आईआईटी मुंबई का सूक्ष्म-द्रव उपकरण मानव कोशिकाओं की कठोरता को तीव्रता से मापता है, एवं रोग की स्थिति तथा कोशिकीय कठोरता के मध्य संबंध स्थापित करने में सहायक हो सकता है।

कुशल संगणन के लिए नैनोस्केल उपकरणों में मेमोरी और कंप्यूटिंग का संयोजन

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मुंबई
26 मार्च 2021
कुशल संगणन के लिए नैनोस्केल उपकरणों में मेमोरी और कंप्यूटिंग का संयोजन

[अन्स्प्लेश छायाचित्र : माइकल जेडजेक ]

आधुनिक संगणक विशेष प्रकार के स्मृति उपकरणों में संग्रहित आँकड़ों की विशाल मात्रा पर संगणना करते हैं जिन्हें तार्किक-संक्रिया अर्थात लॉजिकल ऑपरेशंस भी कहा जाता है। संगणना खण्डों अर्थात कंप्यूटिंग ब्लॉक्स को यादृच्छिक अभिगम स्मृति अर्थात रैंडम एक्सेस मेमोरी या रैम, जो एक प्रकार की अस्थाई स्मृति होती है, के साथ समुचित परिमाण में आँकड़ों का आदान-प्रदान करना होता है। पिछले कुछ वर्षों में, स्मृति उपकरणों से यथोचित आँकड़ों को खोजने और संसाधित करने वाले विभिन्न अनुप्रयोगों में द्रुत-संगणना की माँग तीव्रता से उभरी है।

इस चुनौती के निदान के लिए एक रास्ता है स्मृति-खण्डों एवं संगणनाओं के मध्य आँकड़ों के संचार को गति प्रदान करना। दूसरी अनूठी पहल, ऐसी स्मृति-चिप्स की रचना करना है, जो न केवल आँकड़ों को संग्रहित करती है अपितु तार्किक संक्रिया अर्थात लॉजिकल ऑपेरशन का संचालन भी करती है। यह दो खण्डों के मध्य आंकड़ों की खोज एवं स्थानांतरण में व्यतीत होने वाले समय को बचाएगी। अब भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई (आई.आई.टी. बॉम्बे) के शोधकर्ताओं ने रैम्स के अंदर तार्किक संक्रिया के संचालन हेतु एक नवीन तकनीक का आविष्कार किया है और, पहली बार एक ऐसा उपकरण सफलतापूर्वक निर्मित किया है जो संगणना एवं स्मृति दोनों कार्य-खण्डों को समाहित करता है।

इस अध्ययन को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) एवं इलेक्ट्रॉनिकी विभाग, भारत सरकार तथा इंटेल और टेक्सास इंस्ट्रूमेंट्स जैसे सदस्यों  वाले एक अंतरराष्ट्रीय उद्योग संघ सेमीकंडक्टर रिसर्च कॉर्पोरेशन (एसआरसी) के द्वारा सहायता प्रदान की गयी। ये अध्ययन आईईईई इलेक्ट्रॉन डिवाइस लेटर्स एवं एसीएस एप्लाइड इलेक्ट्रॉनिक मैटीरियल्स  नामक शोध-पत्रिकाओं में प्रकाशित किये गए।

तार्किक संक्रिया अर्थात लॉजिकल ऑपेरशन के लिए संगणक ट्रांजिस्टर नामक  नन्हे  उपकरणों का उपयोग करते हैं। यद्यपि ट्रांजिस्टर विद्युत प्रवाह को नियंत्रित कर सकते हैं किन्तु जब वे क्रियाशील नहीं होते, तो अतीत में किये गए विद्युत के नियंत्रण के सम्बन्ध में कोई जानकारी संजो कर नहीं रखते हैं। इसलिए, इनका उपयोग स्मृति उपकरण के रूप में नहीं किया जा सकता है।

प्रतिरोधी रैम, या आर रैम्स एक द्वि-अन्त्य अर्थात टू-टर्मिनल नैनो युक्ति है जिसमें एक आगम और एक निर्गम अर्थात इनपुट और आउटपुट होते हैं। पूर्व में वैज्ञानिकों ने दो आर-रैम्स के विशिष्ट संयोजनों का उपयोग किया और एक तार्किक संक्रिया को कार्यान्वित करने में सफल रहे। वे आगम वोल्टेज को परिवर्तित करने एवं विद्युत धारा के प्रवाह को नियंत्रित करने जैसे संचालन अनुक्रम को निष्पादित कर सके। दो निर्गम टर्मिनलों के प्रतिरोध को माप कर वे पूर्व में संचालित संक्रियाओं की श्रृंखला के परिणामों को भी पुन: प्राप्त कर सके। इस प्रकार इस संयोजन ने स्मृति उपकरण के रूप में भी काम किया।

