शोधकर्ताओं ने द्वि-आयामी पदार्थों पर आधारित ट्रांजिस्टर निर्मित किये हैं एवं ऑटोनॉमस रोबोट हेतु अत्यंत अल्प-ऊर्जा के कृत्रिम तंत्रिका कोशिका परिपथ निर्मित करने में इनका उपयोग किया है।

टीबी या क्षय रोग से लड़ने के लिए नई दवाओं पर शोध

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Bengaluru
25 नवंबर 2019
टीबी या क्षय रोग से लड़ने के लिए नई दवाओं पर शोध

टीबी या क्षय रोग, जो माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक बैक्टीरिया के कारण होता है, दुनिया भर में मृत्यु का एक प्रमुख कारण है। अकेले २०१७ में, दुनिया भर में १ करोड़ लोग इस बीमारी से प्रभावित थे, और लगभग १६ लाख लोगों ने इसकी वजह से दम तोड़ दिया। कई मौजूदा दवाओं के प्रतिरोध विकसित करने वाले बैक्टीरिया के कारण, भारत जैसे देशों में यह स्थिति गंभीर हो रही है। हाल ही के एक अध्ययन में, वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय, गुजरात के शोधकर्ताओं ने ट्यूबरक्लोसिस  के खिलाफ कुछ संभावित दवाओं का विकास किया है और टीबी बैक्टीरिया और अन्य रोगाणुओं के प्रतिकूल उनकी दक्षता का परीक्षण किया है।

क्षय रोग के लिए नई दवा यौगिकों की खोज नई नहीं है, दुनिया भर के वैज्ञानिक प्राकृतिक यौगिकों, रसायनिक घटको और दवाओं के संयोजन के उपयोग की खोज कर रहे हैं साथ ही साथ कंप्यूटर आधारित दृष्टिकोणों का उपयोग करके नई दवाओं की जाँच  कर रहे हैं। वर्तमान अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने समूह 'एज़ोल' से संबंधित कुछ रासायनिक घटको को संश्लेषित किया है, जो कि उनके शरीर में लिपिड के संश्लेषण को रोक कर रोगाणुओं, विशेष रूप से कवक को मारने के लिए जाने जाते हैं। यह  शोध कर्रेंट कंप्यूटर-एडेड ड्रग डिज़ाइन पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।

शोधकर्ताओं ने टीबी बैक्टीरिया, चार अन्य बैक्टीरिया और तीन कवक प्रजातियों के प्रतिकूल इन यौगिकों की दक्षता का परीक्षण किया। उन्होंने इन रसायनों की न्यूनतम एकाग्रता का निर्धारण किया जो रोगाणुओं के विकास को रोक सकते हैं। आणविक डॉकिंग नामक एक कंप्यूटर-आधारित दृष्टिकोण, जो दो या अधिक अणुओं के बीच बातचीत की भविष्यवाणी करता है, का प्रयोग कर शोधकर्ताओं ने टीबी बैक्टीरिया में लक्ष्य प्रोटीन के साथ इन यौगिकों की परस्पर क्रिया का भी अध्ययन किया। उन्होंने इन यौगिकों के अवशोषण, वितरण, चयापचय और उत्सर्जन गुणों का भी परीक्षण किया जो एक दवा के रूप में उपयोग किए जाने वाले रासायनिक यौगिक की व्यवहार्यता निर्धारित करने के लिए आवश्यक मापदंड  है।

शोधकर्ताओं ने संश्लेषित यौगिकों में से छह में  रोगाणुरोधी गतिविधि  देखी  जिसमें  एक टीबी बैक्टीरिया को मारने में कुशल था। शोधकर्ताओं का मानना ​​है कि यह यौगिक एक संभावित एंटी-ट्यूबरकुलोसिस दवा के रूप में कार्य कर सकता है। वे कहते हैं कि, "इस शोध के निष्कर्ष भविष्य में एंटीट्यूब्युलर गतिविधि को बेहतर बनाने के लिए नए व्युत्पन्न की तैयारी के लिए सबसे अच्छा विकल्प प्रस्तुत करते हैं।” पूरे जोर शोर से इस रोग के खिलाफ वैश्विक स्तर पर हो रही लड़ाई में  इस तरह के अध्ययन से हमें रोग को खत्म करने के लक्ष्य को जल्द ही हासिल करने में मदद मिल सकती है।