एरेटेड ऑटोक्लेव्ड कंक्रीट ब्लॉक जैसी पर्यावरण-कुशल भित्ति सामग्री, प्राकृतिक वायु संचालित घरों में तापमान को बहुत कम कर इसे आंतरिक रूप से सुविधाजनक बनाती हैं।

Science

Bengaluru
18 फ़रवरी 2019

भारतीय प्रौद्योगिकी संसथान के संशोधकों ने रेणुओं को जलद तथा सटीक तरह से भांपने की प्रणाली विक्सित की

Bengaluru
15 फ़रवरी 2019

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर के संगणक विज्ञान एवं अभियांत्रिकी  विभाग के प्राध्यापक नितिन सक्सेना को बीजगणित कॉम्प्लेक्सिटी थ्योरी में उनके काम के लिए २०१८ के शांति स्वरुप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। कम उम्र मे ही भटनागर पुरस्कार पाने वाले प्राध्यापक सक्सेना, कम्प्यूटेशनल कॉम्प्लेक्सिटी, बीजगणितीय ज्यामिति आदि क्षेत्रों में शोध कार्य कर रहे हैं।

मुंबई
30 जनवरी 2019

आईआईटी बॉम्बे के शोधकर्ताओ ने नज़दीकी मोबाइल से डेटा का उपयोग करके बेहतर स्थिति पता करने के लिए एक मोबाइल एप्लिकेशन विकसित किया है। 

मुंबई
11 फ़रवरी 2019

आईआईटी बॉम्बे के शोधकर्ताओ ने ग्रैफीन नैनोरिबन्स का उपयोग करके अत्यधिक कुशल ट्रांजिस्टर बनाया है। 

Bengaluru
6 फ़रवरी 2019

आईआईटी बॉम्बे के शोधकर्ताओं को महाराष्ट्र के पश्चिमी तट पर संभावित उच्च भू-तापीय तंत्र के प्रमाण मिले

4 फ़रवरी 2019

१३ नवंबर २०१८ को इंफोसिस साइंस फाउंडेशन (आईएसएफ) ने इंफोसिस पुरस्कार विजेताओं की घोषणा की है। विजेताओं में भारतीय संस्थानों से, भारतीय विज्ञान संस्थान बेंगलुरू के दो प्राध्यापक, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, मुंबई से एक-एक प्राध्यापक हैं।

दिल्ली
1 फ़रवरी 2019

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली में कंप्यूटर विज्ञान एवं अभियांत्रिकी विभाग के प्राध्यापक अमित कुमार, जसविंदर और प्राध्यापक तरविंदर चड्ढा को विज्ञान और प्रौद्योगिकी के प्रतिष्ठित शांति स्वरुप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उन्हें गणितीय विज्ञान श्रेणी के अंतर्गत मिश्रित अनुकूलन (कॉम्बिनेटोरियल ऑप्टिमाइज़ेशन) और ग्राफ-सैद्धांतिक एल्‍गोरिथम के क्षेत्र में अपने उत्कृष्ट शोध कार्य के लिए यह पुरस्कार दिया गया है।

मुंबई
21 जनवरी 2019

आईआईटी बॉम्बे के शोधकर्ताओं ने सेवा प्रदाताओं के लिए आपके मोबाइल उपकरणों के लिए सही नेटवर्क को कुशलता से प्रबंधित करने के लिए एल्गोरिदम प्रस्तावित किए।

28 जनवरी 2019

हमारे जीन हमारी शारीरिक संरचना से लेकर, हमें मिलने वाले रोगों तक हमारे जीवन के प्रत्येक पहलू को प्रभावित करते हैं। हमारे जीवन में केवल जीन का ही प्रभाव नहीं होता बल्कि जिस पर्यावरण हम रहते हैं, वो भी हमें प्रभावित करता है। खान-पान, व्यायाम और हमारे निवास स्थान के प्रदूषण का स्तर, सभी हमारे शरीर को प्रभावित करते हैं। अगर बहुत सारे जीन में खराबी आती है तो कैंसर और कोरोनरी धमनी (कोरोनरी आर्टरी) की बीमारी जैसे प्रमुख रोग उत्पन्न होते हैं। लेकिन जीवनशैली और पर्यावरणीय कारक भी इन विकारों और उनकी उग्रता को प्रभावित करने में एक मुख्य भूमिका निभाते हैं। वैज्ञानिक इस तरह

मुंबई
22 जनवरी 2019

ग्रैफीन, कार्बन का एक द्वि-आयामी, चद्दर रूपी प्रकार है जिसकी विज्ञान और अभियांत्रिकी में बहुत मॉंग है। वैज्ञानिक न केवल इसके गुणों का पता लगाने और उनका उपयोग करने की कोशिश कर रहे हैं बल्कि इसका उत्पादन करने के लिए कुशल और किफ़ायती तरीकों की भी तलाश कर रहे हैं। हाल ही के एक अध्ययन में, भारतीय प्रौद्यौगिकी संस्थान मुंबई (आईआईटी बॉम्बे) के प्राध्यापक राजीव दुसाने और डॉ शिल्पा रामकृष्ण ने परंपरागत तरीकों की तुलना में अपेक्षाकृत कम तापमान पर हाइड्रोजन परमाणु की