क्षयरोग के जीवाणु प्रसुप्त अवस्था में अपने बाह्य आवरण में होने वाले परिवर्तन के कारण प्रतिजैविक (एंटीबायोटिक्स) से बच कर लंबे समय तक जीवित रह सकते हैं।

Deep-dive

मुंबई

शोधकर्ताओं ने नए कोरोनावायरस (SARS-CoV-2) समाहित खाँसी के माध्यम से रोग के प्रसार का अध्ययन किया है ।

मुंबई

शोधकर्ताओं ने स्वेद (स्वेट) के  चयापचय  (मेटाबोलाइट) स्तर में परिवर्तन का पता लगाने के लिए तन्तु (थ्रेड) आधारित संवेदक विकसित किया है।

मुंबई

बच्चों में अल्पपोषण, सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी और मोटापे से संबधित मूल्यांकन के लिए शोधकर्ता एक  नई तकनीक का उपयोग करते हैं। 

मुंबई

वैज्ञानिकों ने मानव प्रोटिओम परियोजना द्वारा प्रोटीओम पहचान के लिए कड़ाई से पालन किए जा रहे मानकों पर चर्चा की।

मुंबई

शोधकर्ताओं ने चक्रवात फैलिन के बाद के सामाजिक, आर्थिक, मानवीय और शारीरिक कारकों जो बहाली के प्रेरक और कारण बने, की जाँच की 

मुंबई

शोधकर्ताओं ने मलेरिया रोग की गंभीरता का पता लगाने की दिशा में प्रोटीन के समूह /पैनल की पहचान करने के लिए प्रोटीनों का विश्लेषण और मशीन लर्निंग का उपयोग किया है।

बेंगलुरु

भारत के कुछ जगहों पर सत्ता और संसाधनों के लिए निरंतर संघर्ष ने बड़े अनुभागो के लोगों को  स्वत्व अधिकार मांग करने और उन पर जबरन लगाए गये  संवैधानिक पद क्रम  को अस्वीकार करने के लिए मजबूर कर दिया है। इसके बजाय  वे सक्रिय रूप से अपने जीवन में सरकार के विभिन्न स्तरों की सत्ता को पलटने में भाग लेते हैं। यह सत्य है विशेष रूप से आदिवासी लोगों की बड़ी आबादी वाले उन क्षेत्रों में, जो लोग मताधिकार से वंचित महसूस करते हैं। वे संवैधानिक शक्तियों के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष का सहारा लेते हैं और इस प्रक्रिया  को बगावत के रूप में जाना जाता है। ऐसा ही एक क्

मुंबई

शोधकर्ताओं ने बायो-सेंसर्स में प्रदर्शन सीमा की पहचान की है जो वांछित अणुओं की सांद्रता के निर्धारण के लिए सक्रिय पारस्परिक क्रियाओं अर्थात डाइनैमिक इंटरएक्शन का निरीक्षण करती हैं।

मुंबई

रोग उत्पन्न करने वाले जीवाणुओं के कोशिकाओं की दीवार  के निर्माण में रोक लगाने के लिए शोधकर्ताओं ने संशोधित शर्करा का उपयोग  किया है .

मुंबई

ठोस पदार्थों में निहित कम्पन  पर दृष्टि रखने हेतु  सिद्धांतवादी एवं  प्रयोगवादी वैज्ञानिक एक साथ आए हैं।

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