवनदात्री अर्थात विद्युत बैटरी की हमारे आधुनिक संसार में अहम भूमिका हैं। विद्युत के दक्ष भंडारण एवं वितरण से लेकर ग्रिड आपूर्ति के अभाव में विद्युत उपलब्ध कराने तक बैटरी के महत्व का आकलन किया जा सकता है। यद्यपि इनकी अपनी दुर्बलताएं भी हैं, जिनमें अत्यधिक उष्ण होना (ओवरहीटिंग) प्रमुख है। बैटरियों को आवेशित (चार्ज) किया जाता है। डिस्चार्ज एवं रीचार्ज की प्रक्रियाएं उष्णता उत्पन्न करती हैं जिससे बैटरी की कार्यक्षमता प्रभावित होती है।

“प्रत्येक बैटरी एक इष्टतम (ऑप्टिमम) तापमान पर अधिक कुशलता से कार्य करती है। अत्यधिक तापमान बैटरी के प्रदर्शन को प्रभावित कर सकता है एवं अत्यधिक प्रतिकूल स्थिति में इसमें आग लगने या विस्फोट होने की संभावना होती है। उदाहरण के लिए, प्रभावी रूप से कार्य करने हेतु लिथियम-आयन बैटरियों का इष्टतम तापमान प्रायः 20–40 डिग्री सेल्सियस (68–104 डिग्री फ़ारेनहाइट) है,” भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई (आईआईटी मुंबई) में पीएचडी अध्येता एकता सिंह श्रीनेत, जो बैटरी तापमान प्रबंधन विषय पर अध्ययन कर रहे एक शोध दल की सदस्य हैं, बताती हैं।

एकता एवं उनका शोध दल आईआईटी मुंबई में ऊर्जा विज्ञान एवं अभियांत्रिकी विभाग में प्राध्यापक ललित कुमार के नेतृत्व में कार्यरत हैं। इस अध्ययन में उन्होंने बैटरी पैक में स्थित समस्त बैटरियों में से, जैसे कि विद्युत वाहनों की बैटरियां, अधिक प्रभावी एवं एक समान रूप से ऊष्मा को हटाने की एक अनूठी विधि प्रस्तुत की है। । यह युक्ति बैटरी पैक को अधिक दक्ष एवं दीर्घायु बनाती है।

“विद्युत वाहन स्थानीय पर्यावरणीय समस्याओं का सामना करने हेतु एक आकर्षक विकल्प हैं क्योंकि ये कोलाहल एवं हानिकारक गैसों के उत्सर्जन से रहित हैं,” कार्य की प्रेरणा के संबंध में एकता बताती हैं।

विद्युत वाहनों में बैटरी थर्मल मैनेजमेंट सिस्टम (बीटीएमएस) होता है जो बैटरी के तापमान पर दृष्टि रखता है एवं इसके प्रभावी संचालन के लिए आवश्यक इष्टतम तापमान बनाए रखता है। परंपरागत रूप से धातु के पाइप या चैनलों के माध्यम से बैटरियों की सतहों पर पानी या अन्य तरल शीतलक (कूलेंट) प्रवाहित करके इन्हें शीतल किया जाता है। शीतलक एवं बैटरी के मध्य स्थित संपर्क क्षेत्र (कॉँटॅक्ट एरिया) स्थिर होता है। किंतु बैटरी पैक की हर एक बैटरी से ऊष्मा अवशोषित करने के कारण शीतलक का तापमान बढ़ता रहता है जिससे आगे की बैटरियाँ प्रभावी रूप से शीतल नहीं हो पाती हैं। क्रमबद्ध बैटरियों से समान मात्रा में ऊष्मा निकालते रहने के लिए संपर्क क्षेत्र को भी बढ़ाना होगा।

बैटरियों के पारंपरिक शीतलन की इस त्रुटि के निवारण के लिए प्राध्यापक ललित कुमार के कार्यदल द्वारा ऊष्मा स्थानांतरण में सुधार करने हेतु एक अनोखी विधि विकसित की गई है। शीतलक वाही चैनल प्रणाली को एक ही आकार में समाहित करने के स्थान पर उन्होंने 'परिवर्तनीय संपर्क क्षेत्र' विधि प्रस्तावित की जिसमें उस क्षेत्र के आकार को समायोजित (एडजस्ट) किया जाता है जहां शीतलक बैटरी के संपर्क में आता है। उनका प्रस्ताव 'संपर्क क्षेत्र' को शीतलक प्रवाह की दिशा में बढ़ाने का है ताकि प्रत्येक बैटरी से समान मात्रा में ऊष्मा निकासी हो सके।

