पार्किंसन रोग का उसके प्रारंभिक चरण में पता लगाने हेतु, चलने की शैली के गणितीय विश्लेषण का उपयोग करता एक नवीन अध्ययन।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई के शोधकर्ता एक नए दाब-विद्युक (पीजोइलेक्ट्रिक) पदार्थ का प्रस्ताव देते हैं।

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मुंबई
2 अगस्त 2021
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई के शोधकर्ता एक नए दाब-विद्युक (पीजोइलेक्ट्रिक) पदार्थ का प्रस्ताव देते हैं।

[चित्र साभार: दाब-विद्युक पदार्थ से बनी लचीली शीट, वर्जीनिया टेक]

यात्रियों को विमान के केबिन में बैठे हुए बहुत कम कंपन की अनुभूति होती है इसलिए आजकल हवाई यात्रा काफी सुगम हो गई है। इंजीनियर विमान के पंखों (विंग्स) और केबिन की खिड़कियों पर हथेली के  आकार के कुछ उपकरण लगाते हैं ताकि विमान के बड़े टर्बाइन इंजन और आसपास के वातावरण से उत्त्पन कंपन को कम किया जा सके। यह उपकरण दाब-विद्युक (पीजोइलेक्ट्रिक) पदार्थ से बने होते हैं, जो एक विद्युत संकेत (इलेक्ट्रिक सिग्नल) मिलने पर एक विशाल ‘कंपन रद्द बल’ उत्पन्न करते हैं।

दाब-विद्युक पदार्थों का उपयोग माइक्रो एवं नैनो मीटर आकार के उपकरणों में एक विद्युत् संकेत द्वारा नियंत्रित सेंसर या चलित पुर्जों के रूप में किया जाता है। हाल ही के एक अध्ययन में, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मुंबई के शोधकर्ताओं ने सामान्यतः प्रयोग किए जाने वाले दाब-विद्युक सिरेमिक की तुलना में अधिक दाब-विद्युक प्रतिक्रिया देने वाले एक नए दाब-विद्युक पदार्थ का प्रस्ताव दिया है। यह पदार्थ एक छोटे निविष्ट विद्युत् संकेत के साथ विशाल  प्रभाव (बल) उत्त्पन कर सकता हैं। यह अध्ययन यूरोपीय जर्नल ऑफ मैकेनिक्स - ए / सॉलिड्स  नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। यह अनुसंधान भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई  द्वारा आंशिक रूप से  पोषित किया गया।

ग्राफीन प्रबलित दाब-विद्युक कंपोजिट (जीआरपीसी) नामक नवीन पदार्थों में PZT (लेड जिरकोनेट टाइटनेट) के तन्तु (फाइबर) होते हैं। ये तन्तु अक्सर प्रयोग किए जाने वाले दाब-विद्युक पदार्थ हैं और ग्राफीन नैनोकण एक एपॉक्सी बेस में एम्बेडेड होते हैं। PZT अधिक भंगुर होते है इसलिए पदार्थ की मज़बूती बढ़ाने के लिए इपॉक्सी की आवश्यकता होती है।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई से प्राध्यापक सुष्मिता नस्कर कहती हैं कि, "हमने इपॉक्सी को इसलिए चुना क्योंकि यह बाजार में आसानी से उपलब्ध है और इसके साथ काम करना आसान है।"

[चित्र साभार: किशोर बालासाहेब शिंगारे, सुष्मिता नस्कर, probing the prediction of effective properties for composite materials, https://doi.org/10.1016/j.euromechsol.2021.104228]

एक अच्छे दाब-विद्युक पदार्थ में विशाल दाब-विद्युक प्रतिक्रिया और उच्च प्रत्यास्थ गुणांक होता है। इसका मतलब यह है कि, विमान पर लगे कंपन अवमंदक (डैम्पर्स) में, दाब-विद्युक उपकरण, उसी समान विद्युत सिग्नल पर एक उच्चतर प्रभाव (बल) उत्पन्न करते है और साथ ही कठोर रहते हुए अपने आकार को  भी  बनाए रखते हैं । "एक उच्च और निम्न प्रत्यास्थ गुणांक पदार्थो के मध्य का अंतर एल्यूमीनियम और रबर के बीच के अंतर जैसा है," प्राध्यापक  नस्कर  विस्तृता से बताती है।

