एरेटेड ऑटोक्लेव्ड कंक्रीट ब्लॉक जैसी पर्यावरण-कुशल भित्ति सामग्री, प्राकृतिक वायु संचालित घरों में तापमान को बहुत कम कर इसे आंतरिक रूप से सुविधाजनक बनाती हैं।

नैनो आकार के ऑप्टिकल फिल्टरों की नई सम्भावनाएँ

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Bengaluru
2 अक्टूबर 2020
नैनो आकार के ऑप्टिकल फिल्टरों की नई सम्भावनाएँ

ग्राफीन, कार्बन की एक पतली परत है, जिसमे एक सतह में षट्कोण संरचना में परमाणु, एक छत्ते के रूप में उपस्थित रहते है। 2004 में आंद्रे गीम और कोस्त्या नोवोसेलोव ने पहली बार चिपकाने वाले  टेप का उपयोग करके ग्राफीन को ग्रेफाइट से अलग किया था, जिसके लिए उन्हें वर्ष 2010 में भौतिकी के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।इसके बाद  इस अद्भुत वस्तु पर जोर शोर से अनुसन्धान चालू हो गया और साथ ही शोधकर्ता अन्य दो-आयामी पदार्थो को बनाने में जुट गए हैं ।

वैज्ञानिक, कम से कम 700 स्थिर दो आयामी पदार्थो का पूर्वानुमान करते हैं। हालाँकि इनमें से कई पदार्थो का अभी तक संश्लेषण नहीं किया गया है, वैज्ञानिक उनके गुणों को समझने के लिए सैद्धांतिक अध्ययन कर रहे हैं। इन पदार्थो के उपयोग से इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में बड़ा बदलाव होने की संभावना है क्योंकि इनका उपयोग फोटोवोल्टाइक,  इलेक्ट्रॉनिक्स और कैंसर चिकित्सा  में किया जा सकता है।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई के प्राध्यापक भास्करन मुरलीधरन और डॉ एलेस्टिन मावरी ने दो-आयामी नैनो पदार्थो की एक विशिष्ट श्रेणी पर शोध किया है, जिसे "अर्ध-डिराक पदार्थ" कहा जाता है। उनके सैद्धांतिक अध्ययनों से पता चलता है कि ये पदार्थ ऑप्टिकल फिल्टर और कुशल थर्मोइलेक्ट्रिक नैनो उपकरण बनाने के काम आ  सकते है।

अर्ध-डिराक पदार्थो के विशेष गुण

कई दो आयामी पदार्थ उत्कृष्ट अर्धचालक हैं। डिराक पदार्थ एक विशेष प्रकार के दो आयामी (2 डी) पदार्थ है जिसका उपयोग इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बनाने के लिए किया जा सकता है, और ये “अलवणीकरण” एवं डीएनए अनुक्रमण में भी उपयोगी हो सकते हैं। पारंपरिक धातुओं की तुलना में इन पदार्थो के गुणों को संशोधित करने के लिए कम मापदंडों को संशोधित करने की आवश्यकता होती है।

डिराक पदार्थो में, पदार्थ के भीतर आवेश वाहक की गति प्रकाश की गति के करीब होती है। जबकि अर्ध-डिराक पदार्थो में, दो आयामी सतह के भीतर आवेश वाहकों की गति सभी दिशाओं में समान नहीं होती । इनमे आवेश वाहकों की गति केवल एक ही दिशा में ही प्रकाश के करीब होती है, और जबकि इसके लंबवत दिशा में इसकी गति काफी कम होती हैं। अर्ध-डिराक पदार्थो की यह अनूठी प्रकृति, उनके इलेक्ट्रॉनिक गुणों, जैसे ऑप्टिकल चालकता और थर्मोइलेक्ट्रीसिटी में, इन्हे अलग ही श्रेणी की ओर ले जाती है।

एक पदार्थ की ऑप्टिकल चालकता ये निर्धारित करती है कि विद्युत चुम्बकीय तरंगों एवं प्रकाश के लिए इसकी प्रतिक्रिया कैसी होगी। अर्ध-डिराक पदार्थो में एक विशिष्ट आवृत्ति और विशिष्ट ध्रुवीकरण के विद्युत चुम्बकीय तरंगों के लिए बहुत उच्च ऑप्टिकल चालकता हो सकती है। एक विद्युत चुम्बकीय तरंग का ध्रुवीकरण उस दिशा को दर्शाता है जिसमें प्रसार की दिशा के संदर्भ में इसके विद्युत क्षेत्र का घटक दोलन करता हो। जब विद्युत क्षेत्र, सतह (x-y) अक्ष  की दिशा और प्रसार की दिशा (z-अक्ष) के लंबरूप में दोलन करता हैं तो इसे "रैखिक पोलराइज़्ड तरंग" कहते हैं। यदि दोलन की दिशा x- दिशा के साथ है, तो हम इसे x ध्रुवीकृत तरंग कह सकते हैं। एक तरंग जिसमें विद्युत क्षेत्र y- अक्ष के साथ दोलन करता है, y ध्रुवीकृत तरंग कहलाती है।

