शारीरिक पीड़ा का अनुभव करने वाले विश्वविद्यालयीन छात्र कार्य पर हीनतर प्रदर्शन करते हैं एवं पीड़ा रहित लोगों की तुलना में उनकी मनोदशा निचले स्तर पर होती है।
क्षयरोग के जीवाणु प्रसुप्त अवस्था में अपने बाह्य आवरण में होने वाले परिवर्तन के कारण प्रतिजैविक (एंटीबायोटिक्स) से बच कर लंबे समय तक जीवित रह सकते हैं।
Mumbai/