वास्तविक समय में निगरानी एवं परिवर्तनीय परिस्थितिओं के अनुरूप कार्य का आवंटन करने में सक्षम नवीन एल्गोरिदम, स्वायत्त रोबोट्स के मध्य परस्पर सहयोग में उल्लेखनीय प्रगति लाने वाले हैं।

आईआईटी बॉम्बे के वैज्ञानिकों ने यह प्रदर्शित किया है कि दवाओं के मिश्रण का उपयोग, दवा प्रतिरोधी जीवाणुओं  के कारण होने वाली बिमारी टीबी के उपचार  में सहायता कर सकता है।

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भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई (आईआईटी बॉम्बे), यांत्रिक अभियांत्रिकी  विभाग के प्राध्यापक अमित अग्रवाल को वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) द्वारा  दिए जाने वाले शांति स्वरुप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार माइक्रोफ्लुइडिक उपकरणों में प्रयोगात्मक, सैद्धांतिक और संख्यात्मक काम सहित फ्लूइड मैकेनिक्स के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया गया है।

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भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई के रसायन विज्ञान विभाग में  प्राध्यापक, चंद्र ए.म. आर वोला को रासायनिक विज्ञान के क्षेत्र में उनके शोध के लिए २०१८ का राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, भारत का युवा वैज्ञानिक पुरस्कार सम्मानित किया गया है। उनका काम उत्प्रेरण के रूप में संदर्भित घटक के उपयोग से रासायनिक प्रतिक्रिया में तेजी लाने की प्रक्रियासे संबंधित है। यह पुरस्कार उन्हें अन्य तीन वैज्ञानिकों  के साथ सयुंक्त रूप से मिला है।

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हाल ही में, आयुष मंत्रालय (आयुर्वेद, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध, एवं होम्योपैथी) भारत सरकार के अधीन एक स्वायत्तशासी निकाय केन्द्रीय आयुर्वेदीय विज्ञान अनुसंधान परिषद् (सीसीआरएएस) द्वारा प्रस्तुत आयुष पुरस्कारों में, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई के एक शोध समूह ने दो शीर्ष प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।

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डॉ विशाल, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मुंबई के पृथ्वी विज्ञान विभाग में सहायक प्राध्यापक पद पर नियुक्त हैं। हाल ही में इन्हें अपरंपरागत हाइड्रोकार्बन पर अपने काम के लिए प्रतिष्ठित नासी युवा वैज्ञानिक पुरस्कार-2018 से सम्मानित किया गया । डॉ विशाल देश भर के २० युवा शोधकर्ताओं में से एक हैं , जिन्हें इलेक्ट्रॉनिक्स, अभियांत्रिकी, रासायनिक विज्ञान, भौतिक विज्ञान, और वनस्पति विज्ञान के क्षेत्र में असाधारण शोध के लिए वार्षिक पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

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कीटनाशकों का छिड़काव, स्प्रे पेंटिंग, ऑटोमोबाइल इंजनों में ईंधन का इंजेक्शन   और यहाँ तक कि खाना बनाने जैसे कई क्रियाओं में महीन बूँदों का स्प्रे मुख्य रूप में प्रयोग होता है। लेकिन , क्या आपने कभी सोचा है कि यह स्प्रे बनता कैसे है?

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भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मुंबई (आई आई टी बॉम्बे) के शोधकर्ताओ ने एक जीवन-रक्षक यंत्र विकसित किया है जो स्मार्ट फोन की मदद से दिल का दौरा पड़ने से पहले ही उसका पता लगा सकता है। इस अभिनव सेन्सर की संकल्पना शोध छात्रों, देबास्मिता मोंडोल और सौरभ अग्रवाल, ने प्रोफेसर सौम्यो मुखर्जी के मार्गदर्शन में की है। इसके लिए हाल ही में उन्हें गांधीवादी युवा प्रौद्योगिकी अभिनव पुरस्कार 2018 से

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ताँबा (कॉपर) मानव में तंत्रिका और प्रतिरक्षा प्रणाली के सुचारू कामकाज के लिए एक आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व है। यह पौधों के विकास और प्रजनन में भी एक महत्त्वपूर्ण एवं नियामक भूमिका निभाता है। शरीर मे ताँबे की कमी रक्त और तंत्रिका तंत्र से संबंधित विकारों का कारण बनती है जबकि इसकी अतिरिक्त मात्रा जहरीली हो सकती है जिसके परिणामस्वरूप अल्ज़ाइमर रोग और सूजन संबंधी विकार उत्पन्न हो जाते हैं। हाल ही के एक अध्ययन में बायोसाइंसेज और बायोइंजिनियरिंग विभाग, भारतीय प्रौ

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अधिकांश आधुनिक जीवन इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के बिना अकल्पनीय है जैसे कंप्यूटर या मोबाइल फोन, जिस पर आप इस लेख को पढ़ रहे हैं, आपके बैठक कक्ष में रखा  टेलीविज़न , आपके रसोईघर में सूक्ष्म तरंग भट्ठी (माइक्रोवेव ओवन) इत्यादि !

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