“हमारी युक्ति में बैटरी एवं शीतलक के मध्य स्थित संपर्क क्षेत्र शीतलक के प्रवाह की दिशा के साथ बढ़ता है। अर्थात जैसे ही शीतलक प्रणाली में आगे बढ़ता है, इसके संपर्क में आने वाला क्षेत्र भी बड़ा होता है,” एकता बताती हैं।

शोधकर्ताओं का कहना है कि यह युक्ति सैद्धांतिक रूप से प्रत्येक बैटरी की ऊष्मा को समान रूप से हटाती है एवं समस्त बैटरी पैक में एक समान तापमान सुनिश्चित करती है।

अपने सिद्धांत के सत्यापन हेतु शोधकर्ताओं ने एक बैटरी मॉड्यूल का कंप्यूटर सिमुलेशन निर्मित किया। मॉड्यूल में समानांतर क्रम में व्यवस्थित 24 बेलनाकार (सिलिंड्रिकल) लिथियम-आयन बैटरियां थीं। इलेक्ट्रिक वाहनो में पाई जाने वाली बैटरियों के समान ही इन्हें व्यवस्थित किया गया। बैटरियों के विभिन्न चार्ज-डिस्चार्ज चक्रों के आधार पर बहुत से कारकों को सिमुलेट किया गया। परिणामों का विश्लेषण करने पर शोधदल ने बैटरियों के मध्य तापमान के वितरण में महत्वपूर्ण सुधार देखा। उनके निष्कर्ष बताते हैं कि पारंपरिक प्रणाली की तुलना में बैटरी मॉड्यूल के विभिन्न भागों में अधिकतम तापान्तर में लगभग 70% की कमी देखी गई। प्रस्तावित प्रणाली से शीतल की गई बैटरियों का अधिकतम तापमान भी कम था।

 

Schematic of thermal management in battery packs using the proposed method.
बैटरी पैक में प्रस्तावित ऊष्मा प्रबंधन आरेख। छवि श्रेय: एकता सिंह श्रीनेत
[पहले चित्र में प्रत्येक बैटरी के साथ हैं स्थिर संपर्क क्षेत्र के धातु चैनल। दूसरे चित्र में एकसमान तापमान सुनिश्चित करती प्रस्तावित विधि जिसमे परिवर्तनीय संपर्क क्षेत्र के धातु चैनल हैं। ]

तथ्यपरक है कि शोधकर्ताओं की नवीन युक्ति बैटरियों के भार को पारंपरिक प्रणाली द्वारा शीतल की गई बैटरियों की तुलना में 57.2% तक कम करती है। पारंपरिक स्थिर आकार प्रणाली के विपरीत, प्रस्तावित मॉडल के शीतलक चैनलों के आकार में कमी होना बैटरी मॉड्यूल के भार को कम करता है। विद्युत वाहनों के लिए भार एक महत्वपूर्ण कारक है, क्योंकि अल्पभार वाहन अपनी रीचार्ज की आवश्यकता से पूर्व अधिक यात्रा कर सकते हैं। चूंकि अल्प तापमान एवं अल्पभार वाली इस प्रस्तावित प्रणाली को पारंपरिक प्रणाली में न्यूनतम परिवर्तन करके प्राप्त किया जा सकता है, अतः विद्युत वाहन निर्माण प्रक्रिया में किसी विशेष परिवर्तन की आवश्यकता नहीं है।

एकता के कथनानुसार “हमें संपर्क क्षेत्र को बढ़ाने या घटाने के लिए केवल कुछ धातु की पट्टियों को जोड़ने या हटाने की आवश्यकता होगी। वर्तमान विनिर्माण प्रक्रिया के लिए यह एक साधारण सा परिवर्तन है।''

वहीं बैटरियों की उन्नत दक्षता एवं अल्पभार होने के कारण, यह साधारण सा परिवर्तन भी विद्युत वाहन के प्रदर्शन को सुधार सकता है।

शोधकर्ताओं का मानना ​​है कि उनकी यह नवीन युक्ति विद्युत वाहन उद्योग तक सीमित न होकर सौर ऊर्जा भंडारण एवं अन्य उपकरणों में भी व्यापक उपयोगिता रखती है जहाँ कई बैटरी वाले बैटरी पैक होते हैं। शोधदल ने अपने आविष्कार के लिए पेटेंट प्राप्त कर लिया है। उनका यह कार्य अधिक दक्ष ऊष्मा प्रबंधन प्रणालियों का मार्ग प्रशस्त करते हुए बैटरियों की सुरक्षा, दक्षता एवं उन्हें दीर्घायु प्रदान करने में सहयोग देगा।