आईआईटी मुम्बई के वैज्ञानिकों ने ग्राफ़ीन आधारित एक नवीन जल-अपकर्षी पदार्थ विकसित किया है, जो मीठे जल संबंधी संकट को दूर करने में सहायक हो सकता है।
मंगल ग्रह पर स्थित घाटियों के जाल से प्राप्त नए प्रमाण इस बात की पुष्टि करते हैं कि लगभग चार अरब वर्ष पहले नोआकियन काल में उष्ण और आर्द्र जलवायु धीरे-धीरे परिवर्तित होकर लगभग तीन अरब वर्ष पहले हेस्पेरियन काल तक ठंडी और हिममय हो गई थी।
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