क्षयरोग के जीवाणु प्रसुप्त अवस्था में अपने बाह्य आवरण में होने वाले परिवर्तन के कारण प्रतिजैविक (एंटीबायोटिक्स) से बच कर लंबे समय तक जीवित रह सकते हैं।

Deep-dive

मुंबई

मिलिट्री संचार व्यवस्था को कैसे और मज़बूत बनाएँ - भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मुंबई द्वारा एक सैद्धांतिक अध्ययन 

मुंबई

अध्ययन से पता चला है कि कैसे भूमि के आकार, सिंचाई और किरायेदारी के आधार पर किसान कपास के खेतों में कीटनाशकों पर खर्च करते हैं

कानपुर

२०१९ का वर्ष, और विश्व के सबसे वृहद लोकतंत्र भारत में चुनाव, अपने पूरे उमंग और ज़ोर शोर के साथ अभी-अभी सम्पन्न हुआ है । बीते अन्य वर्षों के समान, ९०करोड़ लोगों का उत्साह बढ़ाने एवं अपने मताधिकार के उपयोग के लिए उन्हें प्रेरित करने के बाद कई पुराने कीर्तिमान टूटे और नए स्थापित

पुदुचेरी

कुछ अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों के समूह ने हाल ही के एक नए अध्ययन में बिहार में कुष्ठ रोग के निदान के लिए एक सरकारी सहायता प्राप्त कार्यक्रम की कुछ अप्रिय वास्तविकता का खुलासा किया है। साथ ही इस बात का अनुमान लगाया है कि कैसे इस कुष्ठ रोग का सटीक निदान हो सके। ये वैज्ञानिक डेमियन फाउंडेशन इंडिया ट्रस्ट, डेमियन फाउंडेशन, बेल्जियम, जवाहरलाल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्टग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, पुदुचेरी, इंटरनेशनल यूनियन फॉर ट्यूबरकुलोसिस एंड लंग डिजीज, फ्रांस औ

मुंबई

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मुंबई के शोधकर्ताओं ने कैंसर ग्रस्त कोशिकाओं में औषधि पहुंचाने के लिए प्रोटीन आधारित वाहक की संरचना की है।

Bengaluru

क्या आप जानते हैं कि पोकेमॉन फ्रैंचाइज़ी का प्रसिद्ध चरित्र, पिकाचु नामक एक ठंडे पहाड़ी क्षेत्रों में पाए जाने वाले छोटे जानवर से प्रेरित था?

Bengaluru

एशिया, युरोप, दक्षिण अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया सहित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली के शोधकर्ताओं की एक बहु-राष्ट्रीय टीम ने 39 देशों के लगभग 17 हज़ार लोगों का सर्वेक्षण  किया, यह जानने के लिए कि समाजों के बीच पारस्परिक सम्बंध भिन्न क्यों हैं?

देहरादून

भारतीय वन्यजीव संस्थान के शोधकर्ताओं ने पूर्वी हिमालय की 3,630 मीटर ऊँचाई की पहाड़ियों में इन शाही बाघों के होने के साक्ष्य का पहला फोटो प्रस्तुत किया था।

पुणे

जॉन्स हॉपकिंस स्कूल ऑफ मेडिसिन और बायरामजी जीजीभोय सरकारी मेडिकल कॉलेज के शोधकर्ताओं ने अध्ययन किया कि घरेलू वायु प्रदूषण क्षय रोग को कैसे प्रभावित कर सकता है।

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लगभग एक मीटर लंबा और १८ किलोग्राम तक वजन वाला, ग्रेट इंडियन बस्टर्ड पृथ्वी पर सबसे भारी उड़ने वाले पक्षियों में से एक है। पिछले ५० वर्षों में उनकी संख्या में लगभग ९०% की गिरावट आई है, और इन करिश्माई पक्षियों का भविष्य विलुप्ति की ओर बढ़ रहा है। वे अब अपने अस्तित्व के लिए समय के खिलाफ एक कड़ी दौड़ में हैं और अगर ये हालात तेजी से नहीं बदलते हैं, तो वे स्वतंत्र भारत में विलुप्त होने वाली पहली प्रजाति हो सकते हैं।

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