अग्रणी ह्रदय रोग चिकित्सा का मार्ग प्रशस्त करता सैद्धांतिक अध्ययन बताता है की चुम्बकीय बल रक्तचाप के उतार-चढ़ाव को कम एवं रक्त प्रवाह को स्थिर करता है

चुंबक के द्वारा आंशिक रूप से अवरुद्ध धमनियों में रक्त प्रवाह का नियंत्रण

Mumbai
21 मार्च 2025
Graphical image of magnetic field around heart

विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health organization; WHO) ने अपने एक विश्लेषण के माध्यम से चिंता व्यक्त की है कि वर्ष 2021 में भारतीयों में कोविड-19 के बाद सर्वाधिक मृत्यु रक्तावरोधित हृदय रोग के कारण हुईं। कोरोनरी धमनियों में रक्त प्रवाह में अवरोध होना रक्तावरोधित हृदय रोग (Ischemic heart disease) का कारण बनता है। कोलेस्ट्रॉल, लिपोप्रोटीन एवं कैल्शियम धमनियों में एकत्र होकर मैल (Plaque) का निर्माण करते हैं, जिससे धमनियों का संकुचन होता है तथा रक्त प्रवाह बाधित होता है। रक्तचाप बढ़ जाता है, जिससे उच्च रक्तचाप एवं हृदयाघात जैसे रोग हो सकते हैं। अवरुद्ध धमनियों में रक्त प्रवाह एवं दबाव का नियंत्रण करके घातक परिणामों से सुरक्षा की जा सकती है।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मुंबई (आईआईटी मुंबई) के शोधकर्ताओं ने अपने नए अध्ययन में दर्शाया है कि चुंबकीय क्षेत्र रक्त प्रवाह को प्रभावी रूप से नियंत्रित कर सकते हैं, एवं चुंबकीय क्षेत्र की दिशा के आधार पर रक्त प्रवाह की गति को तीव्र अथवा मंद किया जा सकता है। यह खोज चुंबकों के माध्यम से हृदय रोगों के उपचारार्थ संभावनाओं के नवीन द्वार उद्घाटित करती है, साथ ही शरीर में औषधि वितरण प्रणालियों (Drug delivery systems) के उन्नयन की नई दृष्टि प्रदान करती है।

शोधकर्ताओं ने रक्त प्रवाह के स्वरुप (pattern) के अनुरूपण (सिमुलेशन) एवं विश्लेषण हेतु एक संगणनात्मक संरचना का उपयोग किया। उन्होंने गति (velocity), दबाव एवं धमनी की भित्तियों के अन्दर आरोपित अपरूपण प्रतिबल (wall shear stress; WSS) जैसे कारकों पर ध्यान दिया। 

“अपरूपण प्रतिबल (WSS), रक्त वाहिकाओं की आंतरिक भित्तियों में रक्त प्रवाह की दिशा में प्रति इकाई क्षेत्र पर आरोपित बल है। यह रक्त वाहिका के स्वास्थ्य को दर्शाने वाला एक महत्वपूर्ण कारक है, क्योंकि असामान्य WSS धमनीकलाकाठिन्य (ऐथिरोस्क्लेरोसिस) जैसी व्याधियों को उत्पन्न कर सकता है। WSS रक्तवाहिका की भित्तियों में रक्त की गति एवं श्यानता पर निर्भर करता है,” इस अध्ययन के नेतृत्वकर्ता एवं आईआईटी मुंबई में यांत्रिक अभियांत्रिकी विभाग के प्राध्यापक अभिजीत कुमार बताते हैं।

शोधकर्ताओं ने अवरुद्ध धमनी का एक संख्यात्मक प्रतिरूप (मॉडल) निर्मित किया तथा गणितीय समीकरणों की सहायता से संकीर्ण धमनियों में चुंबकीय क्षेत्र के प्रभाव का अध्ययन किया। चुंबकीय क्षेत्र रक्त में स्थित लौह-युक्त हीमोग्लोबिन के साथ अंत:क्रिया करता है एवं चुंबकीय क्षेत्र की दिशा के आधार पर रक्त प्रवाह को प्रभावित करता है। शोधकर्ताओं ने रक्त की गति का (नेवियर-स्टोक्स समीकरणों से) मापन किया, विद्युत-चुंबकीय क्षेत्रों का (मैक्सवेल समीकरण का उपयोग करके) विश्लेषण किया तथा रक्त की श्यानता एवं प्रवाह का (करो-यसुदा मॉडल का उपयोग करके) अध्ययन किया ।

