शोधकर्ताओं ने द्वि-आयामी पदार्थों पर आधारित ट्रांजिस्टर निर्मित किये हैं एवं ऑटोनॉमस रोबोट हेतु अत्यंत अल्प-ऊर्जा के कृत्रिम तंत्रिका कोशिका परिपथ निर्मित करने में इनका उपयोग किया है।

यह अध्ययन समस्त पश्चिमी घाट क्षेत्र में मिट्टी की दीर्घकालिक क्षति के मापन हेतु रिमोट सेंसिंग डेटा का उपयोग करने वाला प्रथम अध्ययन है।

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सीवर और जल निकायों में रोगजनक विषाणु और जीवाणुओंका पता लगाने के लिए एक नया पोर्टेबल डीएनए सेंसर

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एक नया एल्गोरिदम जो छोटे रोबोट या ड्रोन से शूट किए गए वीडियो से अनभिप्रेत गति के प्रभाव को हटा देने में सक्षम है

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एक नवीन अध्ययन के अनुसार नगर जल अवसंरचना में स्थायित्व एवं परिवर्तनशीलता लाने हेतु प्रवर्धित विकेंद्रीकृत (स्केल्ड डिसेंट्रलाईज्ड) प्रणालियों की ओर ले जाने वाला एक आमूल-चूल परिवर्तन आवश्यक है।

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आईआईटी मुंबई के प्राध्यापक देबब्रत मैती को वैज्ञानिक उपादेयता (वैलोराईजेशन) से संबन्धित उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए एसएसबी पुरस्कार 2022 से सम्मानित किया गया।

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भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मुंबई (आईआईटी बॉम्बे) के दो नवीन अध्ययन स्फटिक (क्रिस्टल) में परमाणुओं की व्यवस्था में अन्तर्निहित

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कई परमाणुओं से मिलकर जब अणु निर्मित होते हैं, तो इन परमाणुओं के जुड़ने की प्रक्रिया पृथक-पृथक हो सकती है। एक ही अणु के दो रूपों की संरचना समान हो सकती है किन्तु यदि परमाणुओं की व्यवस्था पृथक-पृथक होती है तो समभारी (आइसोमर्स) बनते हैं। कुछ समभारियों में ऐसी संरचनाएं हो सकती हैं जो एक दूसरे की दर्पण छवियां (मिरर इमेज) हों। ऐसे अणुओं को काइरल अणु कहते हैं। वैज्ञानिक ऐसे अणुओं के अध्ययन में रुचि रखते हैं, उदाहरण स्वरुप पेनिसिलिन, क्योंकि इसके अणुओं की एक व्यवस्था जीवन रक्षक हो सकती है जबकि दूसरी घातक हो सकती है!

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