पार्किंसन रोग का उसके प्रारंभिक चरण में पता लगाने हेतु, चलने की शैली के गणितीय विश्लेषण का उपयोग करता एक नवीन अध्ययन।

बड़े क्षेत्रों की भू-आकृतियों का कुशल त्रि-आयामी (3D) प्रतिरूपण

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मुंबई
25 अप्रैल 2022
बड़े क्षेत्रों की भू-आकृतियों का कुशल त्रि-आयामी (3D) प्रतिरूपण

छवि स्रोत: विकिमीडिया कॉमन्स

भू सर्वेक्षण का उपयोग बड़े भूभागों में भूमि की विशेषताओं को चिन्हित करने और परिवीक्षण करने के लिए किया जाता है। भूमि के सर्वेक्षण द्वारा किसी क्षेत्र विशेष में जाकर भवन की ऊंचाई, क्षेत्रफल और खड़े चित्रण (ऊंचाई), वनस्पति, पानी और सड़कों की भिन्नता जैसी जानकारी एकत्र की जा सकती है। इसके अतिरिक्त, ये जानकारियाँ उपग्रहों, ड्रोन और हेलीकॉप्टरों पर लगे कैमरों द्वारा दूर से लिए गए चित्रों का उपयोग करके भी एकत्र की जा सकती हैं।

भूमि की विशेषताओं के बारे में जानकारी प्राप्त करने की एक अन्य विधि, इंगित आँकड़ों को प्राप्त करने के लिए सेंसर का उपयोग करना और लायडार (लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग) जैसी विशिष्ट तकनीकों के माध्यम से त्रि-आयामी निरूपण करना है। हवाई सर्वेक्षण से कम समय में बड़े क्षेत्रों का सर्वेक्षण किया जा सकता है। इसके प्रयोग से अध्ययन के लिए किसी क्षेत्र विशेष में बार बार जाकर आँकड़ों का संकलन करने का काम कम हो जाता है। साथ ही साथ हवाई सर्वेक्षण से अध्ययन करने के लिए दोहराए जाने वाले माप लिए जा सकते हैं, जिससे समय के साथ भू उपयोग के परिवर्तन को समझा जा सकता है। हवाई सर्वेक्षण के माध्यम से एकत्र किये गए आँकड़े, भूमि पर किसी भी बिंदु से जुड़े एक साथ लिए गए कई मापों के कारण अधिक विस्तृत होते हैं।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई के संसाधन अभियांत्रिकी अध्ययन केंद्र (सीएसआरई) से प्राध्यापक सूर्या दुर्भा और उनके शोध दल ने लायडार से मिलने वाले आँकड़ो का संक्षिप्तीकरण कर और उसका उपयोग कर त्रि-आयामी निरूपण के लिए लायडारसीएसनेट (LidarCSNet) नामक एक नवीन संगणना (कम्प्यूटेशनल) विधि का प्रस्ताव और मूल्यांकन किया है। यह संगणन (कम्प्यूटेशनल) विधि दूसरी विधियों की अपेक्षा लगभग नगण्य त्रुटि के साथ कंप्यूटर डेटा स्मृति, समय और संगणन लागत को बचाती है। यह अध्ययन आईएसपीआरएस जर्नल ऑफ फोटोग्रामेट्री एंड रिमोट सेंसिंग नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। 

लायडार एक ऐसी तकनीक है जो भूमि की विशेषताओं के बारे में जानकारी एकत्र करने के लिए प्रकाशीय स्फुरण (पल्स) (light pulses) का उपयोग करती है जिनका उपयोग त्रि-आयामी निरूपण के लिए किया जा सकता है। इस तकनीक में, हेलीकॉप्टर, ड्रोन या त्रिपाद (ट्राइपॉड) पर स्थापित एक लायडार उपकरण भूमि पर प्रकाशीय स्फुरणों को भेजता है और जमीन से परावर्तित संकेत प्राप्त करता है। प्राप्त और भेजे गए स्फुरण संकेत (पल्स) सिग्नल के बीच समय के अंतर, प्रतिबिंबों की संख्या और परावर्तित प्रकाश स्फुरणों (पल्सों) की तीव्रता के आधार पर, क्षेत्र का एक त्रि-आयामी निरूपण किया जा सकता है।