शोधकर्ताओं ने संकीर्ण धमनियों के विभिन्न चरणों को प्रतिरूपित (मॉडलिंग) किया - 25% आंशिक अवरुद्ध, 35% मध्यम अवरुद्ध, एवं 50% गंभीर अवरुद्ध धमनियों के विभिन्न आकारों के साथ। धमनियाँ आकार में समान रूप से (axisymmetric), विकेन्द्रित (eccentric), असमान रूप से (asymmetric), या तीक्ष्ण-धार (sharp-edged) प्रकार से संकीर्ण हो सकती हैं। समान रूप से एवं तीक्ष्ण-धार प्रकार से संकीर्णित अवरुद्ध धमनियों में  रक्त दाब के सर्वाधिक उतार-चढ़ाव हुए एवं रक्त का निर्बाध प्रवाह बाधित हुआ। अब शोधकर्ताओं ने रक्त प्रवाह पर चुंबकीय क्षेत्र आरोपित किया और परिणामों का निरीक्षण किया। रक्त प्रवाह के समानांतर चुम्बकीय क्षेत्र आरोपित करने पर उन्होंने रक्त प्रवाह की गति में वृद्धि देखी, इसके विपरीत रक्त प्रवाह के लंबवत चुंबकीय क्षेत्र आरोपित करने पर रक्त प्रवाह की गति में ह्रास देखा गया।

संगणनात्मक प्रतिरूपविधान (कंप्यूटेशनल सिमुलेशन) से ज्ञात हुआ है कि चुंबकीय क्षेत्र ने आंशिक, मध्यम एवं गंभीर रूप से अवरुद्ध धमनियों में रक्त प्रवाह को क्रमशः लगभग 17 %, 35 % एवं 60 % बढ़ा दिया। शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्रों ने रक्त प्रवाह को अधिक सुचारू किया। रक्त प्रवाह के अनुदिश चुंबकीय क्षेत्र, अत्यधिक संकीर्ण (असामान्य रूप से संकुचित; stenotic) धमनी के कारण उत्पन्न अवरोध (blockage) के निकट के दबाव को कम करता है। रक्तचाप के उतार-चढ़ाव (fluctuations) से अवरोधक मैल (plaque; अवरोध कारक एकत्रीकरण) पर आरोपित अपरूपण तनाव (shear stress) में वृद्धि होती है, जिससे अवरोधक मैल के भंग होने का संकट बढ़ जाता है। अध्ययन में पाया गया है कि चुंबकीय बल धमनियों के समस्त संकीर्णित आकारों में रक्त के प्रवाह एवं दबाव के उतार-चढ़ाव को स्थिर करता है, तथा मैल-भंग (plaque rupture) के संकट को कम करता है।

अध्ययन के निष्कर्ष उच्च रक्तचाप के रोगियों के उपचार में सहायता प्रदान कर सकते हैं। अध्ययन के परिणाम दर्शाते हैं कि चुंबकीय क्षेत्र रक्त प्रवाह, दबाव एवं भित्ति पर आरोपित अपरूपण तनाव को प्रभावित करता है। उच्च रक्तचाप के नियंत्रण एवं धमनी की भित्तियों को सुरक्षित रखने में यह परिणाम सहायक हो सकते हैं। यह अध्ययन हृदय रोग चिकित्सा एवं उन्नत स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में चुंबकों के महत्व पर बल देता है। साथ ही नवीन औषधि वितरण प्रणालियों में चुंबकों के माध्यम से औषधि वितरण के विकास की संभावना भी व्यक्त करता है।

“प्रयोगात्मक मॉडलों में उच्च (हाई) एवं अतिउच्च (अल्ट्रा हाई) चुंबकीय क्षेत्रों ने सकारात्मक एवं प्रतिकूल दोनों प्रभाव दर्शाए हैं, जो प्रत्यक्ष नैदानिक अनुप्रयोगों के पूर्व सुरक्षा मूल्यांकन के महत्व को रेखांकित करते हैं। जटिलतायें एवं चुनौतियाँ, जिसमें व्यापक शोध, नैदानिक परीक्षण तथा नियामक अनुमोदन आदि सम्मिलित हैं, स्पष्ट करती हैं कि इस प्रकार की चिकित्सा की व्यापक उपलब्धता में कई वर्ष लग सकते हैं,” प्रा. कुमार का कहना है।

शोधकर्ता अध्ययन को अधिक वास्तविक मॉडल की ओर ले जाने पर बल देते हैं, ताकि एक वास्तविक धमनी की भित्ति की नम्यता (flexibility) एवं अपरूपण तनाव को भलीभांति समझा जा सके। 

“चुंबकीय क्षेत्रों तथा जैविक ऊतकों के मध्य होने वाली जटिल अंत:क्रियाएं, इस शोध को व्यावहारिक उपचारों की दिशा में ले जाने वाली चुनौतियाँ हैं, जो कोशिकीय संरचनाओं, रक्त श्यानता, एवं धमनी की भित्तियों को प्रभावित कर सकती हैं। सुरक्षा एवं प्रभावशीलता सुनिश्चित करने के लिए सावधानी से मूल्यांकन की आवश्यकता है,” प्रा. कुमार कहते हैं।

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