क्षयरोग के जीवाणु प्रसुप्त अवस्था में अपने बाह्य आवरण में होने वाले परिवर्तन के कारण प्रतिजैविक (एंटीबायोटिक्स) से बच कर लंबे समय तक जीवित रह सकते हैं।

Deep-dive

मुंबई

आईआईटी बॉम्बे के शोधकर्ताओं द्वारा निम्न-आय वर्ग के रहवासियों पर खराब रहवासों से होने वाले प्रभाव का अध्ययन 

मुंबई

जिला स्तरीय अध्ययन के अनुसार जलवायु परिवर्तन के कारण मानसून की बारिश में होने वाले बदलाव मराठवाड़ा और विदर्भ क्षेत्रों को सबसे अधिक प्रभावित करते हैं। 

मुंबई

ताँबा (कॉपर) मानव में तंत्रिका और प्रतिरक्षा प्रणाली के सुचारू कामकाज के लिए एक आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व है। यह पौधों के विकास और प्रजनन में भी एक महत्त्वपूर्ण एवं नियामक भूमिका निभाता है। शरीर मे ताँबे की कमी रक्त और तंत्रिका तंत्र से संबंधित विकारों का कारण बनती है जबकि इसकी अतिरिक्त मात्रा जहरीली हो सकती है जिसके परिणामस्वरूप अल्ज़ाइमर रोग और सूजन संबंधी विकार उत्पन्न हो जाते हैं। हाल ही के एक अध्ययन में बायोसाइंसेज और बायोइंजिनियरिंग विभाग, भारतीय प्रौ

मुंबई

विकास और योजना अधिकारियों की मदद के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई द्वारा पारिस्थितिक संवेदनशीलता के व्याख्यान के लिए अध्ययन प्रस्ताव।  

Bengaluru

नया साल शुरू तो हो गया लेकीन हम शायद पिछले साल के हंसीं पलों को याद कर रहे हैं। २०१८ की हमारी एक महत्त्वपूर्ण पहल थी प्रादेशिक भाषाओं में विज्ञान प्रसार। इस की वजह से सम्मोहक विज्ञान कहानियाँ भाषा की सीमाएं पर कर दूर दूर तक पहुँची। कन्नड भाषा से शुरुआत करते हुए हमने हिंदी, मराठी और असमिया में अच्छा प्रदर्शन किया। हमें आशा है कि २०१९ में हम और अच्छा प्रदर्शन करें। पेश कर रहे हैं आप के लिए कुछ प्रादेशिक रस

मुंबई

आईआईटी बॉम्बे के वैज्ञानिकों ने यह प्रदर्शित किया है कि दवाओं के मिश्रण का उपयोग, दवा प्रतिरोधी जीवाणुओं  के कारण होने वाली बिमारी टीबी के उपचार  में सहायता कर सकता है।

मुंबई

आईआईटी मुंबई का संशोधन बताता है की हवा में मौजूद प्रदूषक  कृषि के लिए उपलब्ध जल को प्रभावित करते है।

मुंबई

कीटनाशकों का छिड़काव, स्प्रे पेंटिंग, ऑटोमोबाइल इंजनों में ईंधन का इंजेक्शन   और यहाँ तक कि खाना बनाने जैसे कई क्रियाओं में महीन बूँदों का स्प्रे मुख्य रूप में प्रयोग होता है। लेकिन , क्या आपने कभी सोचा है कि यह स्प्रे बनता कैसे है?

मुंबई

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मुंबई (आई आई टी बॉम्बे) के शोधकर्ताओ ने एक जीवन-रक्षक यंत्र विकसित किया है जो स्मार्ट फोन की मदद से दिल का दौरा पड़ने से पहले ही उसका पता लगा सकता है। इस अभिनव सेन्सर की संकल्पना शोध छात्रों, देबास्मिता मोंडोल और सौरभ अग्रवाल, ने प्रोफेसर सौम्यो मुखर्जी के मार्गदर्शन में की है। इसके लिए हाल ही में उन्हें गांधीवादी युवा प्रौद्योगिकी अभिनव पुरस्कार 2018 से

मुंबई

अधिकांश आधुनिक जीवन इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के बिना अकल्पनीय है जैसे कंप्यूटर या मोबाइल फोन, जिस पर आप इस लेख को पढ़ रहे हैं, आपके बैठक कक्ष में रखा  टेलीविज़न , आपके रसोईघर में सूक्ष्म तरंग भट्ठी (माइक्रोवेव ओवन) इत्यादि !

Search Research Matters