क्षयरोग के जीवाणु प्रसुप्त अवस्था में अपने बाह्य आवरण में होने वाले परिवर्तन के कारण प्रतिजैविक (एंटीबायोटिक्स) से बच कर लंबे समय तक जीवित रह सकते हैं।

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यह अध्ययन पानी की गुणवत्ता में सुधार और पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए भारत के अपशिष्ट जल शुद्धिकरण के आधारभूत ढांचे में एक पद्धतिबद्ध परिवर्तन करने का प्रस्ताव देता है।

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वैज्ञानिकों ने स्मृति एवं संगणना इकाइयों अर्थात मेमोरी एवं कम्प्यूटेशनल यूनिट्स के संयोजन की दिशा में एक अनूठी पहल की है।

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शोधकर्ताओं ने एक पतली चुम्बकीय फिल्म पर विद्युत और चुम्बकत्व के व्युत्क्रम संबंध को दर्शाया है।

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शोधकर्ता एक नए पदार्थ के गुणों की जांच करते हैं, जो सूक्ष्म एवं नैनो उपकरणों के लिए बेहतर है। 

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शोधकर्ताओं ने विशेष रूप से निर्मित सतहों पर प्रकाश और पदार्थ के मध्य परस्पर क्रिया के अध्ययन को गति प्रदान की है।

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शोधकर्ताओं ने एक बायोसेंसर मॉडल का प्रस्ताव दिया है जो द्रव-सेंसर अंतराफलक (इंटरफेस) चार्ज के प्रभाव को  प्रग्रहित करता है।

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शोधकर्ताओं ने प्रदर्शित किया है कि कैसे एक चुम्बकीकृत उत्प्रेरक (मैग्नेटाइज्ड कैटालिस्ट) ऊर्जा लागत को कम करते हुये हाइड्रोजन उत्पादन को गति दे सकता है। 

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एक नवीन शीतलन मॉडल, ढलवाँ लोहे (कास्ट आयरन) की दृढ़ता और लचीलेपन का बेहतर पूर्वानुमान देता है

एक समय था जब रात के आकाश  में  तारे अनंत के लिए एक उपमा थे - रात के काले कंबल में इतने सारे छितराये हुए देखे जा सकते हैं कि उन्हें गिनने में पूरा जीवन व्यतीत हो जाये। तेजी से आगे बढ़ कर अगर आज को देखें तो  अब रात का आकाश चँद्रमा और सितारों के स्थान पर शहरी रोशनी से जगमगाता है।  कृत्रिम प्रकाश के अंधाधुंध उपयोग ने - इमारतों में प्रकाश के लिये बल्ब के प्रयोग से ले कर सड़कों पर सोडियम लैंप या नीओन से चकाचौंध होर्डिंग तक - रात में तारे देखने के आनंद को खत्म कर दिया है। अनुमानित है कि दुनिया की करीब 83 प्रतिशत​ आबादी प्रकाश प्रदूषण से दूषित इलाकों म

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आई आई टी (IIT) बॉम्बे के शोधकर्ताओं ने दक्षिण भारत में निरंतर सूखे के कारण भूजल स्तर में  चिंताजनक कमी के कारण भूजल पर निर्भरता बढ़ने की रिपोर्ट दी है।

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