लायडार इंगित आँकड़े बहुत व्यापक होते हैं और सर्वेक्षण किए गए क्षेत्र के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए बड़ी कंप्यूटर भंडारण स्मृति (मेमोरी) और अधिक गणना की आवश्यकता होती है। कम आंकड़ों से निरूपित बिंदुओं का उपयोग करने से समय और संसाधन लागत भले ही कम हो सकती है, किन्तु इससे त्रि-आयामी निरूपण की सटीकता कम होती है। इसलिए न्यूनतम आंकड़ों से निरूपित बिंदुओं का उपयोग करके एक ऐसी अनुकृति बनाना जो मूल निरूपण के समान सटीक हो, एक चुनौतीपूर्ण कार्य है।

LidarCSNet त्रि-आयामी लायडार आंकड़ों का संक्षिप्तीकरण और पुनर्निर्माण करने के लिए संकोचन संवेदन (कंप्रेसिव सेंसिंग) (सीएस) और डीप लर्निंग नामक संगणन विधियों के एक नवीन संयोजन का उपयोग करता है। कंप्रेसिव सेंसिंग से कम माप या आंकड़ों का उपयोग करके जानकारी का पुनर्निर्माण किया जा सकता है। डीप लर्निंग विधि एक मशीन लर्निंग एल्गोरिदम है जो श्रव्य (ऑडियो), छवि (इमेज), चलचित्र (वीडियो) जैसे बड़े आंकड़ों के समूह में विशिष्ट विशेषताओं की पहचान करने के लिए सॉफ्टवेयर को प्रशिक्षित (ट्रेन) करने में सहायता करता है। शोधकर्ताओं ने LidarCSNet को सॉफ्टवेयर मॉड्यूल की अनेक परतों के रूप में क्रियान्वित किया है जिसमें अधिक सटीक परिणाम देने के लिए परतें एक के बाद एक काम करती हैं। यह अभिरूपण (डिज़ाइन) बड़ी मात्रा में आंकड़ों के लिए लागू करने के लिए सरल और मापनीय (स्केलेबल) है। इस नए डिजाइन द्वारा सॉफ्टवेयर की पुनरावृत्तियों से बचा जा सकता है, जो पहले उपयोग की जाने वाली विधियों में होती हैं।

शोधकर्ताओं के दल ने फिलीपींस में वन और नगरीय वातावरण के लिए पूर्व में लिए गए दो त्रि-आयामी लायडार आँकड़ो के समूह पर LidarCSNet की उपयुक्तता का प्रदर्शन किया। एप्लाइड जियोडेसी और फोटोग्रामेट्री (यूपी टीसीएजीपी) के प्रशिक्षण केंद्र और फिलीपींस के फिल-लायडार कार्यक्रम के द्वारा सार्वजनिक रूप से उपलब्ध इन आँकड़ो में क्षेत्र के लिए भौमिक जमीनी सर्वेक्षण के आँकड़े सम्मिलित हैं।

LidarCSNet का उपयोग करके पुनर्निर्माण

शोधकर्ताओं ने कुल लायडार नमूनों में से 75%, 50%, 10% और 4% नमूनों को चुनकर - विभिन्न संक्षिप्तीकरण स्तरों का उपयोग करके - लायडार आंकड़ों के चार संक्षिप्त प्रतिरूपण के लिए LidarCSNet का उपयोग किया। उन्होंने वन और नगरीय आंकड़ों के लिए चार संक्षिप्त निरूपणों से त्रि-आयामी दृश्य के पुनर्निर्माण के लिए LidarCSNet का उपयोग किया और वास्तविक भू सर्वेक्षण आँकड़ो के परिणामों से सत्यापित किया। दोनों अध्ययनों में, उन्होंने पाया कि जैसे-जैसे नमूनों की संख्या कम होती गई, इससे पुनर्निर्माण का समय तो कम हो गया लेकिन इसकी सटीकता में भी कमी होती गयी।

यध्यपि पुनर्निर्माण 10% और 4% नमूनों में तेज था, मूल मॉडल से इसका विचलन उन अनुप्रयोगों के लिए अस्वीकार्य हो सकता है जिन्हें स्व चलित वाहनों के अनुप्रयोग की तरह उच्च सटीकता की आवश्यकता होती है। शोधकर्ताओं का मानना ​​​​है कि विभिन्न संक्षिप्त स्तरों के लिए पुनर्निर्माण सटीकता और पुनर्निर्माण समय से संबंधित उनके निष्कर्ष अनुप्रयोगों को यह निर्धारित करने में सहायता कर सकते हैं कि वांछित गति और सटीकता प्राप्त करने के लिए उन्हें कितना संक्षिप्तीकरण करना चाहिए। उनके निष्कर्ष वनस्पति, वनों और नगरीय क्षेत्रों का विश्लेषण करने वाले दूर संवेदी(रिमोट सेंसिंग) अनुप्रयोगों को अनुकूलित करने में सहायता कर सकते हैं। "यद्यपि LidarCSNet का उपयोग किसी भी लायडार आँकड़ों के साथ किया जा सकता है, लेकिन इसका उपयोग छोटे आंकड़ों पर गणना होने वाले स्व-चलित वाहनों जैसे अनुप्रयोगों की अपेक्षा, दूर संवेदी (रिमोट सेंसिंग) जैसे लायडार अनुप्रयोगों में करना अधिक लाभदायक होगा, जहाँ आँकड़े बहुत बड़े हैं," इस शोध के एक लेखक, श्री रजत शिंदे कहते हैं।

भूमि विशेषता की पहचान

शोधकर्ताओं ने छः प्रकार के भूमि वर्गों में (भूमि, निम्नवनस्पति,  मध्यम वनस्पति, उच्चतर वनस्पति, भवन, एवं पुल सतह) भूमि की विशेषता के आधार पर आंकड़ों को वर्गीकृत किया। इसके लिए उन्होंने पुनर्निर्मित आँकड़ो का उपयोग कर, वर्गीकरण की सटीकता का पता लगाकर, LidarCSNet-पुनर्निर्माण की उपयोगिता का प्रदर्शन किया। उन्होंने LidarNet एवं इसके उन्नत संस्करण, LidarNet++ नामक दो नवीन वर्गीकरण तंत्र विकसित किए। LidarNet++ को विभिन्न भूमि वर्गों की विशेषताओं के संचालन हेतु प्रशिक्षित किया। LidarNet++ का प्रयोग सटीक वर्गीकरण देता हैं हालाँकि इसमें अधिक संगणना एवं अधिक समय लगता है।

शोधकर्ताओं ने असंपीडित लायडार आँकड़ो को वर्गीकृत करने के लिए LidarNet एवं LidarNet++ का उपयोग किया और लायडार आँकड़ो को विभिन्न संपीड़न स्तरों पर लायडारसीएसनेट का उपयोग करके संक्षिप्तीकरण और पुनर्निर्माण किया। उन्होंने अन्य उपलब्ध लायडार वर्गीकरण विधियों का उपयोग करके प्राप्त वर्गीकरण परिणामों से इन परिणामों की तुलना भी की। औसतन सभी छह भूमि वर्गों पर और सभी संक्षिप्तीकरण स्तरों पर, LidarNet++ सभी अन्य विधियों की अपेक्षा वर्गीकरण की उच्चतम सटीकता देता है। उदाहरण के लिए, जब 75% नमूनों का उपयोग किया गया था, तो LidarNet++ 86.43% बिंदुओं को सटीक रूप से वर्गीकृत करता है। यध्यपि, सभी नमूनों का उपयोग करके भी, अन्य तंत्र इस सटीकता को प्राप्त नहीं कर पाए।

प्राध्यापक दुर्भा कहते हैं कि, "आँकड़े लेने के समय ड्रोन में ही ऑन-बोर्ड कैप्चरिंग हार्डवेयर के साथ LidarCSNet तंत्र (फ्रेमवर्क) का उपयोग करके आंकड़ों का संक्षिप्तीकरण किया जाना अधिक उपयोगी होगा। यह विशाल लायडार आंकड़ों का भण्डारण करने या काम करने की आवश्यकता को समाप्त कर देगा और संक्षिप्तीकरण स्तर पर केवल कम आंकड़ों से निरूपित बिंदुओं का उपयोग करना संभव बना देगा।

शोधकर्ताओं को लगता है कि यह शोध कार्य लायडार अनुप्रयोगों को भूमि उपयोग में परिवर्तन का सर्वेक्षण करते समय और कंप्यूटर व्हिजन अनुप्रयोगों को आसपास के परिवेश के मॉडल बनाते समय अपनी गति और लागत को अनुकूलित करने में सहायता कर सकता है। श्री शिंदे कहते हैं कि, "हम LidarCSNet को अन्य अनुप्रयोगों के सुलभ उपयोग के लिए तैयार सॉफ़्टवेयर प्रारूप में उपलब्ध कराने हेतु काम कर रहे हैं, जिसके बाद इसे दूसरों के उपयोग के लिए सार्वजनिक रूप से उपलब्ध किया जा सकता है।"