आईआईटी मुंबई द्वारा विकसित नया स्पाडानेट (SpADANet) नामक डीप लर्निंग फ्रेमवर्क सीमित लेबलों का उपयोग करते हुए कई, चक्रवातों में हुए हानि के वर्गीकरण की सटीकता को बढ़ाता है।

IIT Bombay

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प्रयोगात्मक रूप से मान्य नया  मॉडल अत्यंत सघन इलेक्ट्रॉनिक परिपथों  की रचना करते समय, निर्माण प्रक्रिया में  वैविध्य (वेरिएशन) के लिए उत्तरदायी  है।

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शोधकर्ताओं ने नए कोरोनावायरस (SARS-CoV-2) समाहित खाँसी के माध्यम से रोग के प्रसार का अध्ययन किया है ।

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शोधकर्ताओं ने स्वेद (स्वेट) के  चयापचय  (मेटाबोलाइट) स्तर में परिवर्तन का पता लगाने के लिए तन्तु (थ्रेड) आधारित संवेदक विकसित किया है।

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बच्चों में अल्पपोषण, सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी और मोटापे से संबधित मूल्यांकन के लिए शोधकर्ता एक  नई तकनीक का उपयोग करते हैं। 

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वैज्ञानिकों ने मानव प्रोटिओम परियोजना द्वारा प्रोटीओम पहचान के लिए कड़ाई से पालन किए जा रहे मानकों पर चर्चा की।

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शोधकर्ताओं ने चक्रवात फैलिन के बाद के सामाजिक, आर्थिक, मानवीय और शारीरिक कारकों जो बहाली के प्रेरक और कारण बने, की जाँच की 

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शोधकर्ताओं ने मलेरिया रोग की गंभीरता का पता लगाने की दिशा में प्रोटीन के समूह /पैनल की पहचान करने के लिए प्रोटीनों का विश्लेषण और मशीन लर्निंग का उपयोग किया है।

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शोधकर्ताओं ने बायो-सेंसर्स में प्रदर्शन सीमा की पहचान की है जो वांछित अणुओं की सांद्रता के निर्धारण के लिए सक्रिय पारस्परिक क्रियाओं अर्थात डाइनैमिक इंटरएक्शन का निरीक्षण करती हैं।

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रोग उत्पन्न करने वाले जीवाणुओं के कोशिकाओं की दीवार  के निर्माण में रोक लगाने के लिए शोधकर्ताओं ने संशोधित शर्करा का उपयोग  किया है .

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ठोस पदार्थों में निहित कम्पन  पर दृष्टि रखने हेतु  सिद्धांतवादी एवं  प्रयोगवादी वैज्ञानिक एक साथ आए हैं।

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