आईआईटी मुंबई का IMPART नामक नवीन वेब एप्लिकेशन जल सतह के तापमान पर दृष्टि रखने में शोधकर्ताओं की सहायता करता है एवं जलवायु परिवर्तन पर दृष्टि रखने में सहायक है।

Science

बेंगलुरू
29 जून 2020

द जॉय ऑफ साइंस के एक पिछले प्रकरण में शाम्भवी चिदंबरम ने प्राध्यापक श्रवण वशिष्ठ से, जो पॉट्सडैम विश्वविद्यालय, जर्मनी के भाषा विज्ञान विभाग में प्राध्यापक हैं,  साइकोलिंग्विस्टिक्स के आनंद के बारे में और अन्य मुद्दों पर बात की। इस साक्षात्कार में, प्राध्यापक वशिष्ठ ने सांख्यिकी के शिक्षण और छात्रों और आम जनता दोनों के लिए अनिश्चितता को समझने की आवश्यकता के बारे में विस्तार से चर्चा की। वे "श्रवण

मुंबई
22 जून 2020

शोधकर्ताओं ने पानी में उपस्थित दूषित भारी धातु पदार्थों को एकल चरण प्रक्रिया से हटाने के लिए एक नए पदार्थ की रचना की है।

मुंबई
1 जून 2020

सूखे रंग या जमा स्याही के आकार इन कोलॉइड में मौजूद कणों की एकाग्रता और आकार से संबंध रखते हैं

हैदराबाद
15 जून 2020

बहुत जल्द, दुनिया में जनसंख्या विस्फोट और पानी की कमी से  शायद आपको बिरयानी की थाली और कई लोगों को अपनी आजीविका से हाथ धोना पड़ सकता है। दुनिया भर में पानी की कमी के कारण हाल के वर्षों में दुनिया के लगभग ३.५ अरब से अधिक लोगों के लिए उनका मुख्य भोजन, चावल खतरे में आ गया है। परंपरागत रूप से, चावल  एक अधिक पानी की ज़रुरत वाली फसल है, जिसे खेतों में पानी भरकर उगाया जाता है। कृषि में पानी के संरक्षण का बढ़ता दबाव निश्चित तौर पर चावल पर पड़ता है क्योंकि एक किलोग्राम अनाज का उत्पादन करने के लिए लगभग ४०००-५००० लीटर पानी की आवश्यकता होती है!

मुंबई
8 जून 2020

यह अध्ययन क्षतिग्रस्त पुर्ज़ों को दोबारा काम में लाने के लिए एक बेहतर योज्य निर्माण विधि का प्रस्ताव रखता है।

गुजरात
6 जून 2020

टीबी या क्षय रोग, जो माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक बैक्टीरिया के कारण होता है, दुनिया भर में मृत्यु का एक प्रमुख कारण है। अकेले २०१७ में, दुनिया भर में १ करोड़ लोग इस बीमारी से प्रभावित थे, और लगभग १६ लाख लोगों ने इसकी वजह से दम तोड़ दिया। कई मौजूदा दवाओं के प्रतिरोध विकसित करने वाले बैक्टीरिया के कारण, भारत जैसे देशों में यह स्थिति गंभीर हो रही है। हाल ही के एक अध्ययन में, वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय, गुजरात के शोधकर्ताओं ने ट्यूबरक्लोसिस  के खिलाफ कुछ संभावित दवाओं का विकास किया है और टीबी बैक्टीरिया और अन्य रोगाणुओं के प्रतिकूल उनकी दक्षता का पर

बेंगलुरु
19 मई 2020

शोधकर्ता डार्क मैटर के कणों का ब्लैक होल की परछाईयों की वृद्धि पर प्रभाव की तहकीकात कर रहे हैं

करनाल
18 मई 2020

लगभग 11,000 साल पहले, मध्यपूर्व के ‘फर्टाइल क्रिसेंट’ इलाके में किसानों को गेहूँ उगाते हुए एक अनोखी चुनौती से जूझना पड़ता था। पकने के बाद इस जंगली प्रजाति के खपली गेहूँ के दाने कटाई से पहले जमीन पर गिरकर बिखर जाते थे। अगले कुछ हज़ारों वर्षों तक किसानों ने सावधानीपूर्वक चुनकर कुछ पौधों की नस्ल को आगे बढ़ाया जिसके परिणामस्वरूप आज के उपजाए जाने वाले गेहूँ तक हम पहुँच पाये हैं। गेहूँ के दाने अब बड़े हो गए हैं, उनकी उपज बेहतर होती है, और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि ये पौधे कटाई तक पके हुए दानों को जकड़े रहते हैं। गेहूँ, चावल, और मकई जैसी फसलों के वर्षों तक चले चुनिंदा

धनबाद
15 मई 2020

एक नवीन अध्ययन के अंतर्गत भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (भारतीय खनि विद्यापीठ), धनबाद के शोधकर्ताओं ने रक्त में शर्करा की निगरानी हेतु एक प्रकाश आधारित रक्त शर्करा संवेदक विकसित किया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि  यह रक्त-शर्करा (रक्त में स्थित ग्लूकोज की मात्रा) को १० से २०० मिग्रा की विस्तृत सीमा तक माप सकता है। एक स्वस्थ वयस्क के लिए खाली पेट की स्थिति में रक्त शर्करा का औसत स्तर ७० से १२० मिलीग्राम/डेसीलीटर तक होता है।

नई दिल्ली
11 मई 2020

भारत में तापमान बढ़ने से फसल उत्पादन के लिए खतरा हो सकती है।