क्षयरोग के जीवाणु प्रसुप्त अवस्था में अपने बाह्य आवरण में होने वाले परिवर्तन के कारण प्रतिजैविक (एंटीबायोटिक्स) से बच कर लंबे समय तक जीवित रह सकते हैं।
पदार्थ अपने ऊपर आपतित 87% से भी अधिक प्रकाश को उपयोगी ऊष्मा ऊर्जा में परिवर्तित करता है।