भारत विविधताओं का देश है। देश में बोली जाने वाली भाषाओं की व्यापक संख्या इस तथ्य का प्रमाण है। मुख्यतया चार भाषाओं के वर्ग हैं जिनके साथ बाईस अनुसूचीबद्ध भाषाएँ हैं, जिनमें तीस से अधिक भाषाएँ दस लाख से अधिक लोगों द्वारा बोली जाती हैं।
भारत विविधताओं का देश है। देश में बोली जाने वाली भाषाओं की व्यापक संख्या इस तथ्य का प्रमाण है। मुख्यतया चार भाषाओं के वर्ग हैं जिनके साथ बाईस अनुसूचीबद्ध भाषाएँ हैं, जिनमें तीस से अधिक भाषाएँ दस लाख से अधिक लोगों द्वारा बोली जाती हैं।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई के शोधकर्ताओं के प्रस्ताव को कार्बन निष्कासन के लिए दी जाने वाली X-पुरस्कार छात्र प्रतियोगिता में चयनित किया गया।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई के प्राध्यापक सुब्रमण्यम चंद्रमौली को 'हरित ऊष्मा' उत्पन्न करने के उनके अभिनव प्रस्ताव के लिए स्वर्णजयंती फैलोशिप वर्ष 2021 से सम्मानित किया गया।
शोधकर्ताओं ने एक नया कृत्रिम प्रज्ञा ()समर्थ अल्गोरिद्म विकसित किया है जो तन्तुहीन (वायरलैस ) रूप से संचालित संचार जालक (नेटवर्क) की ऊर्जा दक्षता में उल्लेखनीय वृद्धि करता है।
शोधकर्ताओं ने एक नया कृत्रिम प्रज्ञा ()समर्थ अल्गोरिद्म विकसित किया है जो तन्तुहीन (वायरलैस ) रूप से संचालित संचार जालक (नेटवर्क) की ऊर्जा दक्षता में उल्लेखनीय वृद्धि करता है।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई के शोधकर्ताओं ने सिक्किम के एक ऊंचाई वाले स्थान में एक सौर माइक्रो-ग्रिड स्थापित किया है।
शोधकर्ताओं ने यह अध्ययन किया कि जल उन सतहों पर किस तरह प्रवाहित होता है जो उसे अत्यधिक विकर्षित करता है।
आजकल का अदृश्य हत्यारा, वायु प्रदूषण, आज एक प्रमुख वैश्विक स्वास्थ्य के जोखिम के रूप में हमारे सामने है, जिसने निम्न और मध्यम आय वाले देशों को अधिक प्रभावित किया है। दुनिया के 15 सबसे प्रदूषित शहरों में से 14 अकेले भारत में ही हैं। इसके उचित समाधान हेतु विभिन्न राज्यों में वायु प्रदूषण के स्तर और प्रभाव को समझने के लिए एक राष्ट्रव्यापी व्यापक अध्ययन आवश्यक था। “लैनसेट प्लैनेटरी हेल्थ” नामक शोध-पत्रिका में प्र
टीबी या क्षय रोग, जो माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक बैक्टीरिया के कारण होता है, दुनिया भर में मृत्यु का एक प्रमुख कारण है। अकेले २०१७ में, दुनिया भर में १ करोड़ लोग इस बीमारी से प्रभावित थे, और लगभग १६ लाख लोगों ने इसकी वजह से दम तोड़ दिया। कई मौजूदा दवाओं के प्रतिरोध विकसित करने वाले बैक्टीरिया के कारण, भारत जैसे देशों में यह स्थिति गंभीर हो रही है। हाल ही के एक अध्ययन में, वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय, गुजरात के शोधकर्ताओं ने ट्यूबरक्लोसिस के खिलाफ कुछ संभावित दवाओं का विकास किया है और टीबी बैक्टीरिया और अन्य रोगाणुओं के प्रतिकूल उनकी दक्षता का पर
एक नवीन अध्ययन के अंतर्गत भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (भारतीय खनि विद्यापीठ), धनबाद के शोधकर्ताओं ने रक्त में शर्करा की निगरानी हेतु एक प्रकाश आधारित रक्त शर्करा संवेदक विकसित किया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह रक्त-शर्करा (रक्त में स्थित ग्लूकोज की मात्रा) को १० से २०० मिग्रा की विस्तृत सीमा तक माप सकता है। एक स्वस्थ वयस्क के लिए खाली पेट की स्थिति में रक्त शर्करा का औसत स्तर ७० से १२० मिलीग्राम/डेसीलीटर तक होता है।