आईआईटी मुंबई द्वारा विकसित नया स्पाडानेट (SpADANet) नामक डीप लर्निंग फ्रेमवर्क सीमित लेबलों का उपयोग करते हुए कई, चक्रवातों में हुए हानि के वर्गीकरण की सटीकता को बढ़ाता है।

Science

Bengaluru

के टी हेच रॉयल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी स्वीडन,बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी, आरहूस यूनिवर्सिटी डेनमार्क आई सी पी ओ ‘बॉयोलॉजिस्ट्स फॉर नेचर कंज़र्वेशन’ रूस और यूनिवर्सिटी ऑफ़ वाशिंगटन, यू एस ए ने शहरीकरण का पक्षियों की विविधता पर प्रभाव का अध्ययन किया है। 

Bengaluru

क्या आप जानते हैं कि पोकेमॉन फ्रैंचाइज़ी का प्रसिद्ध चरित्र, पिकाचु नामक एक ठंडे पहाड़ी क्षेत्रों में पाए जाने वाले छोटे जानवर से प्रेरित था?

दिल्ली

आईआईटी और आईआईआईटी दिल्ली के शोधकर्ताओं ने दुर्लभ कोशिकाओं को खोजने के लिए एक एल्गोरिदम डिज़ाइन किया है।

Guwahati

दीपावली जैसे त्योहारों के दौरान आतिशबाजी का व्यापक उपयोग, बड़ी मात्रा में हानिकारक गैसों और विषाक्त पदार्थों को वायुमंडल में छोड़ता है। परिणामस्वरूप, वायु प्रदूषित हो जाती है जो हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है। हाल ही के अध्ययन में, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, गुवाहाटी और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली के शोधकर्ताओं ने दीपावली के दौरान पटाखों से होने वाले अत्यधिक वायु और ध्वनि प्रदूषण और स्वास्थ्य पर उनके संभावित प्रभाव का विश्लेषण किया है। अध्ययन के परिणाम स्वास्थ्य और प्रदूषण की विख्यात पत्रिका ‘जर्नल ऑफ हेल्थ एंड पॉल्युशन ‘में प्रकाशित किए गए हैं

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एशिया, युरोप, दक्षिण अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया सहित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली के शोधकर्ताओं की एक बहु-राष्ट्रीय टीम ने 39 देशों के लगभग 17 हज़ार लोगों का सर्वेक्षण  किया, यह जानने के लिए कि समाजों के बीच पारस्परिक सम्बंध भिन्न क्यों हैं?

बेंगलुरु

भारतीय विज्ञान संस्थान-बेंगलुरु, सीडर-सायनाइ मेडिकल सेंटर-यूएसए और क्लीवलैंड क्लिनिक फ़ाउंडेशन- यूएसए के शोधकर्ताओं द्वारा एक अध्ययन में जीवन के विकास को लेकर लम्बे समय से अनसुलझा एक  रहस्य सुलझाया गया लगता है। ‘द जर्नल ऑफ बायोलॉजिकल केमिस्ट्री’ में प्रकाशित अध्ययन, आज से करीब एक अरब साल पहले के जानवरों के पूर्वजों में दो जीनों के संलयन के बारे में एक ठोस व्याख्या प्रदान करता है।

देहरादून

भारतीय वन्यजीव संस्थान के शोधकर्ताओं ने पूर्वी हिमालय की 3,630 मीटर ऊँचाई की पहाड़ियों में इन शाही बाघों के होने के साक्ष्य का पहला फोटो प्रस्तुत किया था।

पुणे

जॉन्स हॉपकिंस स्कूल ऑफ मेडिसिन और बायरामजी जीजीभोय सरकारी मेडिकल कॉलेज के शोधकर्ताओं ने अध्ययन किया कि घरेलू वायु प्रदूषण क्षय रोग को कैसे प्रभावित कर सकता है।

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लगभग एक मीटर लंबा और १८ किलोग्राम तक वजन वाला, ग्रेट इंडियन बस्टर्ड पृथ्वी पर सबसे भारी उड़ने वाले पक्षियों में से एक है। पिछले ५० वर्षों में उनकी संख्या में लगभग ९०% की गिरावट आई है, और इन करिश्माई पक्षियों का भविष्य विलुप्ति की ओर बढ़ रहा है। वे अब अपने अस्तित्व के लिए समय के खिलाफ एक कड़ी दौड़ में हैं और अगर ये हालात तेजी से नहीं बदलते हैं, तो वे स्वतंत्र भारत में विलुप्त होने वाली पहली प्रजाति हो सकते हैं।

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