थर्मोइलेक्ट्रिक पदार्थो में, दोनों सिरों के बीच के वोल्टेज का अंतर, तापमान में अंतर दिखाता है और इसके विपरीत तापमान के अंतर से वोल्टेज में अंतर दिखेगा। इस तरह के पदार्थो का उपयोग नैनो-उपकरणों से ऊष्मा को बाहर निकालने के लिए ऊष्मा पम्प के रूप में किया जा सकता है, इससे उनकी आयु और दक्षता में वृद्धि होती है।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई के शोधकर्ता यह अध्ययन करना चाहते थे कि अर्ध-डिराक पदार्थो के भौतिक गुण, विभिन्न मापदंडों के बदलाव के साथ कैसे बदलते हैं। उन्होंने इस बात पर ध्यान केंद्रित किया कि ऑप्टिकल चालकता और थर्मोइलेक्ट्रिक गुण, ट्यूनेबल मापदंडों या गैप मापदंडों के बदलाव के साथ कैसे बदलते हैं।

ऑप्टिकल फिल्टर बनाने के लिए ऑप्टिकल चालकता की ट्यूनिंग

एक पदार्थ की ऑप्टिकल चालकता, पदार्थ के पारदर्शी या अपारदर्शी होने के गुण को दर्शा सकती हैं। उदाहरण के लिए, एक बढ़ी हुई ऑप्टिकल चालकताको को विद्युत चुम्बकीय तरंगों के उच्च अवशोषण के रूप में देखा जा सकता हैं।

शोधकर्ताओं ने एक्स (x) एवं वाई (y) ध्रुवीकृत प्रकाश के लिए अर्ध-डीराक पदार्थ की अनुक्रियाओं को समझने के लिए गणना की। उन्होंने दिखाया कि अर्ध-डीराक पदार्थो की ऑप्टिकल चालकता को समायोजित करने के लिए गैप मापदंड को ट्यून किया जा सकता है। यह तब एक विशिष्ट आवृत्ति और ध्रुवीकरण के प्रकाश के लिए उच्च ऑप्टिकल चालकता वाले पदार्थ बनाने में मदद कर सकता है। कोई पदार्थ (y) ध्रुवीकृत प्रकाश के लिए उच्च चालकता के लिए बनाए जा सकते हैं , जो केवल एक्स (x) ध्रुवीकृत प्रकाश को गुजरने की अनुमति देता है। इसके अलावा, विभिन्न पदार्थो के लिए, शोधकर्ताओं ने प्रकाश की आवृत्ति का पता किया है जिस पर ऑप्टिकल चालकता के लिए उच्च दिशा-निर्भरता दिखाई देती है।

“ऑप्टिकल चालकता की उच्च निर्भरता की दिशा का संकेत है कि अर्ध-डीरेक पदार्थो का उपयोग एक पारदर्शी संवाहक के रूप में किया जा सकता है, जिसमें एक दिशा में पारदर्शिता होती है, जबकि लम्बवत दिशा में बहुत अधिक अवशोषण या अपारदर्शिता होती हैं। इस गुण का उपयोग दो आयामी अर्ध-डिराक पदार्थो की  भौतिकी की जाँच के लिए किया जा सकता है,” प्राध्यापक मुरलीधरन अपने अध्ययन के संभावित  उपयोगों के बारे में कहते हैं।

थर्मोइलेक्ट्रिक उपकरणों की शक्ति और दक्षता का अनुकूलन

नैनो थर्मोइलेक्ट्रिक उपकरण, उस परिचालन स्थिति में बहुत कुशल नहीं हो सकते हैं जब उत्पादन शक्ति उच्चतम स्थिति में हो। परिचालन स्थिति में जिसमें सर्वोत्तम संभव दक्षता हो, उस स्थिति में शक्ति पर्याप्त नहीं हो सकती है। इन उपकरणों की रचना करने में चुनौतियों में से एक, इष्टतम परिस्थितियों को प्राप्त करना है जिसमे सर्वोत्तम संभव दक्षता पर पर्याप्त बिजली उत्पादन सुनिश्चित करना है।

प्राध्यापक मुरलीधरन और डॉ मावरी ने सैद्धांतिक रूप से दो-आयामी अर्ध-डीराक-आधारित नैनो थर्मोइलेक्ट्रिक उपकरणों के गैप मापदंडों के विभिन्न मूल्यों के लिए दक्षता और शक्ति की गणना की है। उन्होंने पाया कि गैप मापदंडो के विशिष्ट मूल्यों के लिए, ये पदार्थ उच्च शक्ति के साथ उच्च दक्षता पर काम कर सकते हैं। इस प्रकार, इन उपकरणों में इष्टतम शक्ति और दक्षता प्राप्त करने के लिए गैप मापदंड को ट्यून करना संभव हो सकता है। यह नैनो थर्मोइलेक्ट्रिक उपकरणों, विशेष रूप से थर्मोइलेक्ट्रिक हीट पंपों की रचना के लिए नए रास्ते खोल सकता है।

शोध के निष्कर्ष, दो-आयामी अर्ध-डीराक पदार्थो की क्षमता दिखाते हैं, लेकिन हमें ध्यान देना चाहिए कि ये सैद्धांतिक परिणाम और प्रस्ताव भर हैं। "हमें उम्मीद है कि प्रायोगिक गतिविधियों में कार्यरत कुछ समूह हमारे शोध परिणामों पर ध्यान देंगे और हमारे परिणामों को सुनिश्चित करने के लिए भविष्य में आवश्यक प्रयोगों का संचालन करेंगे," प्राध्यापक मुरलीधरन कहते हैं।