किंतु, इस तरह के संयोजन को ट्रांजिस्टर और स्मृति उपकरण दोनों के रूप में उपयोग करने के लिए शोधकर्ताओं के द्वारा कई मध्यवर्ती कदम उठाये जाने की आवश्यकता है। यह संगणना की गति को धीमा कर देता है और प्रत्येक चरण के साथ विभिन्न अवयवों के जीवन काल को भी कम करता है। यह आर-रैम्स में उपलब्ध वास्तविक आँकड़ा भंडारण की क्षमता को भी घटाता है।

इन बाधाओं से उबरने के लिए, विभिन्न वैज्ञानिकों ने एक त्रि-अन्त्य अर्थात थ्री टर्मिनल आर-रैम को विकसित करने  की दिशा में विचार किया है। द्वि-अन्त्य आर-रैम्स के विपरीत, तीसरा अन्त्य आर-रैम्स के विभिन्न चरणों में होने वाले संयोजन से मुक्त होता है। यह तार्किक संक्रिया को पूर्ण करने एवं आगम तथा निर्गम की एक पुनरावृत्ति में ट्रांजिस्टर एवं स्मृति कार्यों के क्रियान्वयन को संभव बनाता है। अतः यह शक्ति की बचत करता है तथा आर-रैम में उपलब्ध स्मृति की कुल मात्रा में वृद्धि भी करता है। यद्यपि ये प्रयास अब तक असफल रहे हैं।

अब आईआईटी मुंबई के शोधकर्ताओं ने द्वि-अन्त्य आर-रैम्स पर धातु ऑक्साइड की एक परत का लेपन करके  तीसरे अन्त्य अर्थात थर्ड टर्मिनल को प्राप्त किया है। "हमने ऑक्साइड परत के पार्श्व में लगभग चुपके से एक तीसरे नैनो स्केल अन्त्य में प्रवेश किया है, किन्तु द्वि-अन्त्य आर-रैम्स के व्यवहार को पूर्ण रूप से बाधित किये बिना, इसके नियंत्रण और संवेदन को सक्षम कर पाने के लिए इसमें त्रि-अन्त्य का पर्याप्त समावेश चुनौतीपूर्ण है,” अध्ययन के एक सह-लेखक प्राध्यापक उदय गांगुली कहते हैं ।

त्रि-अन्त्य आर-रैम के करेंट-वोल्टेज सम्बन्धों, एवं सतह-क्षेत्र पर इसकी निर्भरता के प्रायोगिक अध्ययन के द्वारा, शोधकर्ताओं ने पाया कि प्रतिरोध केवल सतह तक ही सीमित नहीं था, अपितु इसके समस्त आयतन में फैला हुआ था। इस प्रकार, उन्होंने प्रदर्शित किया कि तीसरा टर्मिनल उपकरण में बहने वाले विद्युत के प्रवाह को निःसंदेह अनुभव करता है। 

"अंतराफलक अर्थात इंटरफ़ेस की बजाय उपकरण के सम्पूर्ण आयतन में विस्तारित यह प्रतिरोध-परिवर्तन नियंत्रण अत्यंत रोचक है। यह अनियमित परिवर्तन को कम करता है और उपकरण को अधिक स्थिर बनाता है जो एक उत्साह वर्धक विशेषता है," प्राध्यापक गांगुली कहते हैं।

त्रि-अन्त्य आर-रैम्स के विविध संयोजनों के उपयोग के द्वारा शोधकर्ता कुछ सार्वभौमिक अर्थात यूनिवर्सल तार्किक संक्रियाओं को कार्यान्वित कर सकते हैं जो एक लॉजिक सर्किट के निर्माण खंडों को बनाते हैं। इस प्रकार, त्रि-अन्त्य आर-रैम्स  को स्मृति उपकरण के साथ-साथ संगणना उपकरण के रूप में भी प्रयुक्त किया जा सकता है।

"हमने जो भी बतलाया है वह वास्तविक स्मृति उपकरणों के बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए अनिवार्य बहुत से आवश्यक चरणों में से एक है," प्राध्यापक गांगुली साझा करते हैं।

सेमीकंडक्टर रिसर्च कार्पोरेशन, जो इंटेल एवं टेक्सास जैसी इलेक्ट्रॉनिक कंपनियों का एक उद्योग संघ है, परियोजना को लगातार वित्तपोषित कर रहा है, और अगले चरणों की रूपरेखा बनाने का काम जोरों पर है। "हम यह जांच कर रहे हैं कि त्रि-अन्त्य आर-रैम्स, कृत्रिम प्रज्ञा अर्थात आर्टिफिशल इंटेलिजेंस में उपयोग किए जाने वाले भविष्य के माइक्रोप्रोसेसर के प्रदर्शन को कैसे बेहतर कर सकता है," वह विदा लेते हुए कहते हैं।