क्षयरोग के जीवाणु प्रसुप्त अवस्था में अपने बाह्य आवरण में होने वाले परिवर्तन के कारण प्रतिजैविक (एंटीबायोटिक्स) से बच कर लंबे समय तक जीवित रह सकते हैं।

Technology

मुंबई

मशीन लर्निंग तकनीक के उपयोग से औषधीय रूप से महत्वपूर्ण अणुओं की रासायनिक संरचना में फेरबदल के लिए सर्वश्रेष्ठ उत्प्रेरक की खोज

बेंगलुरु

प्रोटीन प्रिंट करने और कोशिकाओं को उगाने के लिए माइक्रोकॉन्टेक्ट प्रिंटिंग स्टैम्प बनाने के लिए शोधकर्ताओं ने लागत प्रभावी तकनीकें प्रस्तावित की हैं|

मुंबई

शोधकर्ताओं ने पानी में उपस्थित दूषित भारी धातु पदार्थों को एकल चरण प्रक्रिया से हटाने के लिए एक नए पदार्थ की रचना की है।

मुंबई

सूखे रंग या जमा स्याही के आकार इन कोलॉइड में मौजूद कणों की एकाग्रता और आकार से संबंध रखते हैं

गुजरात

टीबी या क्षय रोग, जो माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक बैक्टीरिया के कारण होता है, दुनिया भर में मृत्यु का एक प्रमुख कारण है। अकेले २०१७ में, दुनिया भर में १ करोड़ लोग इस बीमारी से प्रभावित थे, और लगभग १६ लाख लोगों ने इसकी वजह से दम तोड़ दिया। कई मौजूदा दवाओं के प्रतिरोध विकसित करने वाले बैक्टीरिया के कारण, भारत जैसे देशों में यह स्थिति गंभीर हो रही है। हाल ही के एक अध्ययन में, वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय, गुजरात के शोधकर्ताओं ने ट्यूबरक्लोसिस  के खिलाफ कुछ संभावित दवाओं का विकास किया है और टीबी बैक्टीरिया और अन्य रोगाणुओं के प्रतिकूल उनकी दक्षता

करनाल

लगभग 11,000 साल पहले, मध्यपूर्व के ‘फर्टाइल क्रिसेंट’ इलाके में किसानों को गेहूँ उगाते हुए एक अनोखी चुनौती से जूझना पड़ता था। पकने के बाद इस जंगली प्रजाति के खपली गेहूँ के दाने कटाई से पहले जमीन पर गिरकर बिखर जाते थे। अगले कुछ हज़ारों वर्षों तक किसानों ने सावधानीपूर्वक चुनकर कुछ पौधों की नस्ल को आगे बढ़ाया जिसके परिणामस्वरूप आज के उपजाए जाने वाले गेहूँ तक हम पहुँच पाये हैं। गेहूँ के दाने अब बड़े हो गए हैं, उनकी उपज बेहतर होती है, और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि ये पौधे कटाई तक पके हुए दानों को जकड़े रहते हैं। गेहूँ, चावल, और मकई जैसी फसलों के वर्षों तक चले चुनिंदा

धनबाद

एक नवीन अध्ययन के अंतर्गत भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (भारतीय खनि विद्यापीठ), धनबाद के शोधकर्ताओं ने रक्त में शर्करा की निगरानी हेतु एक प्रकाश आधारित रक्त शर्करा संवेदक विकसित किया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि  यह रक्त-शर्करा (रक्त में स्थित ग्लूकोज की मात्रा) को १० से २०० मिग्रा की विस्तृत सीमा तक माप सकता है। एक स्वस्थ वयस्क के लिए खाली पेट की स्थिति में रक्त शर्करा का औसत स्तर ७० से १२० मिलीग्राम/डेसीलीटर तक होता है।

मुंबई

शोधकर्ताओं ने पता लगाया कि कैसे मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार करने वाला  स्यूडोमोनास नामक जीवाणु  कार्बारिल को हज़म कर जाता  है

बेंगलुरु

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बॉम्बे के नेतृत्व में शोधकर्ताओं ने चेन्नई में बाढ़ का पूर्वानुमान लगाने के लिए एक प्रणाली डिज़ाइन की है।

मुंबई

शोधकर्ताओं ने टिकाऊ, कम शक्ति की खपत वाले ग्राफीन ट्रांजिस्टर बनाने के लिए एक नवीन तकनीक की खोज की है

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