आईआईटी मुंबई का IMPART नामक नवीन वेब एप्लिकेशन जल सतह के तापमान पर दृष्टि रखने में शोधकर्ताओं की सहायता करता है एवं जलवायु परिवर्तन पर दृष्टि रखने में सहायक है।

Science

Mumbai
1 नवंबर 2023

आईआईटी मुंबई के प्राध्यापक देबब्रत मैती को वैज्ञानिक उपादेयता (वैलोराईजेशन) से संबन्धित उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए एसएसबी पुरस्कार 2022 से सम्मानित किया गया।

मुंबई
19 अप्रैल 2023

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मुंबई (आईआईटी बॉम्बे) के दो नवीन अध्ययन स्फटिक (क्रिस्टल) में परमाणुओं की व्यवस्था में अन्तर्निहित

मुंबई
11 मार्च 2023

कई परमाणुओं से मिलकर जब अणु निर्मित होते हैं, तो इन परमाणुओं के जुड़ने की प्रक्रिया पृथक-पृथक हो सकती है। एक ही अणु के दो रूपों की संरचना समान हो सकती है किन्तु यदि परमाणुओं की व्यवस्था पृथक-पृथक होती है तो समभारी (आइसोमर्स) बनते हैं। कुछ समभारियों में ऐसी संरचनाएं हो सकती हैं जो एक दूसरे की दर्पण छवियां (मिरर इमेज) हों। ऐसे अणुओं को काइरल अणु कहते हैं। वैज्ञानिक ऐसे अणुओं के अध्ययन में रुचि रखते हैं, उदाहरण स्वरुप पेनिसिलिन, क्योंकि इसके अणुओं की एक व्यवस्था जीवन रक्षक हो सकती है जबकि दूसरी घातक हो सकती है!

मुंबई
25 अक्टूबर 2022

नया शोध विशिष्ट अणुओं की पहचान करता है जो एक कोशिका के अंदर और रक्तप्रवाह में वसा (लिपिड) के परिवहन में मध्यस्थता करते हैं।

मुम्बई
19 सितंबर 2022

फलोद्यानों में बने खेत के प्लास्टिक फिल्म आस्तरित तालाबों का अध्ययन और समाज पर इसके प्रभाव

मुंबई
7 सितंबर 2022

सूक्ष्म तरंग (माइक्रोवेव) विकीरण का उपयोग करते हुए नन्हे अदृश्य प्लास्टिक प्रदूषकों की उपस्थिति ज्ञात करने हेतु शोधकर्ताओं ने एक नूतन तकनीक विकसित की है।

मुंबई
30 अगस्त 2022

तीव्रता से परिवर्तित होने वाले क्षीण चुंबकीय क्षेत्रों के छायांकन (इमेजिंग) के लिए हीरे के क्वांटम दोषों (डिफेक्ट्स) का प्रयोग 

मुम्बई
5 जुलाई 2022

शोधकर्ताओं ने विभव  नियंत्रित क्वान्टम परिपथ निर्मित करने का एक नवीन मार्ग ढूंढ निकाला है जिसमें उन्होंने ग्रफ़ीन एवं अल्फा मोलिब्डनम ट्राई ऑक्साइड के संयोजन का उपयोग किया है।

मुंबई
27 जून 2022

शोधकर्ताओं ने घाव भरने में सुधार के लिए एक द्विपरत संरचना में प्राकृतिक उपचार कारकों और पॉलिमर के मिश्रण के साथ एक त्वचीय पैच विकसित किया है| 

मुंबई
20 जून 2022

शोधकर्ताओं द्वारा क्वांटम मैटीरियल पर आधारित एक ऐसी वैलीट्रॉनिक्स युक्ति संरचना प्रस्तावित की गई है जिसे वर्तमान तकनीक का उपयोग करते हुए प्रयुक्त किया जा सकता है।