क्षयरोग के जीवाणु प्रसुप्त अवस्था में अपने बाह्य आवरण में होने वाले परिवर्तन के कारण प्रतिजैविक (एंटीबायोटिक्स) से बच कर लंबे समय तक जीवित रह सकते हैं।

Science

Bengaluru

आजकल का अदृश्य हत्यारा, वायु प्रदूषण, आज एक प्रमुख वैश्विक स्वास्थ्य के जोखिम के रूप में हमारे सामने है, जिसने निम्न और मध्यम आय वाले देशों को अधिक प्रभावित किया है। दुनिया के 15 सबसे प्रदूषित शहरों में से 14 अकेले भारत में ही  हैं। इसके उचित समाधान हेतु विभिन्न राज्यों में वायु प्रदूषण के स्तर और प्रभाव को समझने के लिए एक राष्ट्रव्यापी व्यापक अध्ययन आवश्यक था। “लैनसेट प्लैनेटरी हेल्थ” नामक शोध-पत्रिका मे

बेंगलुरु

मूत्राशय की तंत्रिकोशिकाओं का एक कंप्यूटर आधारित मॉडल

Mumbai

शोधकर्ताओं ने इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की गति में सुधार करने के लिए ठोस पदार्थों में त्रुटियों के प्रभाव की जाँच की।

 

मुंबई

शोधकर्ता उन आणविक घटनाओं को उजागर करते हैं, जो आमतौर पर पार्किंसन रोग में देखे जाने वाले प्रोटीन समूहों का निर्माण करते हैं।

पार्किंसन रोग एक न्यूरोलॉजिकल विकार है जिसमें हमारे मस्तिष्क की तंत्रिका कोशिकाओं में पाया जाने वाला प्रोटीन "अल्फा-सिन्यूक्लिन" रेशा नुमा संरचनाओं में जमा हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप शरीर के अंगों में कठोरता, चलने में परेशानी होना, याददाश्त में कमी, संतुलन और तालमेल इत्यादि समस्याएँ होती हैं। इसकी असली वजह क्या हैं? ये आज भी एक रहस्य बना हुआ है, और कई शोधकर्ता इस दिशा में काम कर रहे है।

मुम्बई

शोधकर्ताओं ने क्वांटम कंप्यूटिंग को संभव बनाने के लिए परमाण्विक रूप से पतले पदार्थ से प्राप्त अनूठे नैनोचिप्स का प्रस्ताव दिया है।

मुंबई

थर्मोइलेक्ट्रिक उपकरणों की नई अभिकल्पना से शक्ति और कार्यक्षमता दोनों बढ़ाई जा सकती हैं

इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग करते समय ऊष्मा की उत्पत्ति एक बड़ी समस्या है। इससे न केवल वैद्युतीय ऊर्जा का ह्वास होता है बल्कि उपकरण को भी क्षति पहुँच सकती है। थर्मोइलेक्ट्रिक पदार्थों, जो ऊष्माको विद्युतमें और विद्युत् को ऊष्मा में बदल सकते हैं, का उपयोग करके उत्पन्न हुई ऊष्मा को वापस विद्युत् में बदल सकते हैं जिससे ऊर्जा की बचत होगी और उपकरणों को अधिक गरम होने से बचा सकेंगे।

मुंबई

मशीन लर्निंग तकनीक के उपयोग से औषधीय रूप से महत्वपूर्ण अणुओं की रासायनिक संरचना में फेरबदल के लिए सर्वश्रेष्ठ उत्प्रेरक की खोज

बेंगलुरु

प्रोटीन प्रिंट करने और कोशिकाओं को उगाने के लिए माइक्रोकॉन्टेक्ट प्रिंटिंग स्टैम्प बनाने के लिए शोधकर्ताओं ने लागत प्रभावी तकनीकें प्रस्तावित की हैं|

बेंगलुरू

द जॉय ऑफ साइंस के एक पिछले प्रकरण में शाम्भवी चिदंबरम ने प्राध्यापक श्रवण वशिष्ठ से, जो पॉट्सडैम विश्वविद्यालय, जर्मनी के भाषा विज्ञान विभाग में प्राध्यापक हैं,  साइकोलिंग्विस्टिक्स के आनंद के बारे में और अन्य मुद्दों पर बात की। इस साक्षात्कार में, प्राध्यापक वशिष्ठ ने सांख्यिकी के शिक्षण और छात्रों और आम जनता दोनों के लिए अनिश्चितता को समझने की आवश्यकता के बारे में विस्तार से चर्चा की। वे "

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