शोधकर्ताओ ने सैद्धांतिक और कम्प्यूटेशनल मॉडल का उपयोग करके जीआरपीसी पदार्थो की दाब-विद्युक प्रतिक्रिया और प्रत्यास्थ गुणांक की जांच की। सैद्धांतिक मॉडलों ने इन गुणों की गणना करने के लिए प्रत्येक घटक पदार्थ के गुणों एवं उनके अनुपात का उपयोग किया। कुछ मॉडलों से पता चलता है कि विभिन्न घटकों ने एक दूसरे के साथ कैसे क्रिया की। हालाँकि सैद्धांतिक मॉडल एक त्वरित अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं, लेकिन वे अपने मान्यताओं  (Assumptions) द्वारा अभी भी सीमित हैं और इनकी जांच करने की आवश्यकता है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई के डॉ किशोर बालासाहेब शिंगारे अपने अभिकलन की महत्ता समझाते हुए कहते हैं कि, ''हमारे अभिकलनात्मक निदर्श (कम्प्यूटेशनल मॉडल) के कारण ही हमे  PZT फाइबर और ग्राफीन नैनोपार्टिकल्स के विभिन्न  आकार और अभिविन्यास (ओरिएंटशंस) का पता चला है।''

डॉ शिंगारे ने जीआरपीसी और पारंपरिक PZT-एपॉक्सी पदार्थ (एक दाब-विद्युक सिरेमिक पदार्थ) दोनों  की जांच कर उनके गुणों की तुलना की। उन्होंने पदार्थ पर एक विद्युत क्षेत्र प्रवाहित किया और पदार्थ  में विकसित तनाव की जांच करने के लिए सिमुलेशन में पदार्थ को अलग-अलग दिशाओं में खींचा। उन्होंने पाया कि जीआरपीसी के दाब-विद्युक और प्रत्यास्था दोनों गुण पारंपरिक PZT-एपॉक्सी पदार्थो की तुलना में श्रेष्ठतर थे। ग्राफीन की उपस्थिति ने विकृति (स्ट्रेन) को कठिन कर दिया, और जीआरपीसी पदार्थ कठोर बने रहकर अपने आकार को बनाए रखते हुए विद्युत क्षेत्रों की उपस्थिति में लगभग दोगुना प्रभाव (बल) पैदा करते हैं। “ग्राफीन एक बहुत ही हल्का पदार्थ होने के साथ-साथ अत्याधिक  कठोर भी  है। उन्नत प्रभावी गुणों (जीआरपीसी में) के पीछे मुख्य कारण “ग्राफीन” का प्रयोग  है, चूँकि इनमे PZT फाइबर एवं एपॉक्सी के साथ प्रतिक्रिया के लिए एक बड़ा सतह क्षेत्र मिलता है,” डॉ शिंगारे बताते हैं।

पिछले शोध के विपरीत, जहां पदार्थ एक ही दिशा (प्लैन) में दाब-विद्युक क्रिया का अध्ययन करता था, यह शोधकार्य पदार्थ की सभी दिशाओं में दाब-विद्युक प्रतिक्रिया का अवलोकन करता है। “हमने सभी दिशाओं में जीआरपीसी की दाब-विद्युक प्रतिक्रिया में उल्लेखनीय वृद्धि देखी। यह बायोमेडिकल उपकरणों की कृत्रिम मांसपेशियों में उपयोगी हो सकता है, जहाँ कई दिशाओं में संचलन की आवश्यकता होती है," प्राध्यापक नस्कर टिप्पणी करती हैं।

यह अध्ययन भविष्य में अधिक प्रभावी दाब-विद्युकी आधारित उपकरणों को बनाने में मदद कर सकता है। रोबोट या उपग्रहों के निर्माण के लिए हल्के एवं बहुउद्देशीय पदार्थो की आवश्यकता होती है, और शोधकर्ता यह परिकल्पना करते हैं कि जीआरपीसी इस दिशा में एक बहुत अच्छा विकल्प हो